Khamenei on Syria Coup / क्या मुस्लिम मुल्क ने ईरान को दिया धोखा? खामेनेई का बड़ा इशारा

ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई ने सीरिया में तख्तापलट को अमेरिका और इजराइल की साजिश बताया। उन्होंने कहा कि सीरिया के एक पड़ोसी देश ने इसमें अहम भूमिका निभाई। खामेनेई के बयान से जॉर्डन और तुर्किए पर शक गहराया है। यह घटना मिडिल ईस्ट में नई हलचल पैदा कर सकती है।

Vikrant Shekhawat : Dec 12, 2024, 01:00 AM
Khamenei on Syria Coup: ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई ने सीरिया में हालिया तख्तापलट पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने स्पष्ट रूप से अमेरिका और इजराइल को इस घटना का मुख्य साजिशकर्ता करार दिया। खामेनेई ने अपने संबोधन में कहा कि "किसी को भी इस बात पर संदेह नहीं होना चाहिए कि सीरिया में जो कुछ हुआ है, वह अमेरिका और इजराइल की गहरी साजिश का हिस्सा है।"

साजिश में पड़ोसी मुल्क की भूमिका

अपने बयान में खामेनेई ने अमेरिका और इजराइल के साथ-साथ सीरिया के एक पड़ोसी देश पर भी आरोप लगाए। उन्होंने बिना नाम लिए कहा कि, "सीरिया के एक पड़ोसी मुल्क ने इस साजिश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और यह अब भी ऐसा कर रहा है।" इस बयान ने वैश्विक और क्षेत्रीय हलकों में चर्चा को और गर्म कर दिया है कि खामेनेई का इशारा किस देश की ओर है।

सीरिया के संभावित पड़ोसी मुल्क

सीरिया के पड़ोसी देशों में लेबनान, इजराइल, जॉर्डन, इराक, और तुर्किए शामिल हैं। लेबनान में हिज़बुल्लाह की मजबूत उपस्थिति और इराक के ईरान के साथ अच्छे संबंधों को देखते हुए इन देशों पर संदेह कम है। लेकिन जॉर्डन और तुर्किए का नाम इन घटनाओं में बार-बार उभरकर सामने आ रहा है।

जॉर्डन की भूमिका पर सवाल

जॉर्डन के इतिहास और उसकी भूमिका को देखते हुए इस मुल्क पर शक की सुई घूम रही है। जॉर्डन लंबे समय से अमेरिका का करीबी रहा है और इजराइल की मदद करता रहा है।

  • जॉर्डन का इजराइल से गठजोड़: जॉर्डन ने पहले भी इजराइल के साथ सहयोग करते हुए ईरान के मिसाइल और ड्रोन हमलों को इंटरसेप्ट किया है।
  • अमेरिकी सैन्य अड्डा: जॉर्डन में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति भी इसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाती है।
  • शरणार्थियों की समस्या: जॉर्डन में बड़ी संख्या में फिलिस्तीनी और सीरियाई शरणार्थी रहते हैं। इन शरणार्थियों की उपस्थिति ने देश के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य को जटिल बना दिया है।

तुर्किए पर गहराते आरोप

दूसरी ओर, तुर्किए का सीरिया के साथ सबसे लंबा 909 किलोमीटर का सीमा क्षेत्र है। तुर्किए की गतिविधियां और राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन के बयान इस ओर इशारा करते हैं कि तुर्किए भी इस तख्तापलट में अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हो सकता है।

  • कुर्द मुद्दा और उत्तरी सीरिया: तुर्किए लंबे समय से कुर्द लड़ाकों के खिलाफ सैन्य अभियान चला रहा है। सीरिया के भीतर तख्तापलट से कुर्दों पर दबाव बढ़ सकता है, जो तुर्किए के लिए लाभकारी होगा।
  • सीरियाई शरणार्थी संकट: तुर्किए में 32 लाख से अधिक सीरियाई शरणार्थी रहते हैं। एर्दोआन ने हाल ही में सीरिया के साथ सीमा खोलने की घोषणा की है, जिससे शरणार्थियों की स्वैच्छिक वापसी सुनिश्चित हो सके।
  • इजराइल से व्यापारिक संबंध: भले ही एर्दोआन सार्वजनिक रूप से इजराइल के खिलाफ बयान देते हैं, लेकिन उनके व्यापारिक संबंध अक्सर विरोधाभासी नजर आते हैं।

ईरान का आरोप: एक जटिल समीकरण

ईरान ने न केवल अमेरिका और इजराइल को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है, बल्कि उसने क्षेत्रीय राजनीति को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है। ईरान के पास कथित रूप से ऐसे सबूत हैं जो इन आरोपों को मजबूत करते हैं।

क्या है सीरिया के तख्तापलट का भविष्य?

सीरिया में सत्ता पलटने की इन घटनाओं से असद सरकार और क्षेत्रीय स्थिरता पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। अमेरिका और इजराइल पर लगाए गए आरोप मध्य-पूर्व में पहले से ही तनावपूर्ण रिश्तों को और खराब कर सकते हैं।

निष्कर्ष

ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई का बयान न केवल सीरिया के तख्तापलट के पीछे की साजिश को उजागर करता है, बल्कि यह मध्य-पूर्व में जटिल भू-राजनीति को भी रेखांकित करता है। अमेरिका और इजराइल के साथ-साथ जॉर्डन और तुर्किए पर लग रहे आरोप यह दर्शाते हैं कि सीरिया संकट केवल एक देश का आंतरिक मामला नहीं है, बल्कि वैश्विक और क्षेत्रीय शक्तियों के टकराव का केंद्र बन चुका है।