Vikrant Shekhawat : Jan 14, 2024, 02:45 PM
UNSC Member: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत का कद विश्व में लगातार बढ़ता जा रहा है। पीएम मोदी के करिश्माई नेतृत्व पर दुनिया के कई बड़े देश फिदा हो चुके हैं। इनमें अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन से लेकर जापान, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और सऊदी अरब जैसे ताकतवर देशों का नाम शामिल है। इसीलिए अब भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का स्थाई सदस्य बनानए जाने की मांग ने जोर पकड़ लिया है। भारत का समर्थन करने वाले देशों की इस कड़ी में अब बेल्जियम का नाम भी जुड़ गया है। बेल्जियम के पूर्व प्रधानमंत्री यवेस लेटरमे ने भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का स्थायी सदस्य बनाए जाने की पुरजोर वकालत करते हुए कहा है कि इस तरह के कदम से परिषद की वैधता और प्रतिनिधित्व में बढ़ोतरी होगी। इधर भारत के प्रति लगातार बढ़ रहे समर्थन से चीन चिंतित होने लगा है। यूएनएससी में सिर्फ चीन इकलौता देश है, जो भारत की स्थाई सदस्यता का विरोध करता है। लेटरमे ने ‘ कहा कि यूएनएससी को 21वीं सदी की वास्तविकताओं के अनुरूप ढलने की आवश्यकता है। उन्होंने भारत के भू-राजनीतिक कद को ऊंचा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि देश ने बहुपक्षीय परिदृश्य में मजबूत स्थिति बना ली है। लेटरमे ने संपर्क सुविधा की नयी पहल ‘भारत पश्चिम एशिया यूरोप आर्थिक गलियारे’ (आईएमईसी) की सराहना की और उसे चीन की ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल (बीआरआई) का पूरक बताया। उन्होंने कहा, ‘‘यह गलियारा चीन की पहल का पूरक है और उसे पूर्ण करता है।’’ लेटरमे ने यूक्रेन-रूस संघर्ष के भू-राजनीतिक परिणाम का जिक्र करते हुए बहुपक्षीय संस्थानों में अधिक न्यायसंगत भूमिकाएं दिए जाने की वकालत की। उन्होंने विशेष रूप से भारत, ब्राजील और अफ्रीकी देशों की अधिक भागीदारी का आग्रह किया।भारत के साथ ब्राजील की दावेदारी भी मजबूतलेटरमे ने बहुपक्षवाद में भारत की अधिक प्रमुख भूमिका की अनिवार्यता पर प्रकाश डालते हुए कहा, ‘‘यदि (संयुक्त राष्ट्र) सुरक्षा परिषद का विस्तार कर इसके पांच स्थायी सदस्यों (रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और अमेरिका) के अलावा भारत और ब्राजील को भी शामिल किया जाता है, तो परिषद द्वारा किए गए कार्यों की वैधता बढ़ जाएगी और यह बेहतर प्रतिनिधित्व करेगा। आप 21वीं सदी की समस्याओं को 20वीं सदी की व्यवस्थाओं और समाधानों से नहीं निपटा सकते।’’ लेटरमे ने यूएनएससी की स्थायी सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी का समर्थन करते हुए कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को पुनर्गठित करने की जरूरत है ताकि भारत, ब्राजील और कुछ अन्य उभरते देशों को अपनी बात कहने और निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रभावित करने का अधिकार मिल सके।’’