Vikrant Shekhawat : Jul 08, 2021, 10:28 AM
New Delhi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेत का विस्तार और फेरबदल कर कई सियासी संदेश दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में बड़े फेरबदल कर मंत्रियों को जवाबदेह बनाने और और केंद्र सरकार के कामकाज को दुरुस्त करने का स्पष्ट संकेत दिया है। जिस प्रकार से छह कैबिनेट मंत्रियों समेत 12 मंत्रियों को हटाया गया है और सात राज्य मंत्रियों को प्रोन्नत कर कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। उसके पीछे साफ संदेश है कि अच्छा काम करने वालों के बहुत मौके हैं, लेकिन यदि प्रदर्शन पर खरे नहीं उतरे तो फिर कैबिनेट में ज्यादा समय तक बने नहीं रह सकते।राजनीतिक जानकारों के अनुसार, इस फेरबदल के पीछे कई कारण जुड़े हो सकते हैं। यदि हालात सामान्य रहे होते तो बहुत पहले ही एक फेरबदल हो चुका होता। अब पूरे दो साल के बाद हो रहा है, इसलिए स्वभावित रूप से फेरबदल बड़ा करना पड़ा। इस फेरबदल में पश्चिम बंगाल के चुनाव के नतीजों, कोरोना महामारी से प्रभावित हुई सरकार की छवि तथा उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में आने वाले चुनावों का भी काफी प्रभाव पड़ा है। मोदी के नेतृत्व वाली पिछली सरकार और इस सरकार के कामकाज की तुलना करें तो यह लगातार यह संदेश जा रहा था कि केंद्र सरकार पहले की भांति काम नहीं कर रही है। कई मंत्रालयों के ढीले-ढाले रवैये से यह चुनौती बढ़ती हुई दिख रही थी। यह भी कहा जा रहा था कि जो कार्य केंद्र में हो रहे हैं, वे उस रूप में जनता तक नहीं पहुंच पा रहे हैं, जिस प्रकार पहुंचाए जाने चाहिए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्यों के चुनावों में स्थानीय मुद्दों के अलावा केंद्र सरकार की विकास योजनाओं को भी एक प्रमुख आधार बनाए जाने के पक्षधर रहे हैं।