Vikrant Shekhawat : Jun 05, 2021, 07:17 AM
नई दिल्ली: दुनिया में आपदाओं की वजह से आंतरिक विस्थापन के मामले में भारत दुनिया का चौथा सबसे प्रभावित देश है। हालांकि लोगों के आंतरिक विस्थापन और प्रवासन (Migration)के लिए जलवायु परिवर्तन भी प्रमुख कारण है।
गांवों में भी फैला कोरोनाभारत में कोरोना (Coronavirus) की दूसरी लहर सिर्फ शहरों तक ही सीमित नहीं रही बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों को भी अपनी चपेट में ले लिया। ग्रामीण क्षेत्रों में यह महामारी ज्यादा तेजी से फैली। महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात समेत अधिकांश राज्यों के ग्रामीण क्षेत्र कोरोना महामारी की दूसरी लहर से बुरी तरह प्रभावित हैं। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी ने भारत के हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर को गंभीर रूप से उजागर कर दिया है। शहरों में जहां हेल्थ सिस्टम की तैयारियों की खराब स्थिति सुर्खियों में है। वही ग्रामीण इलाक़ों में एक और चिंताजनक हालात उभर रहा है।
CSE ने जारी की रिपोर्टCSE ने स्टेट ऑफ़ इंडियाज एनवायरनमेंट इन फिग्यर्ज 2021 के नाम से यह रिपोर्ट जारी की है। इसके मुताबिक ग्रामीण भारत में कम्युनिटी हेल्थ सेंटर को मजबूती देने की जरूरत है। वहां पर 76 फीसदी अधिक डॉक्टर, 56 प्रतिशत अधिक रेडियोग्राफर और 35 प्रतिशत अधिक लैब टेक्नीशियन की जरूरत है।सीएसई की रिपोर्ट में दिए डेटा के जरिए कोरोना महामारी को लेकर भी अहम जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना की दूसरी लहर में भारत विश्वस्तर पर बुरी तरह प्रभावित हुआ। ग्रामीण भारत शहरी क्षेत्रों की तुलना में ज्यादा बहुत बुरी तरह कोरोना की चपेट में आया। इस साल मई में जितने नए कोरोना मरीज में सामने आए, उनमें आधे से अधिक अकेले भारत के थे। इसका कारण यह था कि गांवों में कोरोना वायरस अपने चरम पर पहुंच गया था।
बायोमेडिकल वेस्ट में भी हुई वृद्धिस्टडी के मुताबिक अप्रैल और मई में बायोमेडिकल वेस्ट में भी 46 फ़ीसदी की वृद्धि हुई। इसके साथ ही इनके ट्रीटमेंट में भी गिरावट आई। वर्ष 2017 में भारत अपने बायोमेडिकल वेस्ट का 93 प्रतिशत और वर्ष 2019 में 88 प्रतिशत वेस्ट का ट्रीटमेंट करने में कामयाब रहा था। CSE ने रिपोर्ट में कहा कि देश में कोरोना को हराना है तो वैक्सीनेशन को बढ़ावा देना होगा। यही इस वायरस के खिलाफ एकमात्र हथियार है। रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल देश अपनी आबादी का केवल 3।12 प्रतिशत का ही पूरी तरह से टीकाकरण करने में कामयाब रहा है। यह वौश्विक औसत 5।48 प्रतिशत से कम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना के वजह से देश के आर्थिक हालात पर भी गहरी चोट पड़ी है। शहरी बेरोज़गारी दर मई 2021 में लगभग 15 प्रतिशत तक पहुंच गई है। मनरेगा के अंतर्गत पैसे के भुगतान में बड़ी कमी देखी गई है। इतना ही नहीं Climate Change का बड़ा खतरा भी है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
15 में से 12 साल रहे सबसे गर्मरिपोर्ट बताती है कि भारत ने 2006 और 2020 के समय में 15 में से 12 सबसे गर्म साल दर्ज किए है। यह रिकॉर्ड अपने आप में सबसे गर्म दशक का था। दुनिया में 76 फीसदी आंतरिक विस्थापन जलवायु परिवर्तन की वजह से पैदा हुए थे। साल 2007 और 2020 के बीच बाढ़, भूकंप, चक्रवात और सूखे की वजह से लगभग 3।73 मिलियन लोग विस्थापित हुए थे।
