AajTak : Jul 21, 2020, 10:37 AM
Delhi: कोरोना वायरस से दुनिया का हर मुल्क जूझ रहा है। अब तक वैक्सीन नहीं बन पाई है। बचाव ही इलाज का सबसे बड़ा जरिया है। इस बचाव में सबसे बड़ा रोल मास्क का है। अब बाजार में कई किस्म के मास्क हैं। इन्हीं में एक मास्क है एन-95, जिसे सबसे ज्यादा फायदेमंद भी माना जाता है। भारत समेत दुनिया के बाकी मुल्क भी खुद इस मास्क का प्रोडक्शन कर रहे हैं। लेकिन आज आपको बताते हैं उस शख्स के बारे में जिसने ये मास्क सबसे पहले बनाया था।
इनका नाम है पीटर साई। पीटर ताइवान मूल के अमेरिकी साइंटिस्ट हैं। पीटर ने N-95 मास्क बनाने के लिए सिंथेटिक फैब्रिक इजाद किया था। पीटर ने ये काम 1995 में किया था। जिसके बाद लंबा कार्यकाल गुजराने के बाद दो साल पहले ही पीटर रिटायर हो गए थे। लेकिन इस साल की शुरुआत में जब कोरोना वायरस ने चीन से निकलकर अमेरिका समेत दुनिया के बाकी देशों में पैर पसारने शुरू किए तो मार्च महीने में पीटर काम पर वापस आ गए।सीएनएन को दिए एक इंटरव्यू में पीटर ने बताया कि उन्हें लगा हेल्थ वर्कर्स की मदद करनी चाहिए, इसीलिए उन्होंने काम पर लौटने का फैसला किया। बता दें कि N-95 मास्क सबसे ज्यादा उन लोगों के लिए जरूरी बताया गया है जो सीधे कोरोना संक्रमितों की चपेट में आते हैं। इनमें खासकर डॉक्टर्स, नर्स व अन्य मेडिकल स्टाफ शामिल हैं। बाकी आम लोगों के लिए क्लीनिकल मास्क या रुमाल व गमछे का इस्तेमाल भी पर्याप्त माना जाता है।कोरोना काल में चुनौतियां और बढ़ गई हैं तो पीटर मास्क पर नए सिरे से भी काम कर रहे हैं। नॉक्सविले रिसर्च फाउंडेशन में पीटर फिलहाल दिन रात एक किए हुए हैं और 20 घंटे तक काम कर रहे हैं। पीटर का पूरा ध्यान मास्क को और बेहतर बनाने पर है। पीटर ने बताया है कि वो नए मेथड पर काम कर रहे हैं। मास्क को धूप में रखकर टेस्ट कर रहे हैं, अवन में भी रख रहे हैं, साबुन से धोकर भाप भी दे रहे हैं।N-95 मास्क को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय की चेतावनी, कोरोना का प्रसार रोकने में कारगर नहींपीटर को अब तक जो सबसे ज्यादा प्रभावी मेथड लगा है वो मास्क को 160 डिग्री ड्राई हीट में 30 मिनट तक रखना है। ये फॉर्मूला अवन में मास्क टांगकर किया जा सकेगा। हालांकि, उनके लिए ये मेथड भी उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है।फिलहाल, जो हालात हैं उसमें पीटर ने सुझाव दिया है कि सात N-95 मास्क खरीदे जाएं और हर दिन नया मास्क लगाया जाए। एक मास्क उतारने के बाद उसे आइसोलेटेड जगह टांग दिया जाए और सात दिन बाद फिर उसका इस्तेमाल किया जाए। पीटर का मानना है कि अगर मास्क में कोई वायरस आ भी जाता है तो वो इस तरह निष्क्रिय हो जाएगा।
इनका नाम है पीटर साई। पीटर ताइवान मूल के अमेरिकी साइंटिस्ट हैं। पीटर ने N-95 मास्क बनाने के लिए सिंथेटिक फैब्रिक इजाद किया था। पीटर ने ये काम 1995 में किया था। जिसके बाद लंबा कार्यकाल गुजराने के बाद दो साल पहले ही पीटर रिटायर हो गए थे। लेकिन इस साल की शुरुआत में जब कोरोना वायरस ने चीन से निकलकर अमेरिका समेत दुनिया के बाकी देशों में पैर पसारने शुरू किए तो मार्च महीने में पीटर काम पर वापस आ गए।सीएनएन को दिए एक इंटरव्यू में पीटर ने बताया कि उन्हें लगा हेल्थ वर्कर्स की मदद करनी चाहिए, इसीलिए उन्होंने काम पर लौटने का फैसला किया। बता दें कि N-95 मास्क सबसे ज्यादा उन लोगों के लिए जरूरी बताया गया है जो सीधे कोरोना संक्रमितों की चपेट में आते हैं। इनमें खासकर डॉक्टर्स, नर्स व अन्य मेडिकल स्टाफ शामिल हैं। बाकी आम लोगों के लिए क्लीनिकल मास्क या रुमाल व गमछे का इस्तेमाल भी पर्याप्त माना जाता है।कोरोना काल में चुनौतियां और बढ़ गई हैं तो पीटर मास्क पर नए सिरे से भी काम कर रहे हैं। नॉक्सविले रिसर्च फाउंडेशन में पीटर फिलहाल दिन रात एक किए हुए हैं और 20 घंटे तक काम कर रहे हैं। पीटर का पूरा ध्यान मास्क को और बेहतर बनाने पर है। पीटर ने बताया है कि वो नए मेथड पर काम कर रहे हैं। मास्क को धूप में रखकर टेस्ट कर रहे हैं, अवन में भी रख रहे हैं, साबुन से धोकर भाप भी दे रहे हैं।N-95 मास्क को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय की चेतावनी, कोरोना का प्रसार रोकने में कारगर नहींपीटर को अब तक जो सबसे ज्यादा प्रभावी मेथड लगा है वो मास्क को 160 डिग्री ड्राई हीट में 30 मिनट तक रखना है। ये फॉर्मूला अवन में मास्क टांगकर किया जा सकेगा। हालांकि, उनके लिए ये मेथड भी उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है।फिलहाल, जो हालात हैं उसमें पीटर ने सुझाव दिया है कि सात N-95 मास्क खरीदे जाएं और हर दिन नया मास्क लगाया जाए। एक मास्क उतारने के बाद उसे आइसोलेटेड जगह टांग दिया जाए और सात दिन बाद फिर उसका इस्तेमाल किया जाए। पीटर का मानना है कि अगर मास्क में कोई वायरस आ भी जाता है तो वो इस तरह निष्क्रिय हो जाएगा।