Zee News : Aug 22, 2020, 08:30 AM
नई दिल्ली: गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2020) का त्योहार देश-दुनिया में धूमधाम से मनाया जाता है। गणपति बप्पा के भक्त इस दिन उन्हे अपने घर लाकर उनकी स्थापना करते हैं। 10 दिनों तक पूजा के बाद गणेश जी का विसर्जन किया जाता है। मान्यता के अनुसार विसर्जन के बाद बप्पा अपने धाम चले जाते हैं। आज इस शुभ अवसर पर भगवान श्री गणेश के 8 अवतारों का ध्यान करके आप भी अपनी मनोकामना पूरी कर सकते हैं।
गणपति के जिस तरह आठ अवतार- वक्रतुंड, एकदंत, महोदर, गजानन, लंबोदर, विकट, विघ्नराज और धूम्रवर्ण माने गए हैं, उसी तरह महाराष्ट्र में गणपति के आठ स्वयंभू जागृत और सिद्ध क्षेत्र हैं। बल्लालेश्वर, श्रीवरद विनायक, चिंतामणि, मयूरेश्वर, सिद्धिविनायक, महागणपति, विघ्नहर और गिरिजात्मज समेत इन आठ मंदिरों को लोग अष्टविनायक के नाम से जानते हैं। गणपति की इन आठ प्रतिमाओं के दर्शन मात्र से लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। आइए ऋद्धि-सिद्धि के दाता और सभी विघ्नों को दूर करने वाले गणपति के इन चमत्कारी और सिद्ध मंदिरों के बारे में जानते हैं।
1 बल्लालेश्वर महाराष्ट्र के मुंबई-गोवा मार्ग पर पाली गांव स्थित गणपति का यह पावन धाम। इस मंदिर का नाम गणपति के अनन्य भक्त बल्लाल के नाम पर रखा गया है। इस मंदिर की पावनता को इस तरह से समझा जा सकता है कि पेशवाकाल में यहां की सौगंध देकर न्याय किया जाता था। यहां पर बाईं सूड़ वाले गणपति विराजमान हैं।2 श्रीवरद विनायकगणों के अधिपति श्री गणेश जी का श्रीवरद विनायक मंदिर महाराष्ट्र के महड़ में स्थित है। मान्यता है कि ऋषि गृत्समद ने इस मंदिर में श्रीवरद विनायक को स्थापित किया था। सुख-समृद्धि का वरदान देने वाला गणपति का यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है।
3 चिंतामणी महाराष्ट्र के थेऊर गांव में स्थित चिंतामणी गणपति का मंदिर काफी प्रसिद्ध है। मान्यता है कि बाईं सूड़ वाले चिंतामणी गणपति के दर्शन मात्र से ही व्यक्ति की सारी चिंताएं दूर हो जाती है।4 मयूरेश्वरमहाराष्ट्र के मोरगांव में श्री मयूरेश्वर विनायक का मंदिर स्थित है। पुणे से करीब 80 किलोमीटर दूरी पर स्थित इस पावन धाम पर गणपति की बैठी हुई मुद्रा में मूर्ति है। बाई सूड़ वाले गणपति की प्रतिमा के सामने नंदी स्थापित हैं। मान्यता है कि गणपति ने इसी स्थान पर मोर पर सवार होकर सिंधुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था।5 सिद्धिविनायकमहाराष्ट्र के पुणे शहर से तकरीबन 200 किमी दूर सिद्धटेक में श्री सिद्धिविनायक का मंदिर है। मंदिर में गणपतिकी लगभगतीन फुट उंची और ढाई फुट चौड़ी दाहिनी सूड़ वाली मूर्ति है। मान्यता है कि इसी स्थान पर भगवान विष्णु ने श्री सिद्धिविनायक भगवान की साधना करके सिद्धियां प्राप्त की थी।6 महागणपति अष्टविनायक में से एक महागणपति का मंदिर महाराष्ट्र के राजणगांव में स्थित है। महागणपति का अर्थ है शक्तियुक्त गणपति। मान्यता है कि गणपति के इसी स्वरूप की साधना करके भगवान शिव ने त्रिपुरासुर रनाम के राक्षस पर विजय प्राप्त की थी। महागणपति की मूर्ति बाईं सूड़ वाली है।
