Border-Gavaskar Trophy / 4 सालों से टीम इंडिया के बल्लेबाजों को सता रही है ये 'बीमारी'- ऐसे तो BGT नहीं जीत पाएंगे

एडिलेड में पिंक बॉल टेस्ट में भारतीय टीम को करारी हार झेलनी पड़ी। बल्लेबाजों की खराब फॉर्म ने टीम को मुश्किल में डाल दिया। पिछले 4 सालों में 35 से कम औसत वाले बल्लेबाजों की सूची में कई भारतीय खिलाड़ी शामिल हैं। यह 'बीमारी' टीम की सफलता में बाधा बन रही है।

Vikrant Shekhawat : Dec 09, 2024, 05:00 PM
Border-Gavaskar Trophy: भारतीय क्रिकेट टीम ने हाल ही में पर्थ टेस्ट में शानदार जीत दर्ज की, लेकिन एडिलेड में पिंक बॉल टेस्ट के दौरान करारी हार का सामना करना पड़ा। इस हार की सबसे बड़ी वजह टीम के बल्लेबाजों का निराशाजनक प्रदर्शन रहा। पूरी टीम दोनों पारियों में 200 रन के भीतर सिमट गई, और एक भी बल्लेबाज अर्धशतक तक नहीं पहुंच सका। कप्तान रोहित शर्मा ने भी स्वीकार किया कि बल्लेबाजी टीम का कमजोर पक्ष साबित हुई।

भारतीय बल्लेबाजों की चार साल पुरानी ‘बीमारी’

हाल के वर्षों में भारतीय बल्लेबाजों की औसत लगातार गिरावट का सामना कर रही है। पिछले चार वर्षों (2020 से) में, भारतीय टीम एकमात्र ऐसी टीम बन गई है जिसमें 1000 से अधिक रन बनाने के बावजूद 35 से कम औसत वाले सबसे ज्यादा बल्लेबाज हैं। इस सूची में विराट कोहली, केएल राहुल और चेतेश्वर पुजारा जैसे नाम शामिल हैं।

  • विराट कोहली: 32.15 की औसत से रन बनाए।
  • केएल राहुल: 33 की औसत।
  • चेतेश्वर पुजारा: 29.69 की औसत (फिलहाल टीम का हिस्सा नहीं)।
इसके अलावा, कप्तान रोहित शर्मा ने पिछले चार वर्षों में 37.66 की औसत से रन बनाए, जो उनकी प्रतिभा के अनुरूप नहीं है। शुभमन गिल, जिन्होंने 2020 में टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया था, उन्होंने 36.45 की औसत से बैटिंग की है। वहीं ऋषभ पंत, जिनसे उम्मीदें अधिक थीं, उनका प्रदर्शन भी औसत के इर्द-गिर्द ही रहा है।

इस साल का निराशाजनक प्रदर्शन

साल 2024 में भारतीय टीम के प्रमुख बल्लेबाजों का प्रदर्शन और भी निराशाजनक रहा।

  • रोहित शर्मा: 23 पारियों में 27.2 की औसत से 598 रन।
  • विराट कोहली: 16 पारियों में 26.6 की औसत से 373 रन।
  • केएल राहुल: 12 पारियों में 34.6 की औसत से 381 रन।
  • ऋषभ पंत: 39.2 की औसत से 509 रन।

50 ओवर भी नहीं खेल पा रही टीम

टीम इंडिया का प्रदर्शन टेस्ट क्रिकेट में इस हद तक गिर चुका है कि कई बार पूरी पारी 50 ओवर के भीतर सिमट जाती है। न्यूजीलैंड के खिलाफ हालिया सीरीज में, भारतीय टीम तीन बार 50 ओवर के भीतर आउट हो गई। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मौजूदा सीरीज में भी चार में से दो पारियों में बल्लेबाज 50 ओवर तक टिक नहीं सके।

सीरीज पर मंडरा रहा संकट

बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में अब तीन मुकाबले बचे हैं, और भारतीय टीम को विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने के लिए सभी में जीत हासिल करनी होगी। हालांकि, बल्लेबाजों की मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह लक्ष्य बेहद कठिन नजर आता है। टीम को जीत की राह पर लौटने के लिए अपने बल्लेबाजों को अपनी कमजोरी को तुरंत दूर करना होगा।

यदि भारतीय बल्लेबाजों की यह ‘बीमारी’ जारी रही, तो ऑस्ट्रेलिया में तीसरी बार बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जीतने का सपना अधूरा ही रह जाएगा। अब समय है कि टीम अपने बल्लेबाजी क्रम को मजबूत करे और अगले मुकाबलों में नए जोश और आत्मविश्वास के साथ मैदान में उतरे।