Vikrant Shekhawat : Jun 16, 2021, 09:46 AM
वुहान: दुनिया भर में पिछले डेढ़ साल से कोरोना वायरस ने तबाही मचा रखी है। करोड़ों लोग इसकी चपेट में आए, जबकि लाखों लोगों ने अपनी जान गंवाई। वहीं चीन पर कोरोना वायरस को वुहान लैब में बनाने के आरोप लगते रहे हैं। ऐसे में अब चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में टॉप कोरोना वायरस शोधकर्ता शी झेंगली ने अपने संस्थान का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि यहां से वायरस लीक होने का कोई सबूत नहीं है।उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा "मैं किसी ऐसी चीज़ के लिए क्या सबूत पेश करूं जब कोई सबूत है ही नहीं। "मुझे नहीं पता कि दुनिया कैसे ऐसा कह रही है और निर्दोष वैज्ञानिकों पर लगातार आरोप लगा रही है।''बता दें कि हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के शीर्ष चिकित्सा सलाहकार एंथनी फौसी ने चीन से वुहान की लैब में काम करने वाले तीन लोगों का मेडिकल रिकॉर्ड जारी करने को कहा था। माना जा रहा था कि इन लोगों की मेडिकल रिपोर्ट इस बात का अहम सुराग दे सकती हैं कि कोविड-19 की उत्पत्ति पहली बार वुहान की लैब से ही हुई या नहीं। दरअसल वुहान का स्टाफ भी इस दौरान बीमार हुआ था जिससे वुहान लैब शक के घेरे में आई।इधर, शी ने पिछले साल नवंबर में प्रकाशित एक रिसर्च पेपर में कहा था कि लैब के स्टाफ में निमोनिया जैसे लक्षण एक फंगल इंफैक्शन के कारण हुए थे। शी और उनकी टीम ने प्रकाशित शोध में यह भी कहा था कि उन्होंने चार रोगियों में से 13 सीरम के नमूनों का फिर से टेस्ट किया लेकिन कोरोना संक्रमण के कोई संकेत नहीं मिले थे।चीन अपनी लैब से वायरस लीक के इन आरोपों को लगातार खरिज करता रहा है। उसका कहना है कि वायरस वुहान में फैलने से पहले दूसरे इलाकों में फैला था। चीन का कहना है कि हो सकता है वायरस बाहर से आए खाने की शिपमेंट या जंगली जानवरों, व्यापार के जरिए चीन में फैला हो। डॉ. फासी ने बताया कि उनका मानना है कि कोरोना वायरस पहले जानवरों के जरिए इंसानों में फैला था। इस पर नए सिरे से फिर से जांच करना बेहद ही जरूरी है। इसकी जांच आगे जारी रहनी चाहिए।