Vikrant Shekhawat : Aug 17, 2023, 11:45 PM
Locust Swarm: टिड्डी दल जिस तरफ भी जाता है, तबाही मचा देता है, ये दल खेत के खेत चट जाते हैं, अब एक बार फिर इनका खतरा मंडराने लगा है, राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में बड़ी मात्रा में टिड्डियों के अंडे मिले हैं, राजस्थान के टिड्डी नियंत्रण दल के सर्वे के मुताबिक इन अंडो से टिड्डियों के निकलने का क्रम शुरू हो गया है जो खतरे का संकेत है. टिड्डियां हमेशा झुंड में उड़ती हैं, इनके झुंड में करोड़ों टिड्डियां शामिल होती हैं, ये जहां भी बैठती हैं वहां की फसल चंद मिनटों में ही चट कर जाती हैं. ये कितनी खतरनाक हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक दल जिसमें चार करोड़ टिड्डियां हैं, वो एक दिन में इतना खाना चट कर जाता है जिससे 35 हजार लोगों का पेट भरा जा सकता है.कितनी खतरनाक हैं ये टिड्डियांसंयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन यानी एफएओ के मुताबिक के मुताबिक टिड्डियों का एक दल जो एक वर्ग किमी में फैला हो, उसमें तकरीबन चार करोड़ टिड्डियां होती हैं, एक टिड्डा अपने वजन के बराबर अनाज चट करता है, यदि किसी एक व्यक्ति के लिए औसत अनाज की मात्रा 3.2 किलो मानी जाए तो ये दल एक दिन में इतना अनाज चट कर जाता है, जिससे 35 हजार लोगों का पेट भरा जा सकता है. ये सिर्फ फसल ही नहीं बल्कि पेड़-पौधों को भी अपना शिकार बनाती हैं, ये फूल, बीज, छाल सब खा जाती हैं.कहां से आती हैं इतनी टिड्डियांराजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में जो टिड्डियों के अंडे मिले हैं, यह पाकिस्तान से आए दल के बताए जा रहे हैं, दरअसल भारत तक पहुंचने से पहले टिड्डियां एक लंबा सफर तय करती हैं, ये ईरान से अफगानिस्तान और पाकिस्तान होते हुए भारत तक आती हैं और रास्ते भर फसल को नुकसान पहुंचाती हैं. ऐसा भी नहीं कि सिर्फ इन्हीं देशों में टिड्डियों के दल से खतरा है. अफ्रीकी देशों में भी टिड्डियों का दल फसलों को खूब प्रभावित करता है.क्यों है टिड्डियों की इतनी आबादीटिड्डियों की आबादी बहुत तेजी से बढ़ती है, विशेषज्ञों के मुताबिक टिड्डियों का जीवनकाल महज 3 से पांच महीने का होता है, लेकिन एक मादा टिड्डी अपने जीवनकाल में तीन बार अंडे देती हैं, खास बात ये है कि एक बार दिए गए अंडों की तादाद ही तकरीबन 150 तक हो सकती है. टिड्डियां खास तौर से नमी वाले इलाकों में पाई जाती हैं, इसीलिए मानसून के बाद इनके हमले का खतरा बढ़ जाता है.हवा के साथ चलती हैंटिड्डी दल की खासियत ये है कि हवा के साथ चलती हैं, एक टिड्डी दल सामान्यत: 13 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरता है और एक दिन में 150 से 200 किमी तक का सफर तय कर लेता है. विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि एक टिड्डी दल फसल पर बैठा तो 20 से 25 मिनट में ही एक पूरे इलाके की फसल पेड़-पौधे तबाह कर सकता है.ये है टिड्डियों के हमले का इतिहासटिड्डियों के हमले से बचने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्रालय की ओर से भी एडवायजरी जारी की जाती है, इसके अधीन आने वाले डायरेक्टोरेट ऑफ प्लांट प्रोटेक्शन के मुताबिक भारत में टिड्डियों के हमले का इतिहास पुराना है. रिकॉर्ड के मुताबिक 1812 से ही टिड्डियों के दल लगातार हमले कर रहे हैं. खास बात ये है कि 1926 में इस दल के हमले से भारत में 10 करोड़ रुपये से ज्यादा की फसल बर्बाद हुई थी. इसके अलावा 1940 से लेकर अब तक हर दो या तीन साल में टिड्डियों का दल भारत में हमले करता रहा है और हर बार ही एक लाख से लेकर 2 करोड़ रुपये तक की फसल बर्बाद हुई है.भारत में तीन साल पहले हुआ था बड़ा हमलाभारत में इससे पहले टिड्डियों का बड़ा हमला 2020 में हुआ था. कोरोना महामारी के समय टिड्डियों के दल ने खूब कहर ढाया था. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक उस वक्त गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और यूपी के कुछ इलाकों में 50 हजार हेक्टेयर से ज्यादा की फसल तबाह हो गई थी.बचाव का ये है रास्ताटिड्डियों के दल से निपटने का एक मात्र तरीका नियंत्रण और मॉनीटरिंग ही है, इसके लिए भारत में डेजर्ट लोकस्ट इंफॉर्मेशन सर्विस चेतावनी जारी करती है. जब किसी इलाके में टिड्डी हमला कर देती हैं तो उन्हें तेज आवाज से भगाया जाता है, इसके अलावा हवा में कीटनाशक का छिड़काव भी किया जाता है.