Vikrant Shekhawat : Apr 15, 2021, 09:23 PM
नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को पिछले साल उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के मामले में आरोपी जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को जमानत दे दी। कोर्ट ने कहा कि उमर खालिद को केवल इस बात के लिए जेल में कैद करके नहीं रखा जा सकता है कि भीड़ में शामिल अन्य लोगों की पहचान की जाए और उन्हें मामले में गिरफ्तार किया जाए।उमर खालिद पर इन दंगों की साजिश रचने का आरोप है। पुलिस ने कहा था कि दंगों से पहले 8 जनवरी 2020 को खालिद ने ताहिर हुसैन व अन्य से शाहीन बाग इलाके में मुलाकात कर दंगों की साजिश रची। इसके लिए पहले से तैयार रहने की योजना भी बनाई गई। दिल्ली पुलिस ने खालिद को हिंसा की साजिश में सक्रिय भूमिका निभाने के आरोप में आतंकवाद निरोधक कानून (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया था।गौरतलब है कि नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच संघर्ष के बाद पिछले साल 24 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, घोंडा, चांदबाग, शिव विहार, भजनपुरा, यमुना विहार इलाकों में साम्प्रदायिक दंगे भड़क गए थे। इस हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से अधिक लोग घायल हो गए थे। साथ ही सरकारी और निजी संपत्तियों को भी काफी नुकसान पहुंचा था। उग्र भीड़ ने कुछ स्कूलों सहित मकानों, दुकानों, वाहनों, एक पेट्रोल पम्प को फूंक दिया था और स्थानीय लोगों तथा पुलिस कर्मियों पर पथराव किया।इस दौरान राजस्थान के सीकर के रहने वाले दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की 24 फरवरी 2020 को गोकलपुरी में हुई हिंसा के दौरान गोली लगने से मौत हो गई थी और डीसीपी और एसीपी सहित कई पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल गए थे। साथ ही आईबी अफसर अंकित शर्मा की हत्या करने के बाद उनकी लाश नाले में फेंक दी गई थी।