दुनिया / UN ने कहा- कोरोना के नाम पर चीन-भारत समेत कई एशियाई देशों में मानवाधिकार हनन

संयुक्त राष्ट्र की एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि चीन और भारत समेत कई एशियाई देश अपने यहां कोरोनावायरस के नाम पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगाम कस रहे हैं। सख्त प्रतिबंध लगा रहे हैं। जबरदस्ती गिरफ्तारियां हो रही हैं। लोग हिरासत में डाले जा रहे हैं। ये बेहद गलत कदम है। ये मानवाधिकारों के खिलाफ है।

AajTak : Jun 04, 2020, 12:11 PM
दिल्ली:  संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि चीन और भारत समेत कई एशियाई देश अपने यहां कोरोनावायरस के नाम पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगाम कस रहे हैं। सख्त प्रतिबंध लगा रहे हैं। जबरदस्ती गिरफ्तारियां हो रही हैं। लोग हिरासत में डाले जा रहे हैं। ये बेहद गलत कदम है। ये मानवाधिकारों के खिलाफ है। सरकारों को इस तरफ ध्यान देना चाहिए।

यूएन राइट्स प्रमुख मिशेल बैशलेट ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि एशियाई देशों में उन लोगों के साथ ज्यादती हो रही है, जो अपनी सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। इसकी वजह से गिरफ्तारियां हो रही हैं। साथ ही लोग हिरासत में डाले जा रहे हैं। जबकि, पीड़ित लोग सिर्फ जानकारियां और सूचनाएं शेयर कर रहे थे।

एशिया के 12 देशों में हो रहा अधिकारों का हनन


मिशेल ने कहा कि बांग्लादेश, कंबोडिया, चीन, भारत, इंडोनेशिया, मलेशिया, नेपाल, म्यांमार, फिलीपींस, श्रीलंका, थाईलैंड और वियनाम में उन लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है, जो सोशल मीडिया के जरिए सूचनाएं दे रहे हैं। जबकि, उनपर आरोप लगाया जाता है कि वे प्रेस और सोशल मीडिया के जरिए झूठी सूचनाएं और अफवाहें फैला रहे हैं।


अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत फैलना ठीक नहीं

यूएन हाई कमिश्नर मिशेल ने कहा कि ये जरूरी है कि गलत सूचनाओं को रोकना चाहिए ताकि आम जनता की सेहत और सुरक्षा का ख्याल रखा जा सके। लेकिन इसके नाम पर अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत फैलाना या कार्रवाई सही नहीं है।

मिशेन बैशलेट ने कहा कि सरकारों के पास कार्रवाई करने का कानूनी अधिकार है ताकि गलत सूचनाएं और अफवाहें न फैलें लेकिन उन्हें समाज के हर हिस्से की संवेदनशीलता और कार्रवाई की तीव्रता का ध्यान रखकर कदम उठाना होगा। मिशेल बैशलेट ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के नाम पर सूचनाओं के सहज आदान-प्रदान, प्रवाह और स्वतंत्र अभिव्यक्ति पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिए। चीन पर तो मिशेल काफी नाराज नजर आईं।


इन देशों में हालत हो चुकी है खराब

मिशेल ने कहा कि मुझे सूचना मिली है कि चीन में एक दर्जन से ज्यादा मेडिकल प्रोफेशनल्स, एकेडेमिक और आम इंसानों को हिरासत में लिया गया है। कुछ पर आरोप लगाया गया कि वे अपने विचार या सूचनाएं सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं। या सरकार की कार्य प्रणाली की गड़बड़ियों की सूचनाएं लोगों तक पहुंचा रहे हैं।

मिशेल ने कहा कि भारत में भी कुछ पत्रकारों और एक डॉक्टर को कोरोना क्राइसिस के दौरान अपनी बातें सार्वजनिक करने के आरोप में कार्रवाई हुई है। इंडोनेशिया में 51 लोगों के ऊपर आपराधिक मामले चल रहे हैं। आरोप है कि उन्होंने फेक न्यूज फैलाई।

कंबोडिया में 30 लोग गिरफ्तार किए गए हैं। जिसमें एक 14 साल की लड़की भी शामिल है। इन पर आरोप है कि ये कोरोना वायरस को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गलत सूचनाएं शेयर कर रहे थे।

वहीं, वियतनाम में 600 से ज्यादा फेसबुक यूजर्स को कोरोना वायरस की जानकारियां ऑनलाइन शेयर करने के लिए पूछताछ की गई है। मिशेल कहती है कि ऐसे खराब समय में मेडिकल प्रोफेशनल्स, पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता और आम जनता को अपनी बातें स्वतंत्रता से रखने की आजादी होनी चाहिए।