Vikrant Shekhawat : Jan 09, 2021, 03:01 PM
मुस्लिम वोटों पर नजर रखते हुए बंगाल विधानसभा चुनाव में कूदने वाले असदुद्दीन ओवैसी को ममता बनर्जी ने अपने दांव से बड़ा झटका दिया है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के कार्यकारी चीफ एसके अब्दुल कलाम ने पाला बदल लिया है। पार्टी के कई और सदस्यों के साथ वह टीएमसी मे शामिल हो गए हैं।हाल ही में बिहार विधानसभा चुनाव में पांच सीटों पर जीत दर्ज करने के बाद ओवैसी ने बंगाल में भी चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। पश्चिम बंगाल में मुस्लिम वोटों पर अच्छी पकड़ रखने वाली टीएमसी के वोटों में यदि ओवैसी सेंध लगाते हैं तो ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। खुद ममता बनर्जी अपना यह डर जाहिर कर चुकी हैं। उन्होंने हाल में कहा था कि हैदराबाद की पार्टी को बीजेपी पैसे देकर अल्पसंख्यक वोट बंटवा रही है। ममता ने कहा, ''बीजेपी उन्हें पैसे देती है और वे वोटों को बांटने का काम करते हैं। बिहार चुनाव में यह देखा भी गया है।''बंगाल की मुस्लिम आबादी 2011 की जनगणना के दौरान 27.01% थी और अब बढ़कर लगभग 30% होने का अनुमान है। जिन जिलों में मुस्लिम आबादी काफी अधिक है उनमें मुर्शिदाबाद (66.28%), मालदा (51.27%), उत्तर दिनाजपुर (49.92%), दक्षिण 24 परगना (35.57%), और बीरभूम (37.06%) जिले हैं। पूर्वी और पश्चिमी बर्दवान जिलों, उत्तरी 24 परगना और नादिया में बड़ी संख्या में मुस्लिम मतदाता हैं।जमात-ए-उलेमा ने क्यों कहा, बंगाल में नहीं गलने वाली है असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM की दाल?ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की बंगाल में एंट्री पर जमात-ए-उलेमा ने कहा कि बंगाल में उनकी दाल गलने वाली नहीं है। आपको बता दें कि हुगली जिले के प्रसिद्ध फुरफुरा शरीफ तीर्थस्थल के संरक्षक सिद्दीकी परिवार के एक युवा पीरजादा अब्बासुद्दीन सिद्दीकी के साथ ओवेसी ने गठबंधन करने की इच्छा व्यक्त की थी। दोनों की मुलाकात भी हुई थी। बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए ओवैसी ने बंगाल चुनाव को लेकर अपनी मंशा साफ कर दी थी। इस बीच कई मुस्लिम मौलवियों और इमामों ने ओवैसी पर पिछले उत्तर प्रदेश और बिहार विधानसभा चुनावों में मुस्लिम वोटों को विभाजित करके भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मदद करने का आरोप लगाया है। साथ ही यह भी कहा है कि बंगाल में मतदाताओं द्वारा एआईएमआईएम को स्वीकार नहीं किया जाएगा। इससे पहले सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), कांग्रेस और वामपंथी दलों द्वारा भी यही आरोप लगाए गए थे।टीएमसी सरकार में मंत्री और जमीयत उलेमा के अध्यक्ष सिद्दीकुल्लाह चौधरी ने भी घोषणा की है कि बंगाल की राजनीति में ओवैसी का कोई स्थान नहीं है। AIMIM के बंगाल में प्रवेश के खिलाफ अल्पसंख्यक समुदाय के प्रमुखों की प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण है क्योंकि सभी राजनीतिक दलों को पता है कि केवल हिंदू मतदाताओं के समर्थन से सत्ता में आना संभव नहीं है।