Vikrant Shekhawat : Dec 19, 2020, 03:09 PM
पाली:कानपुरा गांव में बीते 27 सितंबर को कुएं में कार्य करते वक्त मिट्टी ढहने से दबे श्रमिक मूपाराम का शव 84 दिन बाद आज बाहर निकलने की उम्मीद है। कुआं कुल 90 फीट गहरा था। जिसकी खुदाई पूरी हो गई है। रेस्क्यू टीम को शव भी दिख गया है। प्रदेश में संभवत: ऐसा पहला मामला है कि कुएं में दबे हुए शव को निकालने के लिए इतना लंबा रेस्क्यू करना पड़ा।
परिजनों को जगी उम्मीद, शव का कर सकेंगे अंतिम संस्कार:
पहले जुगाड़ से ही चलता रहा रेस्क्यू, बाद में कुएं को ही कब्र मान लिया:
27 सितंबर को कुएं में गिरे श्रमिक मूपाराम मीणा के शव को निकालने के लिए कोई अधिकारी गंभीर नहीं रहा। मात्र एसडीआरएफ तथा भीलवाड़ा में कुओं व बोरवेल की खुदाई करने वाले लोगों को बुलाकर उनसे रेस्क्यू कराया गया।
5 दिन में टीम ने यह तो पता लगा लिया कि शव के ऊपर 8 से 10 फीट तक मिट्टी है। कुछ दलदल भी है। ऐसे में कभी लोहे का फर्मा बनाकर उतारा गया तो कभी लोहे के बड़े ड्रम काटकर उतारे गए, मगर शव नहीं निकला। मडपंप से प्रेशर देकर मिट्टी निकालने का प्रयास किया तो कुआं मालिक ने एतराज जताया। वहीं कुआं मालिक आसपास के क्षेत्र में खुदाई करने में आनाकानी करता। ऑपरेशन फेल हो गया।
फिर इस तकनीक से शुरू हुआ रेस्क्यू, ताकि शव को नुकसान नहीं पहुंचे:
क्षतिग्रस्त कुएं को 80 फीट तक रोड़ी-रेती से भरा गया। कुएं की चौड़ाई 9 फीट से बढ़ाकर 13 फीट तक करा। कुएं से वापस रेती-राेड़ी निकालकर पक्का निर्माण शुरू किया। परत-दर-परत गहराई में खुदाई के बाद सीमेंट के फर्में भरे। कुल 55 फीट तक भरे गए सीमेंट के फर्में, ताकि कुआं पक्का हाे।
इन उपकरण का हुआ इस्तेमाल:
रेस्क्यू ऑपरेशन 2 जेसीबी, 3 डंपर, 3 पोकलेन, जेनेरेटर, सिंगल और डबल फेज की मोटर और ऑक्सीजन सिलेंडर का इस्तेमाल किया गया। इसके साथ ही 8 लेबर को कुआं खोदने के लिए लगाया गया।
कैसे फिर शुरू हुआ रेस्क्यू:
4 अक्टूबर को जिले के दौरे पर आए प्रभारी मंत्री सालेह मोहम्मद व प्रभारी सचिव डॉ. समित शर्मा की फटकार के बाद कलेक्टर व एसपी ने 5 अक्टूबर को घटनास्थल का दौरा किया व नए सिरे से रेस्क्यू शुरू कराया।
- कुआं कुल 90 फीट गहरा था, जिसमें लगातार खुदाई की जा रही थी
परिजनों को जगी उम्मीद, शव का कर सकेंगे अंतिम संस्कार:
- 27 सितंबर को कुएं में दफन हुआ था मूपाराम।
- 31 सितंबर तक रेस्क्यू चला।
- 1 अक्टूबर को शव निकालने में सरकारी इच्छाशक्ति टूटी।
- 4 अक्टूबर को मंत्री-प्रभारी सचिव की फटकार के बाद रेस्क्यू का निर्णय।
- 5 अक्टूबर को कलेक्टर-एसपी मौका देखने पहुंचे।
- 13 अक्टूबर से तकनीकी अधिकारियों की मौजूदगी मेंं नए सिरे से रेस्क्यू शुरू किया गया।
- 15 अक्टूबर से कुएं को नया बनाने के लिए फर्में लगाने का कार्य शुरू।
पहले जुगाड़ से ही चलता रहा रेस्क्यू, बाद में कुएं को ही कब्र मान लिया:
27 सितंबर को कुएं में गिरे श्रमिक मूपाराम मीणा के शव को निकालने के लिए कोई अधिकारी गंभीर नहीं रहा। मात्र एसडीआरएफ तथा भीलवाड़ा में कुओं व बोरवेल की खुदाई करने वाले लोगों को बुलाकर उनसे रेस्क्यू कराया गया।
5 दिन में टीम ने यह तो पता लगा लिया कि शव के ऊपर 8 से 10 फीट तक मिट्टी है। कुछ दलदल भी है। ऐसे में कभी लोहे का फर्मा बनाकर उतारा गया तो कभी लोहे के बड़े ड्रम काटकर उतारे गए, मगर शव नहीं निकला। मडपंप से प्रेशर देकर मिट्टी निकालने का प्रयास किया तो कुआं मालिक ने एतराज जताया। वहीं कुआं मालिक आसपास के क्षेत्र में खुदाई करने में आनाकानी करता। ऑपरेशन फेल हो गया।
फिर इस तकनीक से शुरू हुआ रेस्क्यू, ताकि शव को नुकसान नहीं पहुंचे:
क्षतिग्रस्त कुएं को 80 फीट तक रोड़ी-रेती से भरा गया। कुएं की चौड़ाई 9 फीट से बढ़ाकर 13 फीट तक करा। कुएं से वापस रेती-राेड़ी निकालकर पक्का निर्माण शुरू किया। परत-दर-परत गहराई में खुदाई के बाद सीमेंट के फर्में भरे। कुल 55 फीट तक भरे गए सीमेंट के फर्में, ताकि कुआं पक्का हाे।
इन उपकरण का हुआ इस्तेमाल:
रेस्क्यू ऑपरेशन 2 जेसीबी, 3 डंपर, 3 पोकलेन, जेनेरेटर, सिंगल और डबल फेज की मोटर और ऑक्सीजन सिलेंडर का इस्तेमाल किया गया। इसके साथ ही 8 लेबर को कुआं खोदने के लिए लगाया गया।
कैसे फिर शुरू हुआ रेस्क्यू:
4 अक्टूबर को जिले के दौरे पर आए प्रभारी मंत्री सालेह मोहम्मद व प्रभारी सचिव डॉ. समित शर्मा की फटकार के बाद कलेक्टर व एसपी ने 5 अक्टूबर को घटनास्थल का दौरा किया व नए सिरे से रेस्क्यू शुरू कराया।