Vikrant Shekhawat : Sep 27, 2020, 04:09 PM
दिल्ली: BJP के पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह का आज निधन हो गया। पुरे देश ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। जसवंत सिंह राजस्थान के बाड़मेर के वो बड़े राजपूत नेता रहे हैं। जिन्होने भारतीय जनता पार्टी में अपनी छाप छोड़ी थी, लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया जब पार्टी ने उन्हें टिकट तक देना जरुरी नहीं समझा और BJP के खिलाफ वो बगावत पर तर उतर आये थे, ये हाल उस नेता का हुआ जो अटल बिहारी वाजपेयी के सबसे करीबियों में थे। अटल बिहारी वाजपेयी जो की एक महान नेता रहै है तथा जसवंत सिंह को उन्होने अपने नेतृत्व में मंत्रिमंडल में शामिल किया था। वाजपेयी कैबिनेट में जसवंत सिंह के पास विदेश मंत्रालय से लेकर रक्षा मंत्रालय और वित्त मंत्रालय तक कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां रहीं। हालांकि, जसवंत सिंह की राजनीति में एंट्री की वजह सिंधिया परिवार रहा है। लेकिन वही बाद में सिंधिया परिवार जसवंत सिंह का छत्तीस का आंकड़ा हो गया।जसवंत सिंह को बाड़मेर लोकसभा सीट से टिकट नहीं दिया गया। इससे वो नाराज हो गए। नाराजगी इतनी बढ़ गई कि उन्होंने बागी रुख अख्तियार कर लिया। निर्दलीय चुनाव में उतर गए। हालांकि, मोदी लहर में कांग्रेस के साथ-साथ वो भी कहीं गुम हो गए और उम्र के उस मुकाम पर बीजेपी के उम्मीदवार से ही हार झेलनी पड़ी। लेकिन इसका असर ये हुआ कि जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह ने भी तेवर दिखा दिए। 2018 में जब राजस्थान विधानसभा चुनाव हुए तो मानवेंद्र सिंह ने अलग राह पकड़ ली। तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार से राजपूतों की नाराजगी को और मजबूती मिली, नतीजा ये हुआ कि राजस्थान में सत्ता परिवर्तन हो गया।इस तरह पूरी उम्र बीजेपी के साथ एक संस्थापक सदस्य के तौर पर रहने वाले जसवंत सिंह को जीवन के अंतिम दिनों में स्वतंत्र रूप से ही वक्त बिताना पड़ा और इस तरह वो 27 सितंबर को दुनिया से अलविदा कह गए।