AMAR UJALA : Sep 04, 2020, 09:13 AM
Delhi: खगोल विज्ञान की दुनिया में वैज्ञानिकों ने एक हैरानजनक खुलासा किया है। शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि चंद्रमा पर जंग लग रहा है और इसके लिए पृथ्वी जिम्मेदार हो सकती है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चंद्रयान-1 के ऑर्बिटर के आंकड़ों के अध्ययन के बाद ये खुलासा हुआ है कि चंद्रमा के ध्रुव अन्य हिस्सों की तुलना पूरी तरह अलग है।
चंद्रयान-1 के मून मिनरोलॉजी मैपर के आंकड़ों के अध्ययन के बाद दावायूनिवर्सिटी ऑफ हवाई के इंस्टीट्यूट ऑफ जियो फिजिक्स एंड प्लेनेटोलॉजी की शोधकर्ता शुआ ली ने अध्ययन में पाया है कि चंद्रमा के उच्च अक्षांशों पर लौह खनिज मिला है। लोहा ऑक्सीजन के साथ तेजी से रिएक्ट करता है और लाल रंग की जंग को तैयार कर लेता है जो आमतौर पर पृथ्वी पर देखने को मिलता है। लु ने ये दावा चंद्रयान-1 के मून मिनरोलॉजी मैपर इंस्ट्रमेंट (एम3) के अध्ययन के बाद किया है।एम3 को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने दक्षिणी कैलिफोर्निया के जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी (जेपीएल) में तैयार किया था। लु के अनुसार पानी चट्टानों के साथ मिलकर कई तरह के खनिज तैयार करता है। एम3 ने स्प्रेक्ट्रा या उस रोशनी का पता लगाया है जो चांद की सतह पर पहुंच रही है। इससे पता चलता है कि चंद्रमा के ध्रुव उसके बाकी हिस्सों की तुलना में बहुत अलग थे।
जंग कैसे लग रहा, इस पर मंथनचंद्रमा पर ऑक्सीजन या पानी की मौजूदगी की संभावना नहीं है ऐसे में सवाल उठता है कि जंग कैसे लग रही है। रहस्य की शुरुआत सौर्य हवा से हुई जो जिसमें कई तरह के चार्ज कण होते हैं जो सूर्य से उड़कर पृथ्वी और चंद्रमा पर हाईड्रोजन के साथ हमला करते हैं। हाईड्रोजन हेमाटाइट बनाने का प्रमुख कारक है यानि वो तत्त्वों से इलेक्ट्रॉन को जोड़ता है जिस कारण ऐसा हो सकता है।
कयास की वहां खनिज के प्रकार होंजेपीएल के वैज्ञानिक एबीग्रल फ्रेमैन का कहना है कि मैं इसपर विश्वास नहीं करता क्योंकि चंद्रमा में जो स्थिति है उस आधार पर ऐसा संभव नहीं है। चंद्रमा पर जब पानी की मौजूदगी का पता चला तब से लोग कयास लगा रहे हैं कि वहां खनिज के अलग-अलग प्रकार हों जो पानी और चट्टानों से रिएक्ट कर रहा हो। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बात पर मंथन की जरूरत है आखिर चंद्रमा पर ही ऐसा क्यों हो रहा है।
चंद्रयान-1 के मून मिनरोलॉजी मैपर के आंकड़ों के अध्ययन के बाद दावायूनिवर्सिटी ऑफ हवाई के इंस्टीट्यूट ऑफ जियो फिजिक्स एंड प्लेनेटोलॉजी की शोधकर्ता शुआ ली ने अध्ययन में पाया है कि चंद्रमा के उच्च अक्षांशों पर लौह खनिज मिला है। लोहा ऑक्सीजन के साथ तेजी से रिएक्ट करता है और लाल रंग की जंग को तैयार कर लेता है जो आमतौर पर पृथ्वी पर देखने को मिलता है। लु ने ये दावा चंद्रयान-1 के मून मिनरोलॉजी मैपर इंस्ट्रमेंट (एम3) के अध्ययन के बाद किया है।एम3 को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने दक्षिणी कैलिफोर्निया के जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी (जेपीएल) में तैयार किया था। लु के अनुसार पानी चट्टानों के साथ मिलकर कई तरह के खनिज तैयार करता है। एम3 ने स्प्रेक्ट्रा या उस रोशनी का पता लगाया है जो चांद की सतह पर पहुंच रही है। इससे पता चलता है कि चंद्रमा के ध्रुव उसके बाकी हिस्सों की तुलना में बहुत अलग थे।
जंग कैसे लग रहा, इस पर मंथनचंद्रमा पर ऑक्सीजन या पानी की मौजूदगी की संभावना नहीं है ऐसे में सवाल उठता है कि जंग कैसे लग रही है। रहस्य की शुरुआत सौर्य हवा से हुई जो जिसमें कई तरह के चार्ज कण होते हैं जो सूर्य से उड़कर पृथ्वी और चंद्रमा पर हाईड्रोजन के साथ हमला करते हैं। हाईड्रोजन हेमाटाइट बनाने का प्रमुख कारक है यानि वो तत्त्वों से इलेक्ट्रॉन को जोड़ता है जिस कारण ऐसा हो सकता है।
कयास की वहां खनिज के प्रकार होंजेपीएल के वैज्ञानिक एबीग्रल फ्रेमैन का कहना है कि मैं इसपर विश्वास नहीं करता क्योंकि चंद्रमा में जो स्थिति है उस आधार पर ऐसा संभव नहीं है। चंद्रमा पर जब पानी की मौजूदगी का पता चला तब से लोग कयास लगा रहे हैं कि वहां खनिज के अलग-अलग प्रकार हों जो पानी और चट्टानों से रिएक्ट कर रहा हो। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बात पर मंथन की जरूरत है आखिर चंद्रमा पर ही ऐसा क्यों हो रहा है।