Vikrant Shekhawat : Jun 05, 2021, 04:19 PM
चीन में इन दिनों एलियन यान (Alien Spacecraft) यानी UFO देखने की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। इसे ट्रैक करने के लिए चीन की सेना ने नया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित ट्रैकिंग सिस्टम बनाया है, ताकि इन एलियन यानों के आने-जाने पर नजर रखी जा सके। हालांकि, चीन की सेना ने यह भी कहा है कि जरूरी नहीं कि ये एलियन यान ही हों लेकिन सुरक्षा की नजर से इनका ट्रैक किया जाना जरूरी है।
चीन की सेना ने ऐसी घटनाओं को अनआइडेंटीफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट (UFO) के बजाय अनआइडेंटीफाइड एयर कंडीशन (UAC) नाम दिया है। ठीक इसी तरह अमेरिकी सेना इसे अनआइडेंटीफाइड एरियल फिनोमेना (UAP) कहती है। लेकिन दुनियाभर की सेनाएं कुछ भी नाम दें, आम लोग तो इन्हें UFO या एलियन यान के नाम से ही जानते हैं। जिसे लेकर हमेशा एक उत्सुकता बनी रहती है। वुहान स्थित एयरफोर्स अर्ली वॉर्निंग एकेडमी के शोधकर्ता चेन ली ने बताया कि पिछले कुछ सालों में पूरे देश में मिलिट्री और आम लोगों ने ऐसे अनजाने यानों और आकृतियों को आसमान में उड़ते हुए देखा है जिसे पहले कभी नहीं देखा गया। चीन के ऊपर इनकी उड़ानों और दिखने की संख्या तेजी से बढ़ी है। इसकी वजह से देश की हवाई सुरक्षा को खतरा है। चेन ने 2019 में बीजिंग में हुए सीनियर इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी साइंटिस्ट कॉन्फ्रेंस में भी यह बात लोगों को बताई थी। इसके बाद चीन की सेना यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के वैज्ञानिकों ने इन एलियन यानों को ट्रैक करने के लिए AI आधारित ट्रैकिंग सिस्टम बनाया। चेन ने बताया कि AI का उपयोग एक अलग तरह का डेटा हमें देगा, जो सटीक होगा। क्योंकि यह पूरे देश से आने वाली खबरों के डेटा को एकसाथ रखेगा। उन्हें जोड़ेगा। समय और स्थान की डिटेल रखेगा। तस्वीरें और वीडियो संभालेगा। ताकि यह पता चल सके कि यह हवाई घटनाएं किसी दुश्मन देश की साजिश तो नहीं हैं। किसी एमेच्योर पायलट की उड़ान या प्राकृतिक रूप से दिखने वाली कोई अनजान चीज या कोई और वजह तो नहीं है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने हाल ही में UFO देखे जाने की खबरों को आंशिक रूप से सार्वजनिक किया था। ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी देश के रक्षा मंत्रालय ने ऐसा किया है। हालांकि, किसी भी देश में UFO का देखा जाना वहां की सुरक्षा के लिए खतरनाक माना जाता है क्योंकि इसमें दुश्मन देश की कोई चाल भी हो सकती है। हो सकता है कि कि देश ने अत्याधुनिक यान बनाया हो जो देखने में एलियन यान जैसा दिखता हो और वह जासूसी के मकसद से लॉन्च किया गया हो। इसलिए कई देश ऐसे UFO पर नजर रखने की कोशिश करते हैं।ऐसे यान अक्सर राडार को धोखा देकर उड़ते हैं। इनकी गति भी काफी ज्यादा होती है। इसलिए ये पलक झपकते ही गायब हो जाते हैं। ऐसे UFO का देखा जाना उस देश की लिए शर्मनाक साबित होता है जो इनकी ट्रैकिंग, तस्वीरें या वीडियो नहीं कर पाते। इसलिए आमतौर पर इन घटनाओं को गुप्त रखा जाता है। चीन ने अब तक एक ही ऐसी घटना का पुख्ता जानकारी सार्वजनिक की है। 19 अक्टूबर 1998 को हेबेई प्रांत के कांगझोउ मिलिट्री एयरबेस के ऊपर UFO उड़ते हुए देखे गए थे। इस UFO को इंटरसेप्ट करने के लिए दो फाइटर जेट भेजे गए थे। ये UFO मिलिट्री एयरबेस के ऊपर कम ऊंचाई पर उड़ रहा था। इसके मशरूम के आकार के दो छोटे-छोटे पैर दिख रहे थे। इस एलियन यान के मध्य भाग से दो रोशनी की किरणें मिलिट्री एयरबेस पर छोड़ी जा रही थीं। जैसे ही चीन के एयरफोर्स फाइटर जेट्स इसके पास पहुंचे यह 20 हजार मीटर की ऊंचाई से भूत की तरह गायब हो गया। राडार से भी गायब और आंखों की सीमा से भी।