गांवों में भी फैला कोरोनाभारत में कोरोना (Coronavirus) की दूसरी लहर सिर्फ शहरों तक ही सीमित नहीं रही बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों को भी अपनी चपेट में ले लिया। ग्रामीण क्षेत्रों में यह महामारी ज्यादा तेजी से फैली। महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात समेत अधिकांश राज्यों के ग्रामीण क्षेत्र कोरोना महामारी की दूसरी लहर से बुरी तरह प्रभावित हैं। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी ने भारत के हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर को गंभीर रूप से उजागर कर दिया है। शहरों में जहां हेल्थ सिस्टम की तैयारियों की खराब स्थिति सुर्खियों में है। वही ग्रामीण इलाक़ों में एक और चिंताजनक हालात उभर रहा है।
CSE ने जारी की रिपोर्टCSE ने स्टेट ऑफ़ इंडियाज एनवायरनमेंट इन फिग्यर्ज 2021 के नाम से यह रिपोर्ट जारी की है। इसके मुताबिक ग्रामीण भारत में कम्युनिटी हेल्थ सेंटर को मजबूती देने की जरूरत है। वहां पर 76 फीसदी अधिक डॉक्टर, 56 प्रतिशत अधिक रेडियोग्राफर और 35 प्रतिशत अधिक लैब टेक्नीशियन की जरूरत है।सीएसई की रिपोर्ट में दिए डेटा के जरिए कोरोना महामारी को लेकर भी अहम जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना की दूसरी लहर में भारत विश्वस्तर पर बुरी तरह प्रभावित हुआ। ग्रामीण भारत शहरी क्षेत्रों की तुलना में ज्यादा बहुत बुरी तरह कोरोना की चपेट में आया। इस साल मई में जितने नए कोरोना मरीज में सामने आए, उनमें आधे से अधिक अकेले भारत के थे। इसका कारण यह था कि गांवों में कोरोना वायरस अपने चरम पर पहुंच गया था।
बायोमेडिकल वेस्ट में भी हुई वृद्धिस्टडी के मुताबिक अप्रैल और मई में बायोमेडिकल वेस्ट में भी 46 फ़ीसदी की वृद्धि हुई। इसके साथ ही इनके ट्रीटमेंट में भी गिरावट आई। वर्ष 2017 में भारत अपने बायोमेडिकल वेस्ट का 93 प्रतिशत और वर्ष 2019 में 88 प्रतिशत वेस्ट का ट्रीटमेंट करने में कामयाब रहा था। CSE ने रिपोर्ट में कहा कि देश में कोरोना को हराना है तो वैक्सीनेशन को बढ़ावा देना होगा। यही इस वायरस के खिलाफ एकमात्र हथियार है। रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल देश अपनी आबादी का केवल 3।12 प्रतिशत का ही पूरी तरह से टीकाकरण करने में कामयाब रहा है। यह वौश्विक औसत 5।48 प्रतिशत से कम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना के वजह से देश के आर्थिक हालात पर भी गहरी चोट पड़ी है। शहरी बेरोज़गारी दर मई 2021 में लगभग 15 प्रतिशत तक पहुंच गई है। मनरेगा के अंतर्गत पैसे के भुगतान में बड़ी कमी देखी गई है। इतना ही नहीं Climate Change का बड़ा खतरा भी है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
15 में से 12 साल रहे सबसे गर्मरिपोर्ट बताती है कि भारत ने 2006 और 2020 के समय में 15 में से 12 सबसे गर्म साल दर्ज किए है। यह रिकॉर्ड अपने आप में सबसे गर्म दशक का था। दुनिया में 76 फीसदी आंतरिक विस्थापन जलवायु परिवर्तन की वजह से पैदा हुए थे। साल 2007 और 2020 के बीच बाढ़, भूकंप, चक्रवात और सूखे की वजह से लगभग 3।73 मिलियन लोग विस्थापित हुए थे।