Jansatta : May 26, 2020, 12:18 PM
Hydroxychloroquine से कोरोना मरीज की मौत का खतरा? WHO ने टाला ट्रायलCoronavirus Medicine Trial: दुनिया भर में अबतक कोरोना वायरस से 5.5 मिलियन लोग संक्रमित हो चुके हैं। वहीं, भारत में 1 लाख 38 हजार से अधिक पॉजिटिव केसेज सामने आ चुके हैं। इस वायरस के इलाज के लिए विश्व के अलग-अलग हिस्सों में वैज्ञानिक वैक्सीन और दवा इजाद करने में लगे हुए हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है। इस बीच खबर आई थी कि मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) कोरोना वायरस के इलाज में कुछ हद तक कारगर साबित हो रही है। हालांकि अब ‘द लैंसेट’ में छपे एक शोध के बाद WHO ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के ट्रायल पर रोक लगा दी है।कोरोना के मरीजों के लिए घातक: द लैंसेट में छपी इस रिपोर्ट के अनुसार इस दवा के इस्तेमाल से कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की जान भी जा सकती है। इसके मुताबिक न केवल हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन बल्कि एंटी-मलेरियल क्लोरोक्वीन भी मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। इन दोनों दवाइयों को यूज करने से मरीजों में दिल की बीमारी सहित कई गंभीर साइड इफेक्ट्स देखने को मिल सकते हैं। द लैंसेट ने 100 अस्पतालों के करीब 96 हजार मरीजों पर ये शोध किया, जिसमें ये दावा किया गया है कि इन दोनों दवाइयों के सेवन से किसी भी मरीज को फायदा नहीं हुआ।WHO ने ट्रायल पर लगाई रोक: इस शोध के सामने आने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा के ट्रायल को टाल दिया है। WHO के सॉलिडेरिटी ट्रायल के एक्जिक्यूटिव ग्रुप की बैठक के बाद ये बाद निर्णय लिया गया है। WHO के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस एडहनोम घेब्रियसस ने कहा कि शोध में आए निष्कर्षों के कारण एहतियात के तौर पर इस दवा के ट्रायल को टाला जा रहा है। उन्होंने बताया कि ये दवा मलेरिया ऑटो-इम्यून बीमारियों के इलाज के लिए कारगर है पर कोरोना वायरस को लेकर इस दवा के सुरक्षित इस्तेमाल के बारे में डेटा सेफ्टी मॉनिटरिंग बोर्ड अध्ययन करेगा।ट्रंप ने किया था समर्थन: कोरोना वायरस के इलाज में कथित तौर पर रामबाण मानी जा रही इस दवा के इस्तेमाल का समर्थन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी किया था। इतना ही नहीं, उन्होंने इसे गेमचेंजर भी कहा था। कई बार तो उन्होंने अपने देश के हेल्थ एक्सपर्ट्स को मरीजों पर इस दवा के इस्तेमाल को लेकर निर्देश भी दिए थे। बता दें कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन ही वो दवा है जिसकी आपूर्ति को लेकर अमेरिका भारत पर दबाव बना रहा था। इसके अलावा, ब्राजील के राष्ट्रपति ने इस दवा को कोरोना वायरस से इलाज के लिए संजीवनी बूटी के समान बताया था।