Amar Singh No More / खामोश हुआ टाइगर! मौत की अफवाह पर बोले थे अमरसिंह, रुग्ण हूं, त्रस्त हूं लेकिन संत्रस्त नहीं, हमारी अकाल मृत्यु की कामना छोड़ दें

वह जब कैमरे पर आते तो फ्लैश चमकते और टीवी देख रहे लोगों की आंखों में भी चमक भर जाती। हाईट कम थी, लेकिन कद नहीं। मार्च माह में अमरसिंह नहीं रहे के समाचार जब सुर्खियों में आए तो खुद ने सफाई दी। टाइगर अभी जिंदा है! अमरसिंह उस वक्त बोले रुग्ण हूं, त्रस्त हूं व्याधि से लेकिन संत्रस्त नहीं हूं, हिम्मत बाकी है, जोश बाकी है और होश भी बाकी है। आज वह इंसान वाकई खामोश हो गया। सच है अब यह टाइगर नहीं बोलेगा।

Vikrant Shekhawat : Aug 01, 2020, 05:39 PM

RIP Amar Singh | वह जब कैमरे पर आते तो फ्लैश चमकते और टीवी देख रहे लोगों की आंखों में भी चमक भर जाती। हाईट कम थी, लेकिन कद नहीं। मार्च माह में अमरसिंह नहीं रहे के समाचार जब सुर्खियों में आए तो खुद ने सफाई दी। टाइगर अभी जिंदा है! अमरसिंह उस वक्त बोले रुग्ण हूं, त्रस्त हूं व्याधि से लेकिन संत्रस्त नहीं हूं, हिम्मत बाकी है, जोश बाकी है और होश भी बाकी है। आज वह इंसान वाकई खामोश हो गया। सच है अब यह टाइगर नहीं बोलेगा। जब इस तरह की खबर आज भी चली तो लोगों को लगा कि यह पूर्व की तरह अफवाह है, लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी कि यह खबर उनके एक खांटी राजनेता के विदाई की है और सच्ची है। निधन से दो घंटे पूर्व तक अमरसिंह राजनीतिक रूप से सक्रिय रहे।

समाजवादी पार्टी के नेता और राज्यसभा के सांसद अमर सिंह का शनिवार को सिंगापुर में निधन हो गया। वे वहां उपचाररत थे। 65 वर्षीय अमरसिंह आजमगढ़ में पैदा हुए और समाजवादी पार्टी से जुड़े रहे। उनका मुलायम सिंह के परिवार से गहरा नाता रहा। हाल ही में अमिताभ बच्चन के परिवार से माफी मांगने की बात कहते हुए उनका एक वीडियो भी आया था। उनके पीछे पत्नी श्रीमती पंकजा कुमारी सिंह और दो बेटियां हैं। अमरसिंह ने राजनीति पर रिलिजन इन पॉलिटिक्स: गांधियन पर्सपेक्टिव इन द प्रेज़ेंट कनटेक्स्ट विषय पर पुस्तक भी लिखी।

वर्ष 2008 में कांग्रेस की सरकार बचाने वाले अमरसिंह उसी यूपीए के शासन में जेल जाते हैं। वे जब भी कैमरे पर आते सुर्खियां बटