Vikrant Shekhawat : Oct 05, 2020, 08:34 AM
Navratri 2020: नवरात्रि का त्योहार 17 अक्टूबर 2020 से शुरू होता है। पंचांग के अनुसार, यह दिन आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। इस दिन, चंद्रमा तुला राशि में और सूर्य कन्या राशि में होगा। घटस्थापना प्रतिपदा तिथि को की जाएगी। इसे कलश स्थापना भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि के दौरान शुभ मुहूर्त में घटस्थापना की जानी चाहिए। घटस्थापना भगवान गणेश से संबंधित है।
नवरात्रि में घटस्थापना का मुहूर्तप्रतिपदा तिथि का आरंभ: 17 अक्टूबर को 01: 00 एएमप्रतिपदा तिथि का समापन: 17 को 09:08 पीएम17 अक्टूबर को घट स्थापना मुहूर्त का समय: प्रात:काल 06:27 बजे से 10:13 बजे तक
नवरात्रि में देवी पूजन17 अक्टूबर: मां शैलपुत्री पूजा, घटस्थापना18 अक्टूबर: मां ब्रह्मचारिणी पूजा19 अक्टूबर: मां चंद्रघंटा पूजा20 अक्टूबर: मां कुष्मांडा पूजा21 अक्टूबर: मां स्कंदमाता पूजा22 अक्टूबर: षष्ठी मां कात्यायनी पूजा23 अक्टूबर: मां कालरात्रि पूजा24 अक्टूबर: मां महागौरी दुर्गा पूजा25 अक्टूबर: मां सिद्धिदात्री पूजानवरात्रि पूजा विधि
नवरात्रि के व्रत और पूजा में विधि-विधान का विशेष महत्व माना जाता है। पूजा की विधि के अनुसार, प्रतिपदा तिथि को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें। इसके बाद घर के किसी पवित्र स्थान पर मिट्टी से एक वेदी बनाएं। इस वेदी में जौ और गेहूं दोनों बोएं। फिर पृथ्वी की पूजा करें और वहां चांदी, तांबे या मिट्टी का कलश स्थापित करें। इसके बाद गणेश की पूजा करें और गणेश आरती का पाठ करें।
नवरात्रि में घटस्थापना का मुहूर्तप्रतिपदा तिथि का आरंभ: 17 अक्टूबर को 01: 00 एएमप्रतिपदा तिथि का समापन: 17 को 09:08 पीएम17 अक्टूबर को घट स्थापना मुहूर्त का समय: प्रात:काल 06:27 बजे से 10:13 बजे तक
नवरात्रि में देवी पूजन17 अक्टूबर: मां शैलपुत्री पूजा, घटस्थापना18 अक्टूबर: मां ब्रह्मचारिणी पूजा19 अक्टूबर: मां चंद्रघंटा पूजा20 अक्टूबर: मां कुष्मांडा पूजा21 अक्टूबर: मां स्कंदमाता पूजा22 अक्टूबर: षष्ठी मां कात्यायनी पूजा23 अक्टूबर: मां कालरात्रि पूजा24 अक्टूबर: मां महागौरी दुर्गा पूजा25 अक्टूबर: मां सिद्धिदात्री पूजानवरात्रि पूजा विधि
नवरात्रि के व्रत और पूजा में विधि-विधान का विशेष महत्व माना जाता है। पूजा की विधि के अनुसार, प्रतिपदा तिथि को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें। इसके बाद घर के किसी पवित्र स्थान पर मिट्टी से एक वेदी बनाएं। इस वेदी में जौ और गेहूं दोनों बोएं। फिर पृथ्वी की पूजा करें और वहां चांदी, तांबे या मिट्टी का कलश स्थापित करें। इसके बाद गणेश की पूजा करें और गणेश आरती का पाठ करें।