दिल्ली हिंसा / UAPA मामले में 22 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेजे गए उमर खालिद

दिल्ली की एक अदालत ने फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा से संबंधित मामले में कठोर आतंकवाद रोधी कानून, गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किये गए जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को गुरुवार को 22 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

News18 : Sep 24, 2020, 04:17 PM
नई दिल्ली। दिल्ली (Delhi) की एक अदालत ने फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली (North-East Delhi) में हुई सांप्रदायिक हिंसा (Communal Violence) से संबंधित मामले में कठोर आतंकवाद रोधी कानून, गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (Unlawful Activities (Prevention) Act) के तहत गिरफ्तार किये गए जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (Jawaharlal Nehru University) के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद (Umar Khalid) को गुरुवार को 22 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

पुलिस हिरासत की अवधि पूरी होने के बाद खालिद को वीडियो कांफ्रेंस के जरिये अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के समक्ष पेश किया गया था। खालिद को 13 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने उनकी और हिरासत नहीं मांगी। पुलिस ने प्राथमिकी में दावा किया है कि सांप्रदायिक हिंसा 'पूर्व-नियोजित साजिश' थी, जिसे कथित रूप से खालिद और दो अन्य लोगों ने अंजाम दिया था। खालिद के खिलाफ राजद्रोह, हत्या, हत्या का प्रयास, धर्म के आधार पर विभिन्न समुदायों के बीच द्वेष पैदा करने और दंगा भड़काने के आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया है।

खालिद पर लगे हैं ये आरोप

प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि खालिद ने कथित रूप से दो अलग-अलग जगहों पर भड़काऊ भाषण दिये और लोगों से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) की यात्रा के दौरान सड़कों पर उतरने और उन्हें जाम करने की अपील की ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह दुष्प्रचार किया जा सके कि भारत में अल्पसंख्यकों (Minorities in India) पर अत्याचार किया जा रहा है।

प्राथमिकी के अनुसार इस षड़यंत्र को अंजाम तक पहुंचाने के लिये कई घरों में हथियार, पेट्रोल बम, तेजाब की बोतलें और पत्थर जमा किये गए।


पुलिस ने लगाए हैं आरोप

पुलिस का आरोप है कि सह-आरोपी दानिश को कथित रूप से दो अलग-अलग जगहों पर लोगों को जमा करने और दंगा भड़काने की जिम्मेदारी दी गई थी। प्राथमिकी में कहा गया है कि 23 फरवरी को महिलाओं और बच्चों को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन (Zafarabad Metro Station) के नीचे सड़क बंद करने के लिये कहा गया ताकि आसपास रह रहे लोगों के बीच तनाव उत्पन्न किया जा सके।

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी को नागरिकता कानून (Citizenship Act) के समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसा भड़कने के बाद सांप्रदायिक झड़पें शुरू हो गई थीं। इस दौरान कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 200 लोग घायल हो गए थे।