योजना / ग्राहकों पर महंगाई का बोझ एक बार में ना हो इसलिए जीएसटी दरों में धीरे-धीरे होगी बढ़ोतरी

सरकार गुड्स एवं सर्विस टैक्स की दरों में धीरे-धीरे बढ़ोतरी करने की योजना बना रही है, जिससे ग्राहकों की जेब पर अचानक से बोझ न पड़े और चीजों के दाम बढ़ने से ग्राहकों को झटका न लगे। सरकार टैक्स रेवेन्यू कलेक्शन बढ़ाने के लिए कई उत्पादों को छूट के दायरे से हटाकर टैक्स के दायरे में ला सकता है। राज्यों और केंद्र के अधिकारियों को मिलाकर तैयार किया गया एक पैनल फिलहाल जीएसटी के मौजूदा रेट स्ट्रक्चर को रिव्यू कर रहा है।

Dainik Bhaskar : Jan 02, 2020, 04:42 PM
नई दिल्ली. सरकार गुड्स एवं सर्विस टैक्स की दरों में धीरे-धीरे बढ़ोतरी करने की योजना बना रही है, जिससे ग्राहकों की जेब पर अचानक से बोझ न पड़े और चीजों के दाम बढ़ने से ग्राहकों को झटका न लगे। सरकार टैक्स रेवेन्यू कलेक्शन बढ़ाने के लिए कई उत्पादों को छूट के दायरे से हटाकर टैक्स के दायरे में ला सकता है। राज्यों और केंद्र के अधिकारियों को मिलाकर तैयार किया गया एक पैनल फिलहाल जीएसटी के मौजूदा रेट स्ट्रक्चर को रिव्यू कर रहा है।

निचले ब्रैकिट से उठाकर ऊपरी ब्रैकिट में डाले जाएंगे कई उत्पाद

इकोनॉमिक टाम्स की खबर के मुताबिक, ऐसा माना जा रहा है कि रेट में बढ़ोतरी को ऐसे अंजाम दिया जाएगा जिससे किसी को नुकसान न हो। इसके लिए या तो निचली दरों को बढ़ाया जाएगा या कुछ उत्पादों को निचले ब्रैकेट से उठाकर ऊपरी ब्रैकेट में डाला जाएगा। करीब 150 आइटम्स जीएसटी की एग्जेम्पशन लिस्ट में हैं। इनमें से कुछ को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार किया जा सकता है। अभी 260 से ज्यादा आइटम्स पर 5 फीसदी जीएसटी लगता है।

लक्ष्य से पीछे चल रहा है जीएसटी कलेक्शन

जीएसटी कलेक्शन इस वित्त वर्ष में अब तक औसतन 1,00,646 करोड़ रुपए पर रहा है, जो बजट टारगेट पूरा करने के लिहाज से करीब 1.12 लाख करोड़ रुपए महीना कम है। समिति के सुझावों पर जीएसटी काउंसिल अगली मीटिंग में विचार कर सकती है। जीएसटी काउंसिल सेक्रेटरिएट ने राज्यों से 27 नवंबर को कहा था कि वे रेवेन्यू बढ़ाने के उपाय बताएं। उनसे रेट्स में बदलाव करने और छूट वाले आइटम्स की संख्या कम करने के बारे में भी सुझाव मांगे गए थे। अभी जीएसटी में सात रेट कैटेगरी हैं। इनमें छूट वाली कैटेगरी के अलावा, 0.25%, 3%, 5%, 12%, 18% और 28% वाली श्रेणियां हैं। अधिकारियों का समूह वस्तुओं और सेवाओं, दोनों के मामले में छूट वाले आइटम्स को घटाने के तरीके पर विचार कर रहा है।