News18 : Apr 14, 2020, 12:05 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM) स्कीम के शुरू हुए मंगलवार को 4 साल पूरे हो गए। मोदी सरकार ने ई-नाम योजना को किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए शुरू किया था। यह ऑनलाइन मंडी किसानों और कृषि कारोबारियों इतनी हिट है कि साल 2017 तक जिस ई-मंडी से सिर्फ 17 हजार लोग जुड़े थे उससे अब 1.68 करोड़ किसान, व्यापारी और एफपीओ (Farmer Producer Organisation) रजिस्टर्ड हो चुके हैं।
यह एक इलेक्ट्रॉनिक कृषि पोर्टल है। जो पूरे भारत में मौजूद एग्री प्रोडक्ट मार्केटिंग कमेटी को एक नेटवर्क में जोड़ने का काम करती है। इसका मकसद एग्रीकल्चर प्रोडक्ट के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक बाजार उपलब्ध करवाना है। जिससे कृषि उत्पादों का अधिक दाम मिलेगा। किसान घर बैठे ई-मंडियों में अपना सामान बेच सकते हैं।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि ई-नाम कृषि कारोबार में एक अनूठी पहल है, जो किसानों की डिजिटल पहुंच को कई बाजारों और खरीदारों तक डिजिटल रूप से पहुंचाता है। कीमत में सुधार और लेनदेन में पारदर्शिता लाता है। गुणवत्ता के अनुसार कीमत और कृषि उपज के लिए हम अब "एक राष्ट्र-एक बाजार" की ओर बढ़ रहे हैं। जल्द ही ई-मंडियों की संख्या 1000 हो जाएगी।
e-NAM क्यों और कब शुरु हुईकिसानों के लिए कृषि उत्पादों की मार्केटिंग को आसान बनाने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, 14 अप्रैल 2016 को 21 मंडियों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस स्कीम की शुरूआत की थी। इस समय इस बाजार से 18 राज्यों के 1,66,06,718 किसान, 977 एफपीओ, 70,910 कमीशन एजेंट और 1,28,015 व्यापारी जुड़े हुए हैं।
कैसे आसान होता है कृषि कारोबारवर्तमान में इंटरनेट के जरिए देश की 585 कृषि उपज मंडियां ई-नाम पोर्टल से जुड़ी हुई हैं। इसका टारगेट यह है कि पूरा देश एक मंडी क्षेत्र बने। जैसे अगर अलीगढ़ का कोई किसान अपनी उपज हरियाणा की चरखी दादरी मंडी में बेचना चाहता है तो उसकी कृषि उपज को लाने-ले जाने और मार्केटिंग करने में बहुत आसानी हो जाएगी। ई-नाम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने के लिए किसान स्वतंत्र हैं। वे सभी ई-नाम मंडियों में व्यापारियों को ऑनलाइन बिक्री के लिए अपनी उपज अपलोड कर रहे हैं और व्यापारी भी किसी भी स्थान से ई-नाम के तहत बिक्री के लिए उपलब्ध लाट के लिए बोली लगा सकते हैं।
कितने उत्पादों का बिजनेस संभवजब ई-नाम की शुरुआत हुई थी तब 25 कृषि उत्पादों का कारोबार हो रहा था। जो अब बढ़कर 150 कर दिया गया है। इन ई-मंडियों में कृषि उत्पादों की गुणवत्ता टेस्टिंग की सुविधा भी दी जा रही है, जो किसानों को अपनी उपज की क्वालिटी के अनुसार पैसा दिलाने में मदद करती है।
यह एक इलेक्ट्रॉनिक कृषि पोर्टल है। जो पूरे भारत में मौजूद एग्री प्रोडक्ट मार्केटिंग कमेटी को एक नेटवर्क में जोड़ने का काम करती है। इसका मकसद एग्रीकल्चर प्रोडक्ट के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक बाजार उपलब्ध करवाना है। जिससे कृषि उत्पादों का अधिक दाम मिलेगा। किसान घर बैठे ई-मंडियों में अपना सामान बेच सकते हैं।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि ई-नाम कृषि कारोबार में एक अनूठी पहल है, जो किसानों की डिजिटल पहुंच को कई बाजारों और खरीदारों तक डिजिटल रूप से पहुंचाता है। कीमत में सुधार और लेनदेन में पारदर्शिता लाता है। गुणवत्ता के अनुसार कीमत और कृषि उपज के लिए हम अब "एक राष्ट्र-एक बाजार" की ओर बढ़ रहे हैं। जल्द ही ई-मंडियों की संख्या 1000 हो जाएगी।
e-NAM क्यों और कब शुरु हुईकिसानों के लिए कृषि उत्पादों की मार्केटिंग को आसान बनाने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, 14 अप्रैल 2016 को 21 मंडियों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस स्कीम की शुरूआत की थी। इस समय इस बाजार से 18 राज्यों के 1,66,06,718 किसान, 977 एफपीओ, 70,910 कमीशन एजेंट और 1,28,015 व्यापारी जुड़े हुए हैं।
कैसे आसान होता है कृषि कारोबारवर्तमान में इंटरनेट के जरिए देश की 585 कृषि उपज मंडियां ई-नाम पोर्टल से जुड़ी हुई हैं। इसका टारगेट यह है कि पूरा देश एक मंडी क्षेत्र बने। जैसे अगर अलीगढ़ का कोई किसान अपनी उपज हरियाणा की चरखी दादरी मंडी में बेचना चाहता है तो उसकी कृषि उपज को लाने-ले जाने और मार्केटिंग करने में बहुत आसानी हो जाएगी। ई-नाम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने के लिए किसान स्वतंत्र हैं। वे सभी ई-नाम मंडियों में व्यापारियों को ऑनलाइन बिक्री के लिए अपनी उपज अपलोड कर रहे हैं और व्यापारी भी किसी भी स्थान से ई-नाम के तहत बिक्री के लिए उपलब्ध लाट के लिए बोली लगा सकते हैं।
कितने उत्पादों का बिजनेस संभवजब ई-नाम की शुरुआत हुई थी तब 25 कृषि उत्पादों का कारोबार हो रहा था। जो अब बढ़कर 150 कर दिया गया है। इन ई-मंडियों में कृषि उत्पादों की गुणवत्ता टेस्टिंग की सुविधा भी दी जा रही है, जो किसानों को अपनी उपज की क्वालिटी के अनुसार पैसा दिलाने में मदद करती है।