लोकल न्यूज़ / 2 हजार दिनों से अस्पताल में भर्ती हैं 6 करोड़ रुपए बन चुका है बिल

करीब 5 साल पहले अस्पताल में पेट दर्द की जांच कराने पहुंची पूनम को आज तक छुट्टी नहीं मिल पाई है.उन्हें अस्पताल में दाखिल हुए 1921 दिन गुजर चुके हैं,लेकिन उनके ठीक होने या डिस्चार्ज होने की कोई भी संभावनाएं नजर नहीं आ रहीं हैं.यह शायद भारत की सबसे लंबी अस्पताल की कहानियों में से एक है. उनके इलाज का बिल 6 करोड़ रुपए के आंकड़े को पार कर गया है.हालांकि, सवाल है कि ऐसा क्या हुआ,जो पूनम अब तक घर नहीं लौट सकी हैं?

Vikrant Shekhawat : Jan 30, 2021, 02:16 PM
बेंगलुरु. करीब 5 साल पहले अस्पताल (Hospital) में पेट दर्द (Stomach Ache) की जांच कराने पहुंची पूनम को आज तक छुट्टी नहीं मिल पाई है. उन्हें अस्पताल में दाखिल हुए 1921 दिन गुजर चुके हैं, लेकिन उनके ठीक होने या डिस्चार्ज होने की कोई भी संभावनाएं नजर नहीं आ रहीं हैं. यह शायद भारत की सबसे लंबी अस्पताल की कहानियों में से एक है. उनके इलाज का बिल 6 करोड़ रुपए के आंकड़े को पार कर गया है. हालांकि, सवाल है कि ऐसा क्या हुआ, जो पूनम अब तक घर नहीं लौट सकी हैं? परिजन अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हैं.


हमेशा खुश रहने वाली 33 साल की पूनम (Poonam) कभी एक्सेंचर कंपनी के साथ बिजनेस रिपोर्टिंग एनालिस्ट के तौर पर काम करती थीं. आज वे मुश्किल से हिल और बोल पाती हैं. डॉक्टरों ने कथित रूप से पांच साल पहले ही परिवार को 'शरीर को घर ले जाने' के लिए कह दिया था. हालांकि, परिवार को उम्मीद है कि अगह सही तरीके से इलाज किया गया, तो पूनम घर लौट सकती हैं. परिवार ने आरोप लगाया है कि पुलिस और सरकार के सामने शिकायत दर्ज कराने के बाद भी कोई मदद नहीं मिली है.


पूनम के पति राजेश नायर पत्नी के देखभाल के लिए आईएमबी और माइक्रोसॉफ्ट की जॉब छोड़ चुके हैं. वहीं, परिवार ने किसी तरह इलाज के 1.34 करोड़ रुपए चुका दिए हैं. बीते 5 सालों के दर्द को याद करते हुए नायर कहते हैं 'पूनम पूरी तरह स्वस्थ लड़की थी, जो मनिपाल हॉस्पिटल में मात्र पेट दर्द की शिकायत लेकर गई थी.' उन्होंने बताया 'सर्जरी के दौरान हुई गलतियों की वजह से कोमा में चली गईं थीं और बिस्तर पर हैं.'

उन्होंने बताया कि पहले अस्पताल की तरफ से तैयार किए गए कागजातों में भी पूनम स्वस्थ थीं, लेकिन जैसे ही हॉस्पिटल को अंदाजा हुआ कि उन्होंने कुछ गलत किया है. तो उन्होंने मेडिकल समरी में छेड़छाड़ कर दी. नायर ने आरोप लगाए कि कागजों में छेड़छाड़ कर बताया गया कि जब पूनम अस्पताल आई थी, तो उसकी हालत गंभीर थी. नायर ने कहा 'अक्टूबर 2015 में अस्पताल लगातार कह रहा था कि पूनम 3 हफ्तों से ज्यादा नहीं जी पाएगी. हालांकि, पूनम की जीने की जिद के चलते अस्पताल कई बार गलत साबित हुआ.' उन्होंने बताया कि पूनम शुरुआती कोमा से बाहर आ गई थी


नायर ने आरोप लगाए हैं कि पूनम की स्थिति को बेहतर करने के लिए अस्पताल ने कोई भी प्रयास नहीं किए न्यूज18 ने शहर के कुछ जाने-माने डॉक्टरों से  बात की, तो उन्होंने गोपनियता की शर्त पर इस मामले पर हैरानी जाहिर की है. उन्होंने इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस बताया है.


एक चिकित्सक ने बताया 'कोई भी 20 से 40 के बीच की उम्र का युवा, जो पेट की चोट से जूझ रहे हो और परिणामस्वरूप आंत से रिसाव का सामना करे, तो वो ज्यादा से ज्यादा 3 महीनों में ठीक हो जाता है. इसमें 5 साल का समय लगता है. यहां हम 28 साल की युवा महिला के बारे में बात करते हैं.'