AajTak : Sep 11, 2020, 08:15 AM
Delhi: बिहार में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आरजेडी को रघुवंश प्रसाद सिंह के रूप में एक बड़ा झटका लगा है। पिछले 32 वर्षों से लालू प्रसाद यादव के साथ या पीछे खड़े रहने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह के लिए आरजेडी में कैसी परिस्थिति बन गई कि उन्होंने दिल्ली एम्स के आईसीयू से अपना इस्तीफा रांची रिम्स में अपना इलाज करा रहे लालू प्रसाद यादव को भेजना पड़ा।
बता दें कि रघुवंश प्रसाद सिंह लोहियावादी नेता हैं और ऐसे नेताओं का एक बार जब मोहभंग हो जाता है तो फिर उनको मनाना बहुत मुश्किल काम होता है। हालांकि आरजेडी की तरफ से ऐसी कुछ कोशिश भी नहीं दिख रही थी पर अब इस नुकसान की भरपाई शायद ही आरजेडी कर पाए।रघुवंश प्रसाद सिंह आरजेडी में एक मात्र ऐसे नेता थे जो पार्टी अगर गलत ट्रैक पर जा रही होती तो उसे रोकने में एक मिनट की देरी नहीं करते थे। वैसे तो आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के सामने किसी की मुंह खोलने की हिम्मत नहीं होती थी लेकिन रघुवंश प्रसाद सिंह इन सब से अलग थे और लालू प्रसाद यादव भी उनकी बातों को मानते थे।लेकिन अब चीजें काफी बदल चुकी हैं। पार्टी में नया नेतृत्व है जिसे पुराने और वरिष्ठ नेताओं की जरूरत महसूस नहीं होती है। शायद इसलिए भी गंभीर रूप से बीमार होने के बावजूद उन्होंने चार लाइन में अपनी सारी बातें कह दीं।दिल्ली के एम्स से रघुवंश प्रसाद सिंह ने रांची के रिम्स में भर्ती आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को भेजे अपने इस्तीफे में लिखा, "जन नायक कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद 32 वर्षों तक आपके पीछे खड़ा रहा लेकिन अब नहीं।।।। पार्टी, नेता, कार्यकर्ता और आम जनता ने बड़ा स्नेह दिया, मुझे क्षमा करें।"दिल्ली के एम्स में भर्ती रघुवंश प्रसाद सिंह ने अपना इस्तीफा रांची के रिम्स में भर्ती आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को भेजा, उनकी नाराजगी पार्टी में कई मुद्दों को लेकर थी लेकिन रघुवंश प्रसाद सिंह कि सबसे ज्यादा नाराजगी वैशाली के पूर्व सांसद रामा सिंह को आरजेडी में शामिल करने को लेकर थी, जो अंत तक रही।रघुवंश प्रसाद सिंह पार्टी की साफ सुथरी छवि चाहते थे जबकि रामा सिंह का आपराधिक इतिहास रहा है। हालांकि रघुवंश प्रसाद की नाराजगी की वजह से रामा सिंह के आरजेडी में शामिल कराने का कार्यक्रम कई बार स्थगित हो चुका है, लेकिन आरजेडी नेतृत्व ने कभी ये नहीं कहा कि रामा सिंह पार्टी में शामिल नहीं किए जाएंगे। इसी बात का दुख रघुवंश प्रसाद सिंह को हमेशा रहा।आखिर आरजेडी रामा सिंह को अपनी पार्टी में क्यों शामिल कराना चाहती है, ये समझने वाले समझ रहे हैं लेकिन रघुवंश प्रसाद सिंह स्वाभिमान वाले नेता रहे हैं। ऐसे में वो कब तक आरजेडी में रुकते, इसी वजह से उन्होंने अपना इस्तीफा भेज दिया।गौरतलब है कि 22 जून को ही उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से भी अपना इस्तीफा आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को भेज दिया था, हालांकि उसे स्वीकार नही किया गया। दुर्भाग्य से पिछले जून से ही रघुवंश प्रसाद बीमार पड़े हुए हैं। उन्हे दो बार कोरोना संक्रमण हो चुका है और अभी बहुत गंभीर स्थिति में दिल्ली एम्स के आईसीयू में भर्ती हैं। रघुवंश प्रसाद सिंह के इस्तीफे पर आरजेडी मौन है तो एनडीए की तरफ से इसका स्वागत हो रहा है। माना जा रहा है कि स्वस्थ होने के बाद वो जेडीयू में शामिल हो सकते हैं।
