Sun Mission / Aditya L1 सुलझाएगा सूरज की पहेली, ISRO चीफ ने की पूजा- बस लॉन्चिंग में कुछ घंटे बाकी

चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता के बाद भारत एक बार फिर से अंतरिक्ष में अपनी अमिट छाप छोड़ने के लिए तैयार है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) आज भारत का पहला सूर्य मिशन ADITYA-L1 लॉन्च करने जा रहा है. आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से इसे सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर लॉन्च किया जाएगा. मिशन की सफलता के लिए इसरो चीफ एस सोमनाथ और अन्य सभी वैज्ञानिकों ने मंदिर में जाकर पूजा अर्चना भी की.

Vikrant Shekhawat : Sep 02, 2023, 08:09 AM
Sun Mission: चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता के बाद भारत एक बार फिर से अंतरिक्ष में अपनी अमिट छाप छोड़ने के लिए तैयार है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) आज भारत का पहला सूर्य मिशन ADITYA-L1 लॉन्च करने जा रहा है. आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से इसे सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर लॉन्च किया जाएगा. मिशन की सफलता के लिए इसरो चीफ एस सोमनाथ और अन्य सभी वैज्ञानिकों ने मंदिर में जाकर पूजा अर्चना भी की.

यह मिशन इसलिए भी ऐतिहासिक माना जा रहा है क्योंकि इससे पहले भारत ने सूर्य के सीक्रेट्स जानने के लिए कोई भी स्पेस मिशन लॉन्च नहीं किया था. इसरो ने गुरुवार को आदित्य एल1 की सफल लॉन्चिंग रिहर्सल्स भी की और शनिवार से इसकी लॉन्चिंग का काउंटडाउन शुरू कर दिया था. ISRO द्वारा आदित्य एल1 को बाहुबली रॉकेट पीएसएलवी-सी 57 के जरिए सूर्य की कक्षा में भेजा जाएगा. मिशन को अपने तय कक्षा तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे.

क्या है Aditya-L1 का डेस्टिनेशन?

आदित्य एल-1 को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जिसके बाद उसे प्रोपल्शन प्रणाली के जरिये लग्रांज पॉइंट एल-1 की ओर भेजा जाएगा. आदित्य एल1 अपने साथ कुल सात पेलोड ले जाएगा जो फोटोस्फेयर, क्रोमोस्फेयर और सूर्य की सबसे बाहरी परत का अध्ययन करेगा.

बता दें कि भारत ऐसा पहला देश नहीं है जो सूर्य के अध्ययन के लिए कोई मिशन लॉन्च कर रहा है. इससे पहले अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA, यूरोपीय स्पेस एजेंसी और जर्मन एयरोस्पेस सेंटर ने भी अपने सूर्य मिशन लॉन्च किए हैं. जिसमें से सबसे ज्यादा सफल नासा द्वारा भेजा गया ‘पार्कर सोलर प्रोब’ मिशन माना जाता है. यह एकलौता ऐसा मिशन है जो सूर्य के सबसे करीब पहुंच सका है.

क्या है लैंग्रेज पॉइंट (L1)

चंद्रयान-3 की तरह आदित्य एल1 को भी धीरे-धीरे करके पृथ्वी की कक्षा से बाहर भेजा जाएगा. पहले आदित्य एल-1 को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा फिर इसे एल-1 प्वाइंट की ओर भेजा जाएगा. यह पृथ्वी और सूर्य के बीच का एक ऐसा स्थान है जहां गुरुत्वाकर्षण का असर नहीं होता है. इस स्थान को पार्किंग पॉइंट भी कहा जाता है क्योंकि इसी कक्षा में घूमते हुए आदित्य अपना सूर्य अध्ययन करेगा. आदित्य एल1 कुल 15 लाख किमी की दूरी तय करके अपने गंतव्य तक पहुंचेगा.

कितना आया खर्च ?

भारत अपनी वैज्ञानिक ताकत के जरिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत पकड़ बना रहा है. भारतीय स्पेस मिशन अपने आप में अनोखे इसलिए भी माने जाने जाते हैं क्योंकि अन्य देशों के मुकाबले हमारे मिशन बहुत कम बजट में सफल हो जाते हैं. चंद्रयान-3 मून मिशन में 615 करोड़ रुपये लगे थे. आदित्य एल1 का कुल बजट 400 करोड़ रुपए है, यानी चंद्रयान मिशन से भी 200 करोड़ रुपये कम. रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत का सूर्य मिशन NASA के सूर्य मिशन से तकरीबन 90 प्रतिशत सस्ता है.