Supreme Court News: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये खर्च कर अपनी और अपनी पार्टी के सिंबल हाथी की मूर्तियां बनाने के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका का सुप्रीम कोर्ट ने 15 जनवरी को निपटारा कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मायावती के खिलाफ दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई बंद कर दी है।
याचिका में किया गया था यह दावा
जानकारी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को पुराना मानते हुए सुनवाई बंद की। यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील रविकांत ने वर्ष 2009 में दाखिल की थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि मायावती ने अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल में जनता के पैसे का दुरुपयोग किया और लखनऊ तथा नोएडा के कई पार्कों में बसपा का चुनाव चिह्न हाथी की मूर्तियां बनवाईं। याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि जनता के पैसे की भरपाई बसपा से करवाई जाए और चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए कि बसपा का चुनाव चिह्न जब्त किया जाए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया।
जन्मदिन पर मिली दोगुनी खुशी
यह फैसला मायावती के लिए खास इसलिए भी है क्योंकि यह उसी दिन आया, जब वे अपना 69वां जन्मदिन मना रही थीं। इस फैसले को मायावती और उनके समर्थकों के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। कोर्ट के इस फैसले के बाद बसपा कार्यकर्ताओं में उत्साह का माहौल है।
लखनऊ और नोएडा में लगी थीं मूर्तियां
मायावती ने अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान लखनऊ और नोएडा के कई पार्कों में अपनी, बसपा संस्थापक कांशीराम और पार्टी के प्रतीक हाथी की मूर्तियां स्थापित करवाई थीं। इस परियोजना पर करीब 52.20 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। याचिका में दावा किया गया था कि यह सरकारी धन की बर्बादी है और चुनाव आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है।
मायावती का पक्ष
उस समय मायावती ने अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन किया था। उन्होंने कहा था कि पार्कों में लगाई गई हाथी की मूर्तियां महज वास्तुशिल्प डिजाइन का हिस्सा हैं और उनका पार्टी के प्रतीक से कोई लेना-देना नहीं है। मायावती ने यह भी कहा था कि इन स्मारकों के निर्माण के लिए उचित बजट आवंटन किया गया था। उनके अनुसार, इन स्मारकों का उद्देश्य दलित समाज को प्रेरणा देना था।चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती ने जोर देकर कहा था कि स्मारक और मूर्तियां जनता की इच्छाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ये स्मारक सामाजिक न्याय और समानता के प्रतीक हैं, जो समाज में हाशिये पर खड़े लोगों को प्रेरित करते हैं।
बसपा कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बसपा कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने इसे मायावती के नेतृत्व और उनकी नीतियों की वैधता का प्रमाण बताया है। समर्थकों का कहना है कि यह फैसला बसपा की विचारधारा और मायावती के कार्यकाल के फैसलों की सच्चाई को उजागर करता है।
निष्कर्ष
मायावती को सुप्रीम कोर्ट से मिली यह राहत उनके राजनीतिक करियर के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इस फैसले से न केवल बसपा कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा है, बल्कि पार्टी की छवि भी मजबूत हुई है। अदालत का यह निर्णय यह भी स्पष्ट करता है कि जनहित याचिकाओं के दुरुपयोग से बचने के लिए समयबद्ध सुनवाई और पुराने मामलों को खत्म करना आवश्यक है। यह फैसला मायावती के लिए उनके जन्मदिन पर एक बड़ी सौगात साबित हुआ है।