Bangladesh News: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने डेढ़ दशक पुराने पिलखाना नरसंहार की जांच के लिए एक नई दिशा में कदम बढ़ाया है। 25-26 फरवरी 2009 को हुए इस भयावह विद्रोह में बीडीआर (बांग्लादेश राइफल्स) मुख्यालय पिलखाना में 74 लोग मारे गए थे, जिनमें से अधिकांश सेना के उच्च अधिकारी थे। इस घटना ने बांग्लादेश की राजनीतिक और सामाजिक संरचना को गहराई से प्रभावित किया था।
पिलखाना नरसंहार: घटना की पृष्ठभूमि
2009 में, शेख हसीना के सत्ता में आने के एक महीने के भीतर बीडीआर बलों ने ढाका के पिलखाना बैरक में विद्रोह कर दिया। यह विद्रोह धीरे-धीरे अन्य बीडीआर शिविरों में भी फैल गया। पिलखाना मुख्यालय में विद्रोहियों ने मेजर जनरल शकील अहमद सहित 74 लोगों की हत्या कर दी। इन हत्याओं में सेना के कई अधिकारी, उनके परिवार, और अन्य नागरिक शामिल थे।इस घटना के बाद तत्कालीन सरकार ने बीडीआर का नाम बदलकर बीजीबी (बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश) कर दिया। मामले में कुल 152 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई, लेकिन यह मामला हमेशा विवादों के घेरे में रहा।
आरोपों की नई कड़ी: शेख हसीना और उनके मंत्रियों पर साजिश का आरोप
हाल में गठित सात सदस्यीय जांच आयोग, जिसका नेतृत्व बीडीआर के पूर्व डीजी मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) एएलएम फजलुर रहमान कर रहे हैं, ने अपनी जांच शुरू कर दी है। शेख हसीना और उनके मंत्रियों पर विद्रोह की साजिश रचने के आरोप लगाए गए हैं। यह आरोप अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायाधिकरण के मुख्य अभियोजक के कार्यालय में दर्ज किए गए।आयोग का उद्देश्य न केवल घरेलू बल्कि विदेशी व्यक्तियों और संगठनों की संलिप्तता की जांच करना है। 90 दिनों के भीतर आयोग को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है, जिससे इस मामले में नए तथ्य और दृष्टिकोण सामने आने की उम्मीद है।
भारत और बांग्लादेश के बीच राजनयिक विवाद
इस मामले में एक और बड़ा मोड़ तब आया जब बांग्लादेश ने शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए भारत से संपर्क किया। बांग्लादेश के प्रवक्ता मोहम्मद रफीकुल आलम ने कहा कि भारत को इस मुद्दे पर अभी तक कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है। आलम ने 23 दिसंबर को भारत को राजनयिक नोट भेजे जाने की पुष्टि की, लेकिन भारत के उत्तर न मिलने पर बांग्लादेश ने कठोर कदम उठाने की चेतावनी दी है।
यूनुस सरकार की कार्रवाई
अंतरिम यूनुस सरकार ने पिलखाना मामले की जांच को स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से कराने का दावा किया है। आयोग को "स्वतंत्र जिम्मेदारी" के साथ कार्य करने का निर्देश दिया गया है। यूनुस सरकार के अनुसार, इस जांच का मुख्य उद्देश्य घरेलू और अंतरराष्ट्रीय आपराधिक तत्वों की पहचान करना है।
पिलखाना घटना का राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
पिलखाना नरसंहार न केवल बांग्लादेश की सुरक्षा व्यवस्था में कमजोरी को उजागर करता है, बल्कि यह सरकार की क्षमता और निर्णय लेने की प्रक्रिया पर भी सवाल खड़ा करता है। शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग पर लगे साजिश के आरोप उनके राजनीतिक भविष्य के लिए चुनौती बन सकते हैं।
आने वाले समय में क्या हो सकता है?
आयोग की रिपोर्ट और भारत के साथ बांग्लादेश की राजनयिक बातचीत इस मामले को और जटिल बना सकती है। पिलखाना नरसंहार की जांच बांग्लादेश के इतिहास में एक अहम मोड़ साबित हो सकती है, जो न केवल न्याय की उम्मीद को फिर से जगा सकती है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बांग्लादेश की छवि को भी प्रभावित कर सकती है।यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जांच आयोग अपनी रिपोर्ट में क्या तथ्य सामने लाता है और इसके राजनीतिक, कानूनी, तथा सामाजिक प्रभाव किस हद तक बांग्लादेश और उसके पड़ोसी देशों को प्रभावित करेंगे।