News18 : Jul 15, 2020, 04:28 PM
Delhi: धरती की आबादी आज से करीब 80 साल बाद यानी सन् 2100 में 8 अरब 80 करोड़ होगी। ये आंकड़े संयुक्त राष्ट्र के आकलन से करीब 2 अरब कम हैं। वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी की ओर से की गई एक प्रमुख स्टडी में ये जानकारी सामने आई है। इंटरनेशनल रिसर्चर्स की टीम ने Lancet जर्नल में स्टडी प्रकाशित की है।
फर्टिलिटी रेट घटने और आबादी में काफी लोगों के उम्र दराज होने की वजह से दुनिया की जनसंख्या में धीमी बढ़ोतरी होगी। फिलहाल दुनिया की आबादी करीब 7 अरब 80 करोड़ है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस शताब्दी के अंत तक 195 में से 183 देशों में आबादी घटेगी। इसके पीछे बड़ी संख्या में प्रवासियों को आने से रोकने को भी वजह बताया गया है।जापान, स्पेन, इटली, थाइलैंड, पुर्तगाल, साउथ कोरिया, पोलैंड सहित करीब 20 देशों की आबादी अगले 80 साल में आधी हो जाएगी। चीन की आबादी अगले 80 साल में एक अरब 40 करोड़ से घटकर 73 करोड़ हो जाएगी।वहीं, उप-सहारा अफ्रीका की आबादी करीब तीन गुनी होकर 3 अरब तक हो जाएगी। अकेले नाइजीरिया की आबादी 80 करोड़ होगी, जबकि भारत एक अरब 10 करोड़ के साथ पहले नंबर पर रहेगा।रिसर्च के प्रमुख लेखक क्रिस्टोफर मुरेय कहते हैं कि यह डेटा पर्यावरण के लिए अच्छी खबर है। इससे फूड प्रोडक्शन पर दबाव घटेगा। कार्बन उत्सर्जन कम होगा। हालांकि, उन्होंने कहा कि कई देशों में आबादी घटने नई चुनौती पैदा होगी।
फर्टिलिटी रेट घटने और आबादी में काफी लोगों के उम्र दराज होने की वजह से दुनिया की जनसंख्या में धीमी बढ़ोतरी होगी। फिलहाल दुनिया की आबादी करीब 7 अरब 80 करोड़ है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस शताब्दी के अंत तक 195 में से 183 देशों में आबादी घटेगी। इसके पीछे बड़ी संख्या में प्रवासियों को आने से रोकने को भी वजह बताया गया है।जापान, स्पेन, इटली, थाइलैंड, पुर्तगाल, साउथ कोरिया, पोलैंड सहित करीब 20 देशों की आबादी अगले 80 साल में आधी हो जाएगी। चीन की आबादी अगले 80 साल में एक अरब 40 करोड़ से घटकर 73 करोड़ हो जाएगी।वहीं, उप-सहारा अफ्रीका की आबादी करीब तीन गुनी होकर 3 अरब तक हो जाएगी। अकेले नाइजीरिया की आबादी 80 करोड़ होगी, जबकि भारत एक अरब 10 करोड़ के साथ पहले नंबर पर रहेगा।रिसर्च के प्रमुख लेखक क्रिस्टोफर मुरेय कहते हैं कि यह डेटा पर्यावरण के लिए अच्छी खबर है। इससे फूड प्रोडक्शन पर दबाव घटेगा। कार्बन उत्सर्जन कम होगा। हालांकि, उन्होंने कहा कि कई देशों में आबादी घटने नई चुनौती पैदा होगी।