News18 : Jul 07, 2020, 05:18 PM
काहिरा। कोरोना वायरस (Coronavirus) से पैदा हुए संकट के बाद से मिस्र (Egypy) में अभी तक 10 डॉक्टरों को गिरफ्तार (Ten Doctors Arrested) किया जा चुका है। सरकार ने स्वास्थ्य कर्मियों को चेतावनी दी है कि यदि वे कोरोना वायरस से पैदा हुई स्थितियों और मरने वालों की संख्या के बारे में कोई खुलासा करेंगे तो उन्हें दंडित किया जा सकता है।
कोरोना को लेकर राष्ट्रपति की हो रही है किरकिरीकोरोना के कारण मिस्र में अभी तक 76,253 संक्रमण और 3,343 मौतें हुई हैं जो अरब देशों में सबसे ज्यादा है। इस संबंध में राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सिसी और उनकी सरकार की लगातार आलोचना हो रही है। सुरक्षा एजेंसियां उन तमाम लोगों का मुंह बंद करने की कोशिश कर रही है जो सरकार की महामारी से लड़ने की विफल नीतियों की आलोचना कर रहे हैं। डॉक्टर पीपीई किट की कमी पर क्रोध दर्शा रहे हैं और सरकार मौतों की बढ़ती संख्या के लिए उन्हें ही दोषी ठहरा रहे है। फरवरी में मिस्र में पहली बार वायरस के आने के बाद से कम से कम 10 डॉक्टरों और छह पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया है।राष्ट्रपति ने 2013 में कई पत्रकारों को भिजवाया था जेलराष्ट्रपति एल-सिसी ने 2013 में एक सैन्य अधिग्रहण की अगुवाई करने के बाद अपने इस्लामी विरोधियों के साथ सेक्युलर कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को जेल भेजकर अपना असंतोष जाहिर किया था। एक विदेशी संवाददाता कोरोना महामारी के दौरान गिरफ्तारी के डर से देश छोड़कर भाग गया है और अन्य दो को 'पेशेवर उल्लंघनों' का आरोप लगाकर प्रताड़ित किया गया है।
सेना ने 4,000 बेड का अस्पताल बनायासेना ने 4,000 बेड के अस्पतालों की स्थापना की है,टेस्टो की संख्या बढ़ाई है और कंपनियों को फेस मास्क और अन्य आपूर्तियों को जल्द से जल्द पूरा करने का आदेश दिया है लेकिन दूसरी तरफ डॉक्टरों का कहना है कि वे अपने कम वेतन के बावजूद सर्जिकल मास्क खरीदने के लिए मजबूर हैं जबकि कोरोना मरीजों के परिवार वाले इंटेंसिव केयर बेड की मांग कर रहे हैं।
महामारी ने डॉक्टरों की स्थिति को किया खराबइस महामारी ने डॉक्टरों की स्थिति को बहुत खराब कर दिया है। पिछले महीने डॉक्टरों की यूनियन ने सरकारी वकील को एक पत्र जारी किया जिसमें वायरस प्रतिक्रिया के बारे में राय व्यक्त करने के लिए हिरासत में लिए गए पांच डॉक्टरों की रिहाई की मांग की गई थी। एक अन्य सिंडिकेट सदस्य मोहम्मद अल-फावल को पिछले सप्ताह जेल भेज दिया गया था। उस पर प्रधानमंत्री से माफ़ी की मांग करने का आरोप था क्योंकि प्रधानमंत्री ने कोरोना मामलों की बढ़ती संख्या का आरोप सफाई कर्मचारियों पर लगाया था। सिंडिकेट सदस्यों की गिनती के अनुसार कोविड-19 से अब तक 117 डॉक्टर, 39 नर्स और 32 फार्मासिस्ट मारे गए हैं।डॉक्टरों का कहना है कि प्रशासकों ने उन्हें धमकी दी है कि अगर वे सार्वजनिक रूप से अधिकारियों के प्रति निराशा व्यक्त करते हैं या काम के लिए दिखाने में विफल रहते हैं तो उन्हें जेल भेज दिया जायेगा।
कोरोना को लेकर राष्ट्रपति की हो रही है किरकिरीकोरोना के कारण मिस्र में अभी तक 76,253 संक्रमण और 3,343 मौतें हुई हैं जो अरब देशों में सबसे ज्यादा है। इस संबंध में राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सिसी और उनकी सरकार की लगातार आलोचना हो रही है। सुरक्षा एजेंसियां उन तमाम लोगों का मुंह बंद करने की कोशिश कर रही है जो सरकार की महामारी से लड़ने की विफल नीतियों की आलोचना कर रहे हैं। डॉक्टर पीपीई किट की कमी पर क्रोध दर्शा रहे हैं और सरकार मौतों की बढ़ती संख्या के लिए उन्हें ही दोषी ठहरा रहे है। फरवरी में मिस्र में पहली बार वायरस के आने के बाद से कम से कम 10 डॉक्टरों और छह पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया है।राष्ट्रपति ने 2013 में कई पत्रकारों को भिजवाया था जेलराष्ट्रपति एल-सिसी ने 2013 में एक सैन्य अधिग्रहण की अगुवाई करने के बाद अपने इस्लामी विरोधियों के साथ सेक्युलर कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को जेल भेजकर अपना असंतोष जाहिर किया था। एक विदेशी संवाददाता कोरोना महामारी के दौरान गिरफ्तारी के डर से देश छोड़कर भाग गया है और अन्य दो को 'पेशेवर उल्लंघनों' का आरोप लगाकर प्रताड़ित किया गया है।
सेना ने 4,000 बेड का अस्पताल बनायासेना ने 4,000 बेड के अस्पतालों की स्थापना की है,टेस्टो की संख्या बढ़ाई है और कंपनियों को फेस मास्क और अन्य आपूर्तियों को जल्द से जल्द पूरा करने का आदेश दिया है लेकिन दूसरी तरफ डॉक्टरों का कहना है कि वे अपने कम वेतन के बावजूद सर्जिकल मास्क खरीदने के लिए मजबूर हैं जबकि कोरोना मरीजों के परिवार वाले इंटेंसिव केयर बेड की मांग कर रहे हैं।
महामारी ने डॉक्टरों की स्थिति को किया खराबइस महामारी ने डॉक्टरों की स्थिति को बहुत खराब कर दिया है। पिछले महीने डॉक्टरों की यूनियन ने सरकारी वकील को एक पत्र जारी किया जिसमें वायरस प्रतिक्रिया के बारे में राय व्यक्त करने के लिए हिरासत में लिए गए पांच डॉक्टरों की रिहाई की मांग की गई थी। एक अन्य सिंडिकेट सदस्य मोहम्मद अल-फावल को पिछले सप्ताह जेल भेज दिया गया था। उस पर प्रधानमंत्री से माफ़ी की मांग करने का आरोप था क्योंकि प्रधानमंत्री ने कोरोना मामलों की बढ़ती संख्या का आरोप सफाई कर्मचारियों पर लगाया था। सिंडिकेट सदस्यों की गिनती के अनुसार कोविड-19 से अब तक 117 डॉक्टर, 39 नर्स और 32 फार्मासिस्ट मारे गए हैं।डॉक्टरों का कहना है कि प्रशासकों ने उन्हें धमकी दी है कि अगर वे सार्वजनिक रूप से अधिकारियों के प्रति निराशा व्यक्त करते हैं या काम के लिए दिखाने में विफल रहते हैं तो उन्हें जेल भेज दिया जायेगा।