Share Market News / भारतीय बाजार से US Election का कनेक्शन, 20 साल में पहली बार मची तबाही

4 नवंबर 2024 को अमेरिकी चुनाव के कारण भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई, जिससे सेंसेक्स 941.88 अंकों की गिरावट के साथ 78,782.24 पर बंद हुआ। निफ्टी में भी 309 अंकों की कमी आई, जिससे निवेशकों के 6 लाख करोड़ रुपये डूब गए।

Vikrant Shekhawat : Nov 04, 2024, 06:43 PM
Share Market News: 4 नवंबर 2024 का दिन भारतीय निवेशकों के लिए यादगार रहेगा, लेकिन अच्छी यादों के लिए नहीं। अमेरिकी चुनाव के दिन भारतीय शेयर बाजार में ऐसी जबरदस्त गिरावट देखी गई, जो पिछले 20 सालों में कभी नहीं हुई थी। सेंसेक्स और निफ्टी, दोनों में 1% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई, जिसने निवेशकों को भारी नुकसान पहुंचाया। यह गिरावट अमेरिकी चुनाव के अनिश्चित परिणामों और वैश्विक आर्थिक अस्थिरता का परिणाम है, जिसने भारतीय शेयर बाजार को बुरी तरह प्रभावित किया।

अमेरिकी चुनाव में बढ़ती अस्थिरता

2004 से लेकर 2020 तक अमेरिकी चुनावों में ऐसी अनिश्चितता कभी नहीं देखी गई थी। 2004 में जॉर्ज डब्ल्यू बुश की सत्ता में वापसी तय मानी जा रही थी, 2008 और 2012 में बराक ओबामा की जीत भी अपेक्षित थी, और 2016 में डोनाल्ड ट्रंप की जीत ने भी बहुत ज्यादा आश्चर्य नहीं किया क्योंकि रिपब्लिकन पार्टी लंबे समय से सत्ता से बाहर थी। 2020 के चुनाव में भी, भले ही मुकाबला कड़ा था, लेकिन जो बाइडेन की जीत की संभावनाएं अधिक मानी जा रही थीं। इसके विपरीत, 2024 में मुकाबला असाधारण रूप से कड़ा है और कोई भी यह पूर्वानुमान नहीं कर पा रहा है कि कमला हैरिस और ट्रंप में से किसकी जीत होगी। इस अस्थिरता ने न केवल अमेरिका बल्कि वैश्विक बाजारों में भी अनिश्चितता पैदा की है।

सेंसेक्स और निफ्टी में बड़ी गिरावट

4 नवंबर 2024 को भारतीय शेयर बाजार में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई। सेंसेक्स 941.88 अंकों की गिरावट के साथ 78,782.24 अंकों पर बंद हुआ, जबकि दिन के दौरान यह 1,500 अंकों से भी अधिक गिरकर 78,232.60 अंकों तक पहुंच गया था। वहीं, निफ्टी में 309 अंकों की गिरावट आई और यह 23,995.35 अंकों पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान निफ्टी 23,816.15 अंकों तक गिर गया था। इस बड़े झटके से निवेशकों के लगभग 6 लाख करोड़ रुपये डूब गए।

2020 में अमेरिकी चुनाव के दौरान देखा गया था उछाल

2020 के अमेरिकी चुनाव के समय डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडेन के बीच कांटे की टक्कर थी, लेकिन भारतीय शेयर बाजार में उस समय उछाल देखा गया था। 3 नवंबर 2020 को सेंसेक्स 1.26% की बढ़त के साथ 40,261.13 अंकों पर बंद हुआ था, और निफ्टी में भी 1.23% की तेजी के साथ 11,813.50 अंकों पर बढ़ोतरी हुई थी। 2020 में निवेशकों को अच्छी कमाई मिली थी, लेकिन इस बार की स्थिति पूरी तरह विपरीत है।

2016 में ट्रंप की संभावित जीत का संकेत

2016 के चुनाव के दिन डोनाल्ड ट्रंप की जीत के संकेत मिलने लगे थे, और इस खबर का भारतीय शेयर बाजार पर भी हल्का सकारात्मक प्रभाव पड़ा था। उस दिन सेंसेक्स में 0.48% की मामूली तेजी आई थी और यह 27,591.14 अंकों पर बंद हुआ था। निफ्टी में भी 0.55% की तेजी दर्ज की गई थी।

2012 में ओबामा की दोबारा जीत की अपेक्षा

2012 में बराक ओबामा की लोकप्रियता चरम पर थी, और उनकी दोबारा जीत की उम्मीद थी। ऐसे में बाजार ने भी बहुत हल्का सा सकारात्मक रिएक्शन दिखाया। सेंसेक्स में 0.30% और निफ्टी में 0.35% की मामूली तेजी आई थी।

2008 में ओबामा की पहली जीत और बाजार में उछाल

4 नवंबर 2008 को जब ओबामा पहली बार चुनाव लड़ रहे थे, उनकी जीत की उम्मीदें थीं। उस समय बाजार ने इस खबर का सकारात्मक स्वागत किया। सेंसेक्स में 2.84% की तेजी आई थी और यह 10,631.12 अंकों पर बंद हुआ था। निफ्टी में भी 3.23% का उछाल देखा गया था। ओबामा के आगमन से बाजार में नई ऊर्जा का संचार हुआ था।

2004 में जॉर्ज डब्ल्यू बुश की वापसी की उम्मीद

2004 में जॉर्ज डब्ल्यू बुश की सत्ता में वापसी की उम्मीद थी, और भारतीय शेयर बाजार ने भी इसका सकारात्मक असर दिखाया। सेंसेक्स में 0.88% की बढ़त आई थी और यह 5754.76 अंकों पर बंद हुआ था। इस चुनाव में बाजार ने सकारात्मक संकेत दिए थे।

निष्कर्ष

2024 का अमेरिकी चुनाव कई मायनों में अलग है। कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप के बीच कड़ा मुकाबला और अस्थिरता का माहौल वैश्विक बाजारों पर असर डाल रहा है। भारतीय शेयर बाजार पर इस चुनाव का प्रभाव ऐतिहासिक रूप से बड़ा रहा, जिसने निवेशकों के भारी नुकसान का कारण बना। अब देखने वाली बात यह होगी कि चुनावी नतीजों के बाद भारतीय शेयर बाजार किस तरह से रिएक्ट करता है।