चेन ली के मुताबिक, चीन की PLA के पास ऐसे UFO के ट्रैक करने के लिए थ्री-टायर रिपोर्टिंग सिस्टम है। सबसे पहला है मिलिट्री राडार स्टेशन, एयरफोर्स पायलट, पुलिस स्टेशन और मौसम केंद्र। दूसरे लेवल पर चीन की सेना के रीजनल मिलिट्री कमांड प्राथमिक विश्लेषण करती है। क्षेत्रीय स्तर पर जमा किए गए डेटा को नेशनल डेटाबेस से जोड़ती है। यहां पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से सेना खतरे का एनालिसिस करती है। जिसमें उड़ने वाली वस्तु का व्यवहार, दिखने का दर, एयरोडायनेमिक्स डिजाइन, रेडियोएक्टिविटी, संभावित निर्माण सामग्री और स्थानीय या सेना द्वारा जुटाई गई जानकारी।AI सारी जानकारी जुटाकर एक साथ पूरा एनालिसिस करके यह बताता है कि यह सच में एलियन यान था, या फिर कुछ और। कई बार सैन्य ठिकानों या राजनीतिक रैलियों के ऊपर किसी स्थानीय व्यक्ति द्वारा अनजाने में ड्रोन, या छोटे एयरक्राफ्ट भी उड़ा दिए जाते हैं। क्योंकि चीन में इनका प्रचलन पिछले कुछ सालों में काफी तेजी से बढ़ा है। जैसे ही ये वस्तुएं आसमाना में आती है, इनसे निकलने वाले चार्ज्ड पार्टिकल्स की वजह से राडार में इनकी तस्वीर उभर कर सामने आ जाती है। मैन्यूअल तरीके से ऐसी घटनाओं की जांच करने में काफी समय लगता है, जबकि AI इसे जल्दी करके दे देता है। साथ ही हर पहलू की क्रॉस चेकिंग भी कर लेता है। जियान में मौजूद एक राडार साइंटिस्ट ने नाम ने बताने की शर्त पर बताया कि चीन के वायु क्षेत्र में एलियन यानों के बजाय इंसानी गतिविधियां ज्यादा बढ़ी हैं। चीन की सरकार ने कॉमर्शियल उड़ानों, ड्रोन्स आदि पर रोक के लिए जो नियम बनाए हैं वो काफी लचर और ढीले हैं। ड्रोन्स बेहद सस्ते और पॉपुलर होते हैं। लोग इन्हें फोटोग्राफी का शौक पूरा करने के लिए आसानी से खरीद लेते हैं।राडार साइंटिस्ट ने ये भी कहा कि दक्षिण चीन सागर में अमेरिकी गतिविधियां बढ़ने की वजह से भी चीन ऐसे उड़ने वाली वस्तुओं पर गंभीरता से सोच रहा है। उनके लिए तैयारियां कर रहा है। क्योंकि ऐसे एलियन यानों के उड़ने की संख्या बढ़ी है, जिसे तत्काल एक्सप्लेन नहीं किया जा सकता।
चीन की सेना ने ऐसी घटनाओं को अनआइडेंटीफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट (UFO) के बजाय अनआइडेंटीफाइड एयर कंडीशन (UAC) नाम दिया है। ठीक इसी तरह अमेरिकी सेना इसे अनआइडेंटीफाइड एरियल फिनोमेना (UAP) कहती है। लेकिन दुनियाभर की सेनाएं कुछ भी नाम दें, आम लोग तो इन्हें UFO या एलियन यान के नाम से ही जानते हैं। जिसे लेकर हमेशा एक उत्सुकता बनी रहती है। वुहान स्थित एयरफोर्स अर्ली वॉर्निंग एकेडमी के शोधकर्ता चेन ली ने बताया कि पिछले कुछ सालों में पूरे देश में मिलिट्री और आम लोगों ने ऐसे अनजाने यानों और आकृतियों को आसमान में उड़ते हुए देखा है जिसे पहले कभी नहीं देखा गया। चीन के ऊपर इनकी उड़ानों और दिखने की संख्या तेजी से बढ़ी है। इसकी वजह से देश की हवाई सुरक्षा को खतरा है। चेन ने 2019 में बीजिंग में हुए सीनियर इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी साइंटिस्ट कॉन्फ्रेंस में भी यह बात लोगों को बताई थी। इसके बाद चीन की सेना यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के वैज्ञानिकों ने इन एलियन यानों को ट्रैक करने के लिए AI आधारित ट्रैकिंग सिस्टम बनाया। चेन ने बताया कि AI का उपयोग एक अलग तरह का डेटा हमें देगा, जो सटीक होगा। क्योंकि यह पूरे देश से आने वाली खबरों के डेटा को एकसाथ रखेगा। उन्हें जोड़ेगा। समय और स्थान की डिटेल रखेगा। तस्वीरें और वीडियो संभालेगा। ताकि यह पता चल सके कि यह हवाई घटनाएं किसी दुश्मन देश की साजिश तो नहीं हैं। किसी एमेच्योर पायलट की उड़ान या प्राकृतिक रूप से दिखने वाली कोई अनजान चीज या कोई और वजह तो नहीं है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने हाल ही में UFO देखे जाने की खबरों को आंशिक रूप से सार्वजनिक किया था। ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी देश के रक्षा मंत्रालय ने ऐसा किया है। हालांकि, किसी भी देश में UFO का देखा जाना वहां की सुरक्षा के लिए खतरनाक माना जाता है क्योंकि इसमें दुश्मन देश की कोई चाल भी हो सकती है। हो सकता है कि कि देश ने अत्याधुनिक यान बनाया हो जो देखने में एलियन यान जैसा दिखता हो और वह जासूसी के मकसद से लॉन्च किया गया हो। इसलिए कई देश ऐसे UFO पर नजर रखने की कोशिश करते हैं।ऐसे यान अक्सर राडार को धोखा देकर उड़ते हैं। इनकी गति भी काफी ज्यादा होती है। इसलिए ये पलक झपकते ही गायब हो जाते हैं। ऐसे UFO का देखा जाना उस देश की लिए शर्मनाक साबित होता है जो इनकी ट्रैकिंग, तस्वीरें या वीडियो नहीं कर पाते। इसलिए आमतौर पर इन घटनाओं को गुप्त रखा जाता है। चीन ने अब तक एक ही ऐसी घटना का पुख्ता जानकारी सार्वजनिक की है। 19 अक्टूबर 1998 को हेबेई प्रांत के कांगझोउ मिलिट्री एयरबेस के ऊपर UFO उड़ते हुए देखे गए थे। इस UFO को इंटरसेप्ट करने के लिए दो फाइटर जेट भेजे गए थे। ये UFO मिलिट्री एयरबेस के ऊपर कम ऊंचाई पर उड़ रहा था। इसके मशरूम के आकार के दो छोटे-छोटे पैर दिख रहे थे। इस एलियन यान के मध्य भाग से दो रोशनी की किरणें मिलिट्री एयरबेस पर छोड़ी जा रही थीं। जैसे ही चीन के एयरफोर्स फाइटर जेट्स इसके पास पहुंचे यह 20 हजार मीटर की ऊंचाई से भूत की तरह गायब हो गया। राडार से भी गायब और आंखों की सीमा से भी।चेन ली के मुताबिक, चीन की PLA के पास ऐसे UFO के ट्रैक करने के लिए थ्री-टायर रिपोर्टिंग सिस्टम है। सबसे पहला है मिलिट्री राडार स्टेशन, एयरफोर्स पायलट, पुलिस स्टेशन और मौसम केंद्र। दूसरे लेवल पर चीन की सेना के रीजनल मिलिट्री कमांड प्राथमिक विश्लेषण करती है। क्षेत्रीय स्तर पर जमा किए गए डेटा को नेशनल डेटाबेस से जोड़ती है। यहां पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से सेना खतरे का एनालिसिस करती है। जिसमें उड़ने वाली वस्तु का व्यवहार, दिखने का दर, एयरोडायनेमिक्स डिजाइन, रेडियोएक्टिविटी, संभावित निर्माण सामग्री और स्थानीय या सेना द्वारा जुटाई गई जानकारी।AI सारी जानकारी जुटाकर एक साथ पूरा एनालिसिस करके यह बताता है कि यह सच में एलियन यान था, या फिर कुछ और। कई बार सैन्य ठिकानों या राजनीतिक रैलियों के ऊपर किसी स्थानीय व्यक्ति द्वारा अनजाने में ड्रोन, या छोटे एयरक्राफ्ट भी उड़ा दिए जाते हैं। क्योंकि चीन में इनका प्रचलन पिछले कुछ सालों में काफी तेजी से बढ़ा है। जैसे ही ये वस्तुएं आसमाना में आती है, इनसे निकलने वाले चार्ज्ड पार्टिकल्स की वजह से राडार में इनकी तस्वीर उभर कर सामने आ जाती है। मैन्यूअल तरीके से ऐसी घटनाओं की जांच करने में काफी समय लगता है, जबकि AI इसे जल्दी करके दे देता है। साथ ही हर पहलू की क्रॉस चेकिंग भी कर लेता है। जियान में मौजूद एक राडार साइंटिस्ट ने नाम ने बताने की शर्त पर बताया कि चीन के वायु क्षेत्र में एलियन यानों के बजाय इंसानी गतिविधियां ज्यादा बढ़ी हैं। चीन की सरकार ने कॉमर्शियल उड़ानों, ड्रोन्स आदि पर रोक के लिए जो नियम बनाए हैं वो काफी लचर और ढीले हैं। ड्रोन्स बेहद सस्ते और पॉपुलर होते हैं। लोग इन्हें फोटोग्राफी का शौक पूरा करने के लिए आसानी से खरीद लेते हैं।राडार साइंटिस्ट ने ये भी कहा कि दक्षिण चीन सागर में अमेरिकी गतिविधियां बढ़ने की वजह से भी चीन ऐसे उड़ने वाली वस्तुओं पर गंभीरता से सोच रहा है। उनके लिए तैयारियां कर रहा है। क्योंकि ऐसे एलियन यानों के उड़ने की संख्या बढ़ी है, जिसे तत्काल एक्सप्लेन नहीं किया जा सकता।