News18 : Sep 12, 2020, 07:39 AM
लंदन। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक का कहना है कि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय (Oxford University) और दवा कंपनी ऐस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) द्वारा विकसित कोविड-19 टीके का परीक्षण रूकने से एजेंसी बहुत चिंतित नहीं है। डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन ने ऑक्सफोर्ड के क्लीनिकल परीक्षण में आई रूकावट को दुनिया के लिए यह समझने का अवसर बताया कि अनुसंधान में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। स्वामीनाथन का कहना है कि मनुष्यों पर अभी तक हुए परीक्षण के आंकड़े काफी अच्छे हैं और उनमें कुछ देर के लिए इस रोग से लड़ने की क्षमता विकसित हो रही है। उनका कहना है कि टीका लोगों को रोग से बचाने में सक्षम है या नहीं यह तय करने के लिए हजारों-लाखों लोगों पर परीक्षण करने की जरूरत है।
स्वामीनाथन ने कहा कि हो सकता है कि साल के अंत तक कुछ परिणाम निकले, या फिर अगले साल नतीजे आएं। उन्होंने कहा, 'हमें परिणाम पाने के लिए थोड़ा धैर्य रखना होगा।' आपको बता दें कि ट्रायल के दौरान एक शख्स के वैक्सीन की वजह से बीमार पड़ने की खबरों के बाद ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन का ट्रायल रोक दिया गया है। अमेरिका, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, भारत समेत 60 लोकेशंस पर इस टीके का फेज 3 क्लिनिकल ट्रायल चल रहा था। उधर ट्रायल पर रोक के बावजूद भी AstraZeneca के CEO पास्कल सॉरियट को वैक्सीन के जल्द उपलब्ध होने की उम्मीद है। उनका कहना है कि यह वैक्सीन इस साल के अंत तक या अगले साल की शुरुआत तक आ सकती है। वैक्सीन के ट्रायल को उस वक्त रोक दिया गया था जब एक वॉलंटिअर पर इसका गंभीर असर दिखाई दिया था
पूरी दुनिया की नजरें इस ट्रायल परसॉरियट ने कहा है कि ऐसे ट्रायल का बीच में रुकना आम होता है। इस बार क्योंकि पूरी दुनिया की नजरें इस ट्रायल पर हैं, इसलिए इसकी इतनी चर्चा हो रही है। इसके बावजूद उन्होंने उम्मीद जताई है कि साल के अंत तक रेग्युलेटरी अप्रूवल के लिए डेटा हासिल किया जा सकेगा। तीसरे चरण के ट्रायल में दुनियाभर में 50 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए हैं। वैक्सीन अभी जिस ट्रायल में है इसे पार करने के बाद सुरक्षा और असर के डेटा को मंजूरी दिलाने का काम बचेगा। ट्रायल के दौरान एक वॉलंटिअर में ट्रांसवर्स मायलाइटिस की कंडीशन पैदा हो गई थी। इसमें रीढ़ की हड्डी में सूजन हो जाती है जो इन्फेक्शन की वजह से हो सकती है।
स्वामीनाथन ने कहा कि हो सकता है कि साल के अंत तक कुछ परिणाम निकले, या फिर अगले साल नतीजे आएं। उन्होंने कहा, 'हमें परिणाम पाने के लिए थोड़ा धैर्य रखना होगा।' आपको बता दें कि ट्रायल के दौरान एक शख्स के वैक्सीन की वजह से बीमार पड़ने की खबरों के बाद ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन का ट्रायल रोक दिया गया है। अमेरिका, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, भारत समेत 60 लोकेशंस पर इस टीके का फेज 3 क्लिनिकल ट्रायल चल रहा था। उधर ट्रायल पर रोक के बावजूद भी AstraZeneca के CEO पास्कल सॉरियट को वैक्सीन के जल्द उपलब्ध होने की उम्मीद है। उनका कहना है कि यह वैक्सीन इस साल के अंत तक या अगले साल की शुरुआत तक आ सकती है। वैक्सीन के ट्रायल को उस वक्त रोक दिया गया था जब एक वॉलंटिअर पर इसका गंभीर असर दिखाई दिया था
पूरी दुनिया की नजरें इस ट्रायल परसॉरियट ने कहा है कि ऐसे ट्रायल का बीच में रुकना आम होता है। इस बार क्योंकि पूरी दुनिया की नजरें इस ट्रायल पर हैं, इसलिए इसकी इतनी चर्चा हो रही है। इसके बावजूद उन्होंने उम्मीद जताई है कि साल के अंत तक रेग्युलेटरी अप्रूवल के लिए डेटा हासिल किया जा सकेगा। तीसरे चरण के ट्रायल में दुनियाभर में 50 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए हैं। वैक्सीन अभी जिस ट्रायल में है इसे पार करने के बाद सुरक्षा और असर के डेटा को मंजूरी दिलाने का काम बचेगा। ट्रायल के दौरान एक वॉलंटिअर में ट्रांसवर्स मायलाइटिस की कंडीशन पैदा हो गई थी। इसमें रीढ़ की हड्डी में सूजन हो जाती है जो इन्फेक्शन की वजह से हो सकती है।