देश / बिहार के तीन जजों को काठमांडू के होटल में महिला के साथ पकड़ा, हुए सेवा से बर्खास्त

बिहार सरकार ने सोमवार को निचली अदालत के तीन जजों को अनुचित आचरण के लिए सेवा से बर्खास्त कर दिया। तीनों जजों को जनवरी 2013 में नेपाल के काठमांडू के एक होटल के कमरे में एक महिला के साथ पकड़ा गया था। उसी घटना के संबंध में, तीनों न्यायाधीशों को बिहार सरकार द्वारा सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है।

Vikrant Shekhawat : Dec 23, 2020, 11:21 AM
बिहार सरकार ने सोमवार को निचली अदालत के तीन जजों को अनुचित आचरण के लिए सेवा से बर्खास्त कर दिया। तीनों जजों को जनवरी 2013 में नेपाल के काठमांडू के एक होटल के कमरे में एक महिला के साथ पकड़ा गया था। उसी घटना के संबंध में, तीनों न्यायाधीशों को बिहार सरकार द्वारा सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है।

बिहार सरकार ने जिन न्यायाधीशों को बर्खास्त किया था, उनमें समस्तीपुर के परिवार न्यायालय के तत्कालीन न्यायाधीश हरि निवास गुप्ता, अररिया के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोमल राम और अररिया के तत्कालीन अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश जितेंद्र नाथ सिंह शामिल हैं।

सेवा से इन तीनों की बर्खास्तगी 12 फरवरी, 2014 से लागू होगी, जब राज्य सरकार ने पहली बार पटना उच्च न्यायालय की सिफारिश पर अनुशासनात्मक जांच के बिना सेवा से बर्खास्त कर दिया था। राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में, यह स्पष्ट किया गया है कि तीन न्यायाधीशों को सेवा से बर्खास्त करने के बाद, सभी किसी भी तरह की सुविधा के हकदार नहीं होंगे।

मामला तब सामने आया जब 29 जनवरी, 2013 को काठमांडू के एक होटल में तीन जजों को महिला के साथ पकड़ा गया। उस समय, पटना उच्च न्यायालय ने इस पूरे मामले का संज्ञान लिया था और जाँच का निर्देश दिया था। इसमें तीनों दोषी पाए गए। 12 फरवरी, 2014 को जांच के बाद, उच्च न्यायालय ने बिहार सरकार से सिफारिश की कि तीनों न्यायाधीशों को सेवा से बर्खास्त किया जाए।

उस समय, तीन न्यायाधीशों ने सेवा से बर्खास्तगी के फैसले को चुनौती दी थी और आरोप लगाया था कि बर्खास्तगी उनके खिलाफ किसी भी जांच के बिना की गई थी। इसके बाद, पटना उच्च न्यायालय ने 5 न्यायाधीशों की एक समिति बनाई और फिर से इन तीन न्यायाधीशों को बर्खास्त करने का आदेश जारी किया।

इस फैसले को तीन जजों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और उस समय सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। 8 नवंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाने के अपने फैसले को वापस ले लिया, जिसके बाद बिहार सरकार ने सोमवार को इन तीनों को सेवा से बर्खास्त करने के लिए एक अधिसूचना जारी की।