गणपति के जिस तरह आठ अवतार- वक्रतुंड, एकदंत, महोदर, गजानन, लंबोदर, विकट, विघ्नराज और धूम्रवर्ण माने गए हैं, उसी तरह महाराष्ट्र में गणपति के आठ स्वयंभू जागृत और सिद्ध क्षेत्र हैं। बल्लालेश्वर, श्रीवरद विनायक, चिंतामणि, मयूरेश्वर, सिद्धिविनायक, महागणपति, विघ्नहर और गिरिजात्मज समेत इन आठ मंदिरों को लोग अष्टविनायक के नाम से जानते हैं। गणपति की इन आठ प्रतिमाओं के दर्शन मात्र से लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। आइए ऋद्धि-सिद्धि के दाता और सभी विघ्नों को दूर करने वाले गणपति के इन चमत्कारी और सिद्ध मंदिरों के बारे में जानते हैं।
1 बल्लालेश्वर महाराष्ट्र के मुंबई-गोवा मार्ग पर पाली गांव स्थित गणपति का यह पावन धाम। इस मंदिर का नाम गणपति के अनन्य भक्त बल्लाल के नाम पर रखा गया है। इस मंदिर की पावनता को इस तरह से समझा जा सकता है कि पेशवाकाल में यहां की सौगंध देकर न्याय किया जाता था। यहां पर बाईं सूड़ वाले गणपति विराजमान हैं।2 श्रीवरद विनायकगणों के अधिपति श्री गणेश जी का श्रीवरद विनायक मंदिर महाराष्ट्र के महड़ में स्थित है। मान्यता है कि ऋषि गृत्समद ने इस मंदिर में श्रीवरद विनायक को स्थापित किया था। सुख-समृद्धि का वरदान देने वाला गणपति का यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है।
3 चिंतामणी महाराष्ट्र के थेऊर गांव में स्थित चिंतामणी गणपति का मंदिर काफी प्रसिद्ध है। मान्यता है कि बाईं सूड़ वाले चिंतामणी गणपति के दर्शन मात्र से ही व्यक्ति की सारी चिंताएं दूर हो जाती है।4 मयूरेश्वरमहाराष्ट्र के मोरगांव में श्री मयूरेश्वर विनायक का मंदिर स्थित है। पुणे से करीब 80 किलोमीटर दूरी पर स्थित इस पावन धाम पर गणपति की बैठी हुई मुद्रा में मूर्ति है। बाई सूड़ वाले गणपति की प्रतिमा के सामने नंदी स्थापित हैं। मान्यता है कि गणपति ने इसी स्थान पर मोर पर सवार होकर सिंधुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था।5 सिद्धिविनायकमहाराष्ट्र के पुणे शहर से तकरीबन 200 किमी दूर सिद्धटेक में श्री सिद्धिविनायक का मंदिर है। मंदिर में गणपतिकी लगभगतीन फुट उंची और ढाई फुट चौड़ी दाहिनी सूड़ वाली मूर्ति है। मान्यता है कि इसी स्थान पर भगवान विष्णु ने श्री सिद्धिविनायक भगवान की साधना करके सिद्धियां प्राप्त की थी।6 महागणपति अष्टविनायक में से एक महागणपति का मंदिर महाराष्ट्र के राजणगांव में स्थित है। महागणपति का अर्थ है शक्तियुक्त गणपति। मान्यता है कि गणपति के इसी स्वरूप की साधना करके भगवान शिव ने त्रिपुरासुर रनाम के राक्षस पर विजय प्राप्त की थी। महागणपति की मूर्ति बाईं सूड़ वाली है।