चौंकाने वाला खुलासा / सर्वोपरि था 'योगी' का आदेश, तीन साल उसके ही इशारे पर चलता रहा स्टॉक एक्सचेंज

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के बारे में चौंकाने वाला खुलासा किया है। सेबी की रिपोर्ट की मानें तो एनएसई में आनंद सुब्रमण्यम की समूह परिचालन अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक का सलाहकार के रूप में नियुक्त एक 'योगी' के कहने पर हुई थी। जबकि, सुब्रमण्यम को कैपिटल मार्केट का कोई अनुभव भी नहीं था, इसके बावजूद 15 लाख से बढ़ाकर उनका सालाना पैकेज चार करोड़ के ऊपर कर दिया गया।

Vikrant Shekhawat : Feb 13, 2022, 02:45 PM
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के बारे में चौंकाने वाला खुलासा किया है। सेबी की रिपोर्ट की मानें तो एनएसई में आनंद सुब्रमण्यम की समूह परिचालन अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक का सलाहकार के रूप में नियुक्त एक 'योगी' के कहने पर हुई थी। जबकि, सुब्रमण्यम को कैपिटल मार्केट का कोई अनुभव भी नहीं था, इसके बावजूद 15 लाख से बढ़ाकर उनका सालाना पैकेज चार करोड़ के ऊपर कर दिया गया। 

सेबी के इस खुलासे के बाद हर कोई उस आध्यात्मिक शक्ति वाले योगी के बारे में जानना चाहता है। सेबी का कहना है कि यह वही आध्यात्मिक शक्ति है, जिसके कहने पर एनएसई की पूर्व एमडी और सीईओ चित्रा रामकृष्ण हर फैसला लेती थीं। इस आध्यात्मिक शक्ति को कभी भी देखा नहीं गया। दावा है कि चित्रा रामकृष्ण तीन साल तक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की एमडी रहीं और उसी योगी के कहने पर वह हर फैसला लेती रहीं।  

हिमालय की पहाड़ियों पर रहता है वह योगी 

सेबी के एक अधिकारी के मुताबिक, एनएसई की पूर्व एमडी और सीईओ चित्रा रामकृष्ण एनएसई से जुड़े फैसले एक योगी के कहने पर लिए, जिसे कभी देखा भी नहीं गया। चित्रा रामकृष्ण को हिमालय में रहने वाले एक योगी ने प्रभावित किया था, जिसके तहत उन्होंने आनंद सुब्रमण्यम को एक्सचेंज में समूह परिचालन अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक का सलाहकार नियुक्ति किया। रामकृष्ण अप्रैल 2013 से दिसंबर 2016 तक एनएसई की एमडी एवं सीईओ थीं। वह योगी को सिरोमणि कहती थीं, जो उनके मुताबिक एक आध्यात्मिक शक्ति हैं और पिछले 20 वर्षों से व्यक्तिगत और व्यावसायिक मामलों पर उनका मार्गदर्शन कर रहे हैं। 

योगी परमहंस से 20 साल से थीं संपर्क में 

सेबी ने 190 पेज के आदेश में 238 बार 'अज्ञात व्यक्ति' का जिक्र किया है। चित्रा इस व्यक्ति को शिरोमणि कहकर संबोधित करती थीं। वह सीईओ के तौपर भी ई-मेल से संवाद करती थीं। 2018 में सेबी को दिए बयान में चित्रा ने बताया था कि वे योगी परमहंस नामक व्यक्ति से यह संवाद करती थीं, जो हिमालय में विचरण करते हैं। वह उनसे 20 साल से संपर्क में हैं और इसी आध्यात्मिक शक्ति से मार्गदर्शन लेती हैं।

कोच, गुरु या वरिष्ठों से सलाह लेने जैसा 

सेबी ने चित्रा से साफ शब्दों में पूछा कि क्या एनएसई के मामले में  इस प्रकार अज्ञात व्यक्ति से सलाह लेना उन्हें प्रशासकीय नियमों का उल्लंघन नहीं लगा? उन्होंने जवाब दिया कि एमडी व सीईओ की हैसियत से निर्णय लेने से पहले वह यह मार्गदर्शन लेती थीं। कई बड़े अधिकारी किसी कोच, अपने गुरु या दूसरे वरिष्ठों से सलाह लेते हैं। यह मार्गदर्शन भी उन्हें वैसा ही लगा। यह आध्यात्मिक मामला था, इसलिए गोपनीयता या निष्ठा से समझौते का सवाल नहीं उठता। 

मनमाने तरीके से बढ़ाई गई थी सुब्रमण्यम की सैलरी

सुब्रमण्यम को एनएसई में अप्रैल 2013 में चीफ स्ट्रेटजी एडवाइजर के तौर पर ज्वाइन करने का ऑफर मिला था। इससे पहले वह BAlMER AND LAWRIE में मिडिल लेवल मैनेजमेंट में काम कर रहे थे। इस दौरान उनका सालाना पैकेज 15 लाख से भी कम था। लेकिन एनएसई से ऑफर मिलने के दौरान उन्हें 1.68 करोड़ रुपये का सालाना पैकेज मिला।अप्रैल, 2014 में उनका सालाना पैकेज 1.68 करोड़ से बढ़ाकर 2.01 करोड़ कर दिया गया। 2015 में यह 3.33 करोड़ हुआ। 2016 में यह 4.21 करोड़ हो गया। 

यह हुई कार्रवाई

सेबी ने रामकृष्ण और सुब्रमण्यन के साथ ही एनएसई और उसके पूर्व प्रबंध निदेशक तथा मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि नारायण तथा अन्य पर भी जुर्माना लगाया। नियामक ने रामकृष्ण पर तीन करोड़ रुपये, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई), नारायण और सुब्रमण्यन पर दो-दो करोड़ रुपये तथा वी आर नरसिम्हन पर छह लाख रुपये का जुर्माना लगाया। इसके साथ ही नियामक ने एनएसई को कोई भी नया उत्पाद पेश करने से छह महीने के लिये रोक दिया। इसके अलावा, रामकृष्ण और सुब्रमण्यन को तीन साल की अवधि के लिए किसी भी बाजार ढांचागत संस्थान या सेबी के साथ पंजीकृत किसी भी मध्यस्थ के साथ जुड़ने को लेकर रोक लगायी गयी है। जबकि नारायण के लिये यह पाबंदी दो साल के लिये है।