India-China / चीन की उसी की भाषा में मिलेगा जवाब, ITBP की खास तैयारी

चीन की हरकतों को देखते हुए भारत ने उसे मुंहतोड़ जवाब दिया है। गलवान घाटी में हिंसा के बाद भारत ने उसे पस्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अब आईटीबीपी के जवान भी चीन को उसी की भाषा में जवाब देने की तैयारी करने जा रहे हैं। ITBP के 90 हजार जवानों को चीन की मंदारिन भाषा सिखाने की तैयारी है। उन्हें अडवांस मंदारिन भाषा की ट्रेनिंग दी जाएगी।

NavBharat Times : Jul 19, 2020, 07:51 AM
नई दिल्ली: चीन की हरकतों को देखते हुए भारत ने उसे मुंहतोड़ जवाब दिया है। गलवान घाटी में हिंसा के बाद भारत ने उसे पस्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अब आईटीबीपी के जवान भी चीन को उसी की भाषा में जवाब देने की तैयारी करने जा रहे हैं। ITBP के 90 हजार जवानों को चीन की मंदारिन भाषा सिखाने की तैयारी है। उन्हें अडवांस मंदारिन भाषा की ट्रेनिंग दी जाएगी। अभी तक सीमा पर चीन के सैनिकों को अपनी बात समझाने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके लिए जवान पोस्टरों का इस्तेमाल करते हैं।

शुरुआत में आईटीबीपी ने मसूरी की अकैडमी में इस कोर्स की शुरुआत करने की पूरी तैयारी कर ली है। कोरोना के चलते अभी यह शुरू नहीं हो पाया। इस कोर्स का उद्देश्य सीमा पर बेहतर संवाद स्थापित कर पाना होगा। आईटीबीपी के हर जवान को यह कोर्स पूरा करना होगा। पहले भी कुछ जवानों की इसकी ट्रेनिंग दी जाती थी लेकिन संख्या काफी कम थी। अब कोर्स का नया प्रारूप तैयार किया जा रहा है। अभी तक जवान मामूली मंदारिन भाषा जानते हैं।


अभी कैसे होता है संवाद

अगर चीन की सेना घुसपैठ करते हैं तो आईटीबीपी उन्हें लाल रंग का पोस्टर दिखाती है जिसपर 'गो बैक' लिखा जाता है। चीनी भाषा की ट्रेनिंग के बाद जवानों को आसानी होगी और वे सीधा उन्हें वापस जाने की चेतावनी दे सकेंगे। मंदारिन भाषा में 'नी हाओ' का मतलब 'नमस्कार' होता है और 'हुऊ कू' का अर्थ 'वापस जाओ' होता है।

चीन के जवान अपनी भाषा में आपस में बात करते हैं और भारतीय सैनिकों को यह बता भी नहीं चल पाता। इसके चलते कम्युनिकेशन गैप होता है और अधिकारियों तक योजना की जानकारी नहीं पहुंच पाती है।


सबसे ज्यादा बोली जाती है मंदारिन भाषा

आपको अजीब लग सकता है कि मंदारिन भाषा दुनिया में सबसे ज्यादा लोगों द्वारा बोली जाती है। यह भाषा काफी पुरानी है। दरअसल चीन की आबादी भी दुनिया में सबसे ज्यादा है और वहां कईतरह के प्रतिबंध भी हैं। इसके चलते लोग चीनी भाषा का ही ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। यहां तक कि उन्हें फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया के इस्तेमाल की भी छूट नहीं है। मंदारिन भाषा के बाद स्पैनिश का नंबर आता है। इसे बोलने वाले लोगं की संख्या दुनिया में दूसरे नंबर पर है।