Vikrant Shekhawat : Aug 11, 2024, 01:50 PM
Bangladesh Violence: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बड़ा आरोप लगाया है और उन्होंने कहा है कि मुझे सत्ता से हटाने के लिए बड़ी साजिश रची गई थी। उन्होंने अमेरिका पर उन्हें सत्ता से बेदखल करने का आरोप लगाया है। हसीना ने कहा है कि सेंट मार्टिन द्वीप नहीं देने के कारण ही अमेरिका ने उन्हें सत्ता से हटाने की योजना बनाई थी। उनका कहना है कि इस द्वीप के मिलने से अमेरिका को बंगाल की खाड़ी पर प्रभाव जमाने में मदद मिल सकती थी। हसीना ने अपने देश के लोगों को आगाह किया और कहा कि आप सब कट्टरपंथियों के बहकावे में न आएं।इकोनॉमिक्स टाइंम्स की खबर में कहा गया है कि शेख हसीना ने अपने करीबी सहयोगियों के जरिए भेजे गए संदेश में ये बातें कही है। इकनॉमिक टाइम्स को हसीना का ये संदेश हासिल हुआ है। शेख हसीना ने छात्रों के उग्र विरोध प्रदर्शन के बाद 5 अगस्त को पीएम पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया था। वे फिलहाल भारत में सुरक्षित स्थान पर रह रही हैं।संदेश में हसीना ने क्या लिखा हैसंदेश में हसीना ने कहा, 'मैंने इस्तीफा दे दिया, ताकि मुझ लाशों का जुलूस न देखना पड़े। वे छात्रों की लाशों पर सत्ता में आना चाहते थे, लेकिन मैंने ऐसा नहीं होने दिया। मैंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।' उन्होंने आगे कहा, 'मैं सत्ता में बनी रह सकती थी, अगर मैंने सेंट मार्टिन द्वीप की संप्रभुता को त्याग दिया होता और अमेरिका को बंगाल की खाड़ी पर अपना प्रभुत्व कायम करने दिया होता। मैं अपने देश के लोगों से विनती करती हूं, कृपया कट्टरपंथियों के बहकाएं में न आएं।' कुगेलमैन ने आरोपों को किया खारिजविल्सन सेंटर में दक्षिण एशिया संस्थान के निदेशक माइकल कुगेलमैन ने शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय के आरोपों को खारिज कर दिया, जिन्होंने विरोध प्रदर्शन के पीछे विदेशी हस्तक्षेप का दावा किया था, उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में अशांति के लिए अंदरूनी कारक ही जिम्मेदार हैं। हसीना सरकार की प्रदर्शनकारियों पर कठोर कार्रवाई ने आंदोलन को बढ़ा दिया। उन्होंने कहा कि "मेरा दृष्टिकोण बहुत सरल है। मैं इसे एक ऐसे संकट के रूप में देखता हूं जो पूरी तरह से आंतरिक कारकों से प्रेरित था, जो छात्र किसी विशेष मुद्दे, नौकरी कोटा से नाखुश थे जो उन्हें पसंद नहीं था और वे सरकार के बारे में चिंतित थे। शेख हसीना की कुगेलमैन ने कहा, सरकार ने छात्रों पर बहुत सख्ती की और इसके बाद आंदोलन बहुत बड़ा हो गया और यह केवल आंतरिक कारकों से प्रेरित था।