Vikrant Shekhawat : Nov 17, 2024, 12:00 PM
Mukesh Ambani News: धीरूभाई अंबानी भारतीय उद्योग जगत में एक ऐसा नाम है, जिसने अपनी मेहनत और दूरदृष्टि के दम पर सफलता की नई इबारत लिखी। 1957 में शुरू हुई रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 1987 के दशक में क्रिकेट विश्वकप को प्रायोजित करके राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई। इसके बाद धीरूभाई ने रिलायंस इंडस्ट्रीज को ऊंचाइयों पर पहुंचाने के लिए लगातार काम किया। उनका दृष्टिकोण और व्यवसायिक कुशलता उन्हें भारत के अग्रणी उद्योगपतियों में शुमार कर गई।
रिलायंस का बंटवारा और नई चुनौतियां
धीरूभाई अंबानी के निधन के बाद 2005-2006 में रिलायंस ग्रुप का बंटवारा उनके बेटों, मुकेश और अनिल अंबानी के बीच हुआ। मुकेश अंबानी को पेट्रोकेमिकल्स, रिलायंस इंडस्ट्रीज और उससे संबंधित कारोबार मिले, जबकि अनिल अंबानी के हिस्से में टेलीकॉम, एनर्जी और फाइनेंस से जुड़ी कंपनियां आईं।बंटवारे के बाद जहां मुकेश अंबानी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, वहीं अनिल अंबानी को अपने कुछ गलत फैसलों की वजह से लगातार वित्तीय नुकसान का सामना करना पड़ा।अनिल अंबानी की प्रमुख गलतियां
अनिल अंबानी के व्यवसायिक फैसलों की समीक्षा करते समय उनकी कुछ प्रमुख गलतियां सामने आती हैं:- बिना योजना के निवेश: बंटवारे के तुरंत बाद अनिल ने कई अलग-अलग सेक्टर्स में निवेश किया, लेकिन उनकी योजनाओं में दीर्घकालिक दृष्टिकोण की कमी थी।
- टेलीकॉम और पावर सेक्टर में भारी निवेश: उन्होंने टेलीकॉम और पावर सेक्टर में अत्यधिक निवेश किया, जो उनके लिए घाटे का सौदा साबित हुआ। इन सेक्टर्स से रिटर्न की उम्मीदें पूरी नहीं हो सकीं।
- कर्ज का बढ़ता बोझ: कई क्षेत्रों में निवेश करने के चलते उनकी कंपनियों पर कर्ज का बोझ बढ़ता गया, जिसे संभालना उनके लिए चुनौतीपूर्ण हो गया।
- लक्ष्य का अभाव: अलग-अलग क्षेत्रों में व्यस्त रहने के कारण अनिल किसी एक बिजनेस पर पूरी तरह फोकस नहीं कर सके, जिससे उनके कारोबार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।