नई दिल्ली / सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमला में महिलाओं के प्रवेश का मामला 7 जजों की बेंच को भेजा

सबरीमला मंदिर में 10-50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश से संबंधित पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यों की संविधान पीठ ने यह मामला 7 जजों की बेंच को भेज दिया है। जस्टिस गोगोई ने कहा, "महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी इस मंदिर तक सीमित नहीं है...इसमें मस्जिदों में महिलाओं का प्रवेश भी शामिल है।"

Live Hindustan : Nov 14, 2019, 11:24 AM
केेरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर दायर समीक्षा याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को बड़ी बेंच को सौंप दिया है। याचिका को बड़ी बेंच के पास सौंपते हुए कोर्ट ने पिछला फैसला पलटते हुए अब इस मामले को 7 जजों की बेंच के पास रेफर कर दिया है।

कोर्ट ने कहा कि धर्म के सर्वमान्य नियमों के मुताबिक ही परंपरा होनी चाहिए। मामले पर फैसला सुनाते हुए सीजेआई ने कहा कि धार्मिक प्रथाओं को सार्वजनिक आदेश, नैतिकता और भाग 3 के अन्य प्रावधानों के खिलाफ नहीं होना चाहिए। CJI ने कहा, पूजा स्थलों में महिलाओं का प्रवेश केवल इस मंदिर तक सीमित नहीं है।

सबरीमला मंदिर पर उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले के पुनर्विचार की मांग कर रही याचिकाओं पर प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि याचिकाकर्ता धर्म और आस्था पर बहस फिर शुरू करना चाहते हैं।

यह मामला 3-2 के बहुमत से बड़ी बेंच को सौंप दिया गया है। फिलहाल इस मामले की सुनवाई पांच जजों की बेंच कर रही थी।  जस्टिस फली नरीमन और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने अलग से इस निर्णय के खिलाफ अपना फैसला दिया है। जबकि सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस खानविलकर ने बहुमत में फैसला दिया है।

बता दें कु सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका लगाई गई थी जिसपर आज फैसला आया है।