देश / कोविड-19 को एक बैक्टीरिया बताकर एस्पिरिन से इसके इलाज का दावा फर्ज़ी: सरकार

केंद्र ने स्पष्ट किया है कि कोविड-19 को वायरस की जगह एक बैक्टीरिया बताकर एस्पिरिन जैसी दवाओं से इसके इलाज का दावा करने वाला वॉट्सऐप मेसेज फर्ज़ी है। मेसेज में दावा किया गया कि सिंगापुर में एक कोविड-19 मरीज़ के शव के पोस्टमॉर्टम के बाद इसका पता चला। बकौल सरकार, "कोविड-19 एक वायरस है...एस्पिरिन से इसका इलाज नहीं हो सकता।"

Vikrant Shekhawat : Sep 08, 2021, 09:26 AM
नई दिल्ली: कोरोना वायरस ने पहली और दूसरी लहर में दुनियाभर के देशों में खूब तबाही मचाई है. इस महामारी से अब तक 45.92 लाख लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि अच्छी बात ये है कि 19.87 करोड़ लोग इसकी चपेट में आने के बावजूद रिकवर हो चुके हैं. दुनियाभर के लोग इस कोरोना वायरस से परिचित हो चुके हैं. लेकिन अब इसको लेकर एक अचंभित कर देने वाला दावा सामने आया है.

कहा जा रहा है कि कोरोना यानी Sars-Cov-2 वायरस है ही नहीं! यह एक बैक्टीरिया है और इससे पीड़ित मरीज मामूली एस्पिरिन से ही ठीक हो सकते हैं. यह पढ़ कर आप भी चौंक गए होंगे. यह काफी पहले स्पष्ट हो चुका है कि कोविड, कोरोना वायरस फैमिली के वायरस Sars-Cov-2 से फैलता है. ऐसे में इतने समय बाद इसके बैक्टीरिया होने का दावा चौंका देने वाला है.

वॉट्सऐप पर वायरल हो रहा मैसेज

कोरोना को बैक्टीरिया बताने वाला मैसेज वॉट्सऐप पर वायरल हो रहा है. वॉट्सऐप पर सिंगापुर का नाम लेकर वायरल हो रहे मैसेज में कहा गया है कि काफी लंबे इन्वेस्टिगेशन के बाद पता चल गया है कि कोरोना एक वायरस के रूप में एग्जिस्ट ही नहीं करता है. यह एक बैक्टीरिया है.

वायरल मैसेज में दावा किया जा रहा है कि कोरोना के कारण जो मौतें हुई हैं, वह ब्लड क्लॉटिंग यानी खून का थक्का जमने की वजह से हुई हैं. इसका इलाज एस्पिरिन जैसे एंटीकोआगुलंट्स के जरिये किया जा सकता है.

क्या है वायरल मैसेज की सच्चाई?

इस वायरल मैसेज की सच्चाई जगजाहिर है. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से लेकर अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी सीडीसी, ब्रिटिश स्वास्थ्य एजेंसी एनएचएस और विश्व स्वास्थ्य संगठन तक बता चुका है कि कोरोना एक वायरस है. इसके इलाज के लिए कई तरह की दवाओं का इस्तेमाल हो रहा है और भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, रूस समेत कई देशों में इसकी वैक्सीन भी बनाई जा चुकी है. भारत में एक बड़ी आबादी वैक्सीन ले चुकी है. ऐसे में वायरल मैसेज में किया गया दावा अस्तित्व नहीं रखता.

पीआईबी ने भी किया खारिज

सरकारी सूचना एजेंसी पीआईबी यानी प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो की एक फैक्ट चेक विंग है— PIB Fact Check. यह विंग इस तरह के फर्जी मैसेजेस और सूचनाओं की पड़ताल कर उन्हें खारिज करता है और उनकी सच्चाई बताता है. इस मैसेज के बारे में भी पीआईबी ने इसकी सच्चाई बताई है.

पीआईबी फैक्ट चेक ने ट्वीट कर बताया है, “फॉरवर्ड किए गए WhatsApp संदेश में दावा किया गया है कि #COVID19 एक वायरस नहीं बल्कि एक बैक्टीरिया है और इसे एस्पिरिन जैसे एंटीकोआगुलंट्स से ठीक किया जा सकता है. ️यह दावा फर्जी है. ️कोरोना बैक्टीरिया नहीं एक वायरस है और इसे एस्पिरिन जैसे थक्कारोधी से ठीक नहीं किया जा सकता है.