Raksha Bandhan 2020 / रक्षा बंधन पर 12 घंटे का शुभ मुहूर्त, जानें इस बार क्या है खास संयोग

भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक रक्षा बंधन का त्योहार सोमवार, 3 अगस्त को मनाया जाएगा। इस त्योहार में शुभ मुहूर्त का भी विशेष महत्व होता है। शुभ घड़ी में भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने से इंसान का भाग्योदय होता है और साथ ही रिश्तों में मधुरता आती है। आइए जानते हैं इस साल रक्षा बंधन पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त क्या है।

AajTak : Aug 01, 2020, 02:30 PM
Raksha Bandhan 2020: भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक रक्षा बंधन का त्योहार सोमवार, 3 अगस्त को मनाया जाएगा। इस त्योहार में शुभ मुहूर्त का भी विशेष महत्व होता है। शुभ घड़ी में भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने से इंसान का भाग्योदय होता है और साथ ही रिश्तों में मधुरता आती है। आइए जानते हैं इस साल रक्षा बंधन पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त क्या है।

ज्योतिषाचार्य डॉ। अरुणेश कुमार शर्मा के मुताबिक, रक्षा बंधन के दिन सुबह 9 बजकर 28 मिनट से रात्रि 9 बजकर 27 मिनट तक शुभ मुहूर्त रहेगा। 3 अगस्त को श्रावण मास का आखिरी और पांचवां सोमवार भी है। सावन में बन रहे इस शुभ संयोग ने रक्षा सूत्र के इस पर्व को और खास बना दिया है।

ध्यान रखें कि सुबह 9 बजकर 27 मिनट तक भद्राकाल होने से बहन भाई को राखी ना बांधें। इस दिन सुबह साढ़े 7 बजे से 9 बजे तक राहुकाल रहेगा। इन दोनों के होने से रक्षा बंधन सुबह 9 बजकर 28 मिनट के बाद ही मनाना शुभ है।

श्रावण पूर्णिमा श्रवण नक्षत्र में मनाई जाती है। श्रवण नक्षत्र प्रातः 7 बजकर 18 मिनट से आरंभ होगा। इस दौरान पूर्णिमा तिथि का संयोग रात 9 बजकर 27 मिनट ही रहेगा। इसके बाद भाद्रपद कृष्ण पक्ष प्रतिपदा आरंभ हो जाएगी। यह एक शून्य तिथि मानी जाती है। इसमें राखी बांधना भी शुभ नहीं माना जाता है।

वैसे तो रक्षा बंधन की कई पौराणिक कथाएं हैं, लेकिन इनमें से राजा बलि और मां लक्ष्मी की कथा का बड़ा महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार पाताल लोक में राजा बलि के यहां निवासरत देवताओं की मुक्ति के लिए माता लक्ष्मी ने बलि को राखी बांधी थी। राजा बलि अपनी बहन लक्ष्मी जी को भेंट स्वरूप देवताओं को मुक्त करने का वचन दिया था।

हालांकि राजा बलि ने ये शर्त भी रखी कि देवताओं को साल के चार महीने इसी तरह कैद में रहना होगा। इस प्रकार समस्त देवता आषाढ़ शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी से कार्तिक शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी तक पाताल लोक में निवास करते हैं। इस दौरान सांसारिक जीवन के विवाह आदि मांगलिक कार्य निषिद्ध होते हैं।