BAN-PAK Relations / बांग्लादेश-पाकिस्तान मिलकर क्या कर रहे खेल? 5 बड़े फैसले बन रहे गवाह

बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद भारत-बांग्लादेश संबंधों में बदलाव देखा जा रहा है। मोहम्मद यूनुस की सरकार ने पाकिस्तान से गोला-बारूद खरीदने, हिंदू अफसरों की सूची मांगने, और आतंकवादी संगठन के प्रमुख को रिहा करने जैसे फैसले किए हैं। इन फैसलों से बांग्लादेश की भारत विरोधी नीतियों को लेकर चिंताएं बढ़ी हैं।

Vikrant Shekhawat : Sep 08, 2024, 09:50 AM
BAN-PAK Relations: बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद हालात में एक आश्चर्यजनक बदलाव आया है। पिछले महीने जब नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश की सत्ता संभाली, तो उम्मीद की जा रही थी कि यह परिवर्तन शांति और स्थिरता लाएगा। भारत के साथ संबंधों पर इसका खास असर नहीं होगा, लेकिन बांग्लादेश से आ रही खबरें इन अनुमानों के विपरीत हैं। ऐसा लगता है कि बांग्लादेश फिर से पूर्वी पाकिस्तान की राह पर चल रहा है।

मोहम्मद यूनुस की सरकार के पांच बड़े फैसले

पाकिस्तान से गोला-बारूद की खरीदारी: बांग्लादेश ने पाकिस्तान से गोला-बारूद की खरीदारी में भारी वृद्धि की है। बांग्लादेश ने पाकिस्तान ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से 40,000 राउंड गोला-बारूद, 2,000 टैंक गोला-बारूद, 40 टन RDX विस्फोटक, और 2,900 हाई-इंटेंसिटी वाले प्रोजेक्टाइल का ऑर्डर दिया है। यह वृद्धि पिछले वर्ष के ऑर्डर की तुलना में काफी बड़ी है। बांग्लादेश को ये शिपमेंट तीन चरणों में मिलेंगे, जिसमें पहला चरण इस महीने पूरा हो सकता है। पाकिस्तान से हथियार खरीदना, विशेषकर तब जब वह आतंकवाद के मुद्दे पर कुख्यात है, कई सवाल खड़े करता है।

हिंदू अधिकारियों की लिस्ट: यूनुस सरकार ने बांग्लादेश के मंत्रालयों और विभागों से वरिष्ठ हिंदू अधिकारियों की लिस्ट और उनकी व्यक्तिगत जानकारी मांगी है। यह निर्णय बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के बीच भय और असुरक्षा का कारण बन रहा है। यह कदम हिंदू अधिकारियों के प्रति संभावित भेदभाव की ओर इशारा करता है, और बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर चिंताओं को बढ़ाता है।

अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT) के प्रमुख की रिहाई: यूनुस सरकार ने आतंकवादी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT) के प्रमुख जसीमुद्दीन रहमानी को रिहा किया। यह कदम बांग्लादेश में आतंकवाद के प्रति सरकार की कठोर नीतियों पर सवाल उठाता है और सुरक्षा पर असर डाल सकता है।

जमात-ए-इस्लामी का बढ़ता प्रभाव: बांग्लादेश की राजनीति में भारत विरोधी जमात-ए-इस्लामी का प्रभाव बढ़ रहा है। यह संगठन पहले भी विवादित रहा है और इसकी बढ़ती भूमिका बांग्लादेश-भारत संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।

हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा: हाल ही में बांग्लादेश के 52 जिलों में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के 205 से अधिक मामले सामने आए हैं। इस हिंसा का पैमाना और उसकी बढ़ती घटनाएं हिंदू समुदाय की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताओं को जन्म देती हैं।

पाकिस्तान और चीन के साथ बढ़ते रिश्ते

पाकिस्तान के साथ संबंध: हाल ही में, बांग्लादेश की सरकार ने पाकिस्तान के साथ अपने रिश्तों को मजबूत किया है। पाकिस्तान के उच्चायुक्त सैयद अहमद ने बांग्लादेश के मंत्री नाहिद इस्लाम से मुलाकात की, जिसमें 1971 के युद्ध के मुद्दे पर चर्चा हुई। इससे पहले, पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ ने यूनुस से मुलाकात की थी। इन मुलाकातों से यह संकेत मिलता है कि बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच रिश्ते अब और भी मजबूत हो सकते हैं।

चीन के साथ रिश्ते: बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी पर से पाबंदी हटाने के बाद, चीन के राजदूत याओ वेन ने जमात के नेताओं से मुलाकात की। यह चीन का बांग्लादेश के साथ दोस्ती बढ़ाने का प्रयास प्रतीत होता है। शेख हसीना की सरकार के दौरान बांग्लादेश का झुकाव अधिकतर भारत की ओर था, लेकिन अब चीन के साथ बढ़ते रिश्ते बांग्लादेश के विदेशी नीति में एक नई दिशा का संकेत देते हैं।

निष्कर्ष

बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद की गई नीतिगत बदलावों ने भारत और अन्य पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों में नई चुनौतियां पेश की हैं। पाकिस्तान से हथियार की खरीदारी, हिंदू अधिकारियों की लिस्ट मांगना, और चीन के साथ बढ़ते संबंध बांग्लादेश की विदेशी और आंतरिक नीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाते हैं। इन बदलावों का असर क्षेत्रीय सुरक्षा और भारत-बांग्लादेश संबंधों पर पड़ सकता है, और इसे लेकर व्यापक विश्लेषण की आवश्यकता है।