Vikrant Shekhawat : Sep 09, 2024, 08:22 AM
Rahul Gandhi News: भारत में बेरोजगारी की समस्या एक पुराना और जटिल मुद्दा है, लेकिन हाल ही में लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इसे एक नए संदर्भ में प्रस्तुत किया। अमेरिका के टेक्सास में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान, राहुल गांधी ने वैश्विक बेरोजगारी संकट पर विचार करते हुए अमेरिका, चीन, वियतनाम, और अन्य देशों की प्रोडक्शन नीतियों की तुलना की।अमेरिका की प्रोडक्शन क्रांति का पतनराहुल गांधी ने कहा कि अमेरिका का ग्लोबल प्रोडक्शन में एक प्रमुख स्थान था। 40, 50 और 60 के दशकों में, अमेरिका कार, वॉशिंग मशीन, टीवी और अन्य उत्पादों का निर्माण केंद्र था। लेकिन अब, प्रोडक्शन की यह शक्ति अमेरिका से स्थानांतरित हो चुकी है। चीन, कोरिया, और जापान ने अमेरिका के प्रोडक्शन सेक्टर को अपने हाथ में ले लिया है। राहुल गांधी ने यह भी उल्लेख किया कि अमेरिकी प्रोडक्शन की गिरावट ने रोजगार के अवसरों को भी प्रभावित किया है।चीन की बढ़ती ताकत और वैश्विक प्रोडक्शनराहुल गांधी ने चीन को वैश्विक प्रोडक्शन में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि चीन ने वैश्विक प्रोडक्शन के क्षेत्र में पश्चिमी देशों, अमेरिका, यूरोप, और भारत को पछाड़ दिया है। यह बदलाव स्पष्ट करता है कि किस प्रकार से उत्पादन की तकनीकी और आर्थिक नीतियों में बदलाव आया है। राहुल ने इस पर जोर दिया कि प्रोडक्शन रोजगार सृजन का मुख्य स्रोत है और इस दिशा में भारत को गंभीरता से विचार करना होगा।वियतनाम और बांग्लादेश की भूमिकाराहुल गांधी ने वियतनाम और बांग्लादेश का भी जिक्र किया, जिनकी प्रोडक्शन नीतियाँ चीन की तरह ही संरक्षित और समर्पित हैं। इन देशों ने उत्पादन के क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत की है और इसके परिणामस्वरूप रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हुए हैं। उन्होंने संकेत दिया कि भारत को लोकतांत्रिक और विकासात्मक दृष्टिकोण से प्रोडक्शन को पुनः संगठित करने की आवश्यकता है।भारत की स्थिति और भविष्य की दिशाराहुल गांधी ने बताया कि भारत में मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में नयापन लाने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत और अमेरिका की वर्तमान आर्थिक नीतियों के कारण बड़े पैमाने पर सामाजिक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। इन समस्याओं में बेरोजगारी, सामाजिक असमानता, और राजनीतिक ध्रुवीकरण शामिल हैं। राहुल ने सुझाव दिया कि भारत को अपनी उत्पादन नीतियों पर नए सिरे से विचार करना चाहिए, ताकि एक स्थिर और समृद्ध आर्थिक भविष्य सुनिश्चित किया जा सके।राहुल गांधी की तीन दिवसीय अमेरिकी यात्रा पर यह प्रेस कांफ्रेंस उनके लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में पहला महत्वपूर्ण अवसर था। इस यात्रा के दौरान, उन्होंने न केवल भारत के बेरोजगारी संकट की ओर ध्यान आकर्षित किया, बल्कि वैश्विक प्रोडक्शन और रोजगार के नए संभावनाओं पर भी गहन विचार किया। यह यात्रा भारतीय राजनीति और वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण संवाद की शुरुआत हो सकती है।