Vikrant Shekhawat : Oct 02, 2020, 03:42 PM
बिहार विधानसभा चुनाव जेसे जेसे नजदीक आ रहै है पुरे सियासत में इसके चर्चे भी बढने लगे है। माना जा रहा है कि मुख्य मुकाबला नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए और तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन के बीच होगा। हालाँकि, इस बार बिहार की राजनीति में, निश्चित रूप से ऐसे नेताओं की कमी होगी, जो अपने भाषणों के माध्यम से, राजनीतिक माहौल को बदलने की ताकत रखते थे।
कोरोना संक्रमण के बीच बिहार चुनाव का माहौल पहले से ही फीका है। इस बार न तो बड़ी रैलियां होंगी और न ही चुनावी शोर की गूंज लोगों के कानों में सुनाई देगी। चुनाव आयोग ने चुनाव प्रचार के नाम पर केवल 5 लोगों के साथ केवल आभासी रैलियों और जनसंपर्क करने की अनुमति दी है, हालांकि अब इसे कुछ और रैलियों की अनुमति देने के लिए कहा जा रहा है। इसके अलावा चुनाव प्रचार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उपस्थिति होगी। लेकिन बिहार के आधा दर्जन बड़े नेताओं की आवाज चुनावी समर में नहीं सुनाई देगी, जो पिछले पांच दशकों से बिहार की राजनीति की धुरी रहे हैं।
कोरोना संक्रमण के बीच बिहार चुनाव का माहौल पहले से ही फीका है। इस बार न तो बड़ी रैलियां होंगी और न ही चुनावी शोर की गूंज लोगों के कानों में सुनाई देगी। चुनाव आयोग ने चुनाव प्रचार के नाम पर केवल 5 लोगों के साथ केवल आभासी रैलियों और जनसंपर्क करने की अनुमति दी है, हालांकि अब इसे कुछ और रैलियों की अनुमति देने के लिए कहा जा रहा है। इसके अलावा चुनाव प्रचार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उपस्थिति होगी। लेकिन बिहार के आधा दर्जन बड़े नेताओं की आवाज चुनावी समर में नहीं सुनाई देगी, जो पिछले पांच दशकों से बिहार की राजनीति की धुरी रहे हैं।