Vikrant Shekhawat : Apr 09, 2021, 10:03 AM
मुंबई: कोरोना वायरस संक्रमण की बेकाबू रफ्तार के बीच महानगरों और बड़े शहरों से प्रवासी मजदूरों का पलायन एक बार फिर शुरू हो गया है। बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों पर भीड़ बढ़ने लगी है, जो 2020 में लॉकडाउन के बाद के हालात की याद दिलाता है, जब अपने घर जाने के लिए बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों पर पहुंच गए थे और जिन्हें साधन नहीं मिला, वे पैदल ही मीलों दूर अपने गांव-घर लौट चले थे।देश में कोविड-19 के मामलों में जनवरी-फरवरी में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई थी, लेकिन मार्च के बाद जब एक बार फिर संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी शुरू हुई तो इसकी रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है। ऐसे में कई जगह प्रतिबंधों की घोषणा की गई है। कहीं साप्ताहिक लॉकडाउन की घोषणा की गई है तो कहीं नाइट कर्फ्यू की। हालात बिगड़ते देख प्रवासी मजदूरों में एक बार फिर लॉकडाउन के हालात को लेकर डरे हुए हैं।कोविड-19 के कारण जब बीते साल मार्च में लॉकडाउन की घोषणा की गई थी, मुंबई और दिल्ली के साथ-साथ देश के कई बड़े शहरों से मजदूरों का पलायन हुआ था। हालांकि अक्टूबर-नवंबर तक संक्रमण के मामलों में कमी और आर्थिक गतिविधियों का संचालन शुरू होने के बाद प्रवासी मजदूर काम की तलाश में एक बार फिर शहरों में लौटने लगे थे। लेकिन अब कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच एक बार वही हालात नजर आ रहे हैं।महाराष्ट्र, पंजाब, दिल्ली, तेलंगाना, गुजरात से सैकड़ों मजदूर रोजाना अपने गांव-घर की ओर लौट रहे हैं। यहां से निकलने वाली ट्रेनें और बसें यात्रियों से भरी हैं। कई जगह 30 अप्रैल तक नाइट कर्फ्यू लगा दिया गया है, जिसकी वजह से नाइट शिफ्ट में काम करने वाले असंगठित क्षेत्र के उन कामगारों के समक्ष रोजगार का संकट पैदा हो गया है, जो आवश्यक सेवा से नहीं जुड़े हैं।मुंबई से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के लिए ट्रेन में रवाना हुए एक प्रवासी कामगार ने भी पलायन के लिए यहां संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी को जिम्मेदार ठहराया। वहीं, एक अन्य प्रवासी कामगार ने कहा, 'फिलहाल यहां नाइट कर्फ्यू लगा है। आने वाले दिनों में लॉकडाउन भी लगाया जा सकता है। उस वक्त अफरा-तफरी की स्थिति से बचने के लिए हम अभी ही यूपी में अपने घर के लिए निकल रहे हैं।लॉकडाउन की आशंका से पलायन करने वाले अधिकांश प्रवासी मजदूर निर्माण कार्यों, मझोले व लघु उद्यमों से जुड़े हैं। बड़े शहरों में घरेलू सहायक के तौर पर काम करने वाले प्रवासी मजदूर भी पलायन कर रहे हैं।