बता दें कि रघुवंश प्रसाद सिंह लोहियावादी नेता हैं और ऐसे नेताओं का एक बार जब मोहभंग हो जाता है तो फिर उनको मनाना बहुत मुश्किल काम होता है। हालांकि आरजेडी की तरफ से ऐसी कुछ कोशिश भी नहीं दिख रही थी पर अब इस नुकसान की भरपाई शायद ही आरजेडी कर पाए।रघुवंश प्रसाद सिंह आरजेडी में एक मात्र ऐसे नेता थे जो पार्टी अगर गलत ट्रैक पर जा रही होती तो उसे रोकने में एक मिनट की देरी नहीं करते थे। वैसे तो आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के सामने किसी की मुंह खोलने की हिम्मत नहीं होती थी लेकिन रघुवंश प्रसाद सिंह इन सब से अलग थे और लालू प्रसाद यादव भी उनकी बातों को मानते थे।लेकिन अब चीजें काफी बदल चुकी हैं। पार्टी में नया नेतृत्व है जिसे पुराने और वरिष्ठ नेताओं की जरूरत महसूस नहीं होती है। शायद इसलिए भी गंभीर रूप से बीमार होने के बावजूद उन्होंने चार लाइन में अपनी सारी बातें कह दीं।दिल्ली के एम्स से रघुवंश प्रसाद सिंह ने रांची के रिम्स में भर्ती आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को भेजे अपने इस्तीफे में लिखा, "जन नायक कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद 32 वर्षों तक आपके पीछे खड़ा रहा लेकिन अब नहीं।।।। पार्टी, नेता, कार्यकर्ता और आम जनता ने बड़ा स्नेह दिया, मुझे क्षमा करें।"दिल्ली के एम्स में भर्ती रघुवंश प्रसाद सिंह ने अपना इस्तीफा रांची के रिम्स में भर्ती आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को भेजा, उनकी नाराजगी पार्टी में कई मुद्दों को लेकर थी लेकिन रघुवंश प्रसाद सिंह कि सबसे ज्यादा नाराजगी वैशाली के पूर्व सांसद रामा सिंह को आरजेडी में शामिल करने को लेकर थी, जो अंत तक रही।रघुवंश प्रसाद सिंह पार्टी की साफ सुथरी छवि चाहते थे जबकि रामा सिंह का आपराधिक इतिहास रहा है। हालांकि रघुवंश प्रसाद की नाराजगी की वजह से रामा सिंह के आरजेडी में शामिल कराने का कार्यक्रम कई बार स्थगित हो चुका है, लेकिन आरजेडी नेतृत्व ने कभी ये नहीं कहा कि रामा सिंह पार्टी में शामिल नहीं किए जाएंगे। इसी बात का दुख रघुवंश प्रसाद सिंह को हमेशा रहा।आखिर आरजेडी रामा सिंह को अपनी पार्टी में क्यों शामिल कराना चाहती है, ये समझने वाले समझ रहे हैं लेकिन रघुवंश प्रसाद सिंह स्वाभिमान वाले नेता रहे हैं। ऐसे में वो कब तक आरजेडी में रुकते, इसी वजह से उन्होंने अपना इस्तीफा भेज दिया।गौरतलब है कि 22 जून को ही उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से भी अपना इस्तीफा आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को भेज दिया था, हालांकि उसे स्वीकार नही किया गया। दुर्भाग्य से पिछले जून से ही रघुवंश प्रसाद बीमार पड़े हुए हैं। उन्हे दो बार कोरोना संक्रमण हो चुका है और अभी बहुत गंभीर स्थिति में दिल्ली एम्स के आईसीयू में भर्ती हैं। रघुवंश प्रसाद सिंह के इस्तीफे पर आरजेडी मौन है तो एनडीए की तरफ से इसका स्वागत हो रहा है। माना जा रहा है कि स्वस्थ होने के बाद वो जेडीयू में शामिल हो सकते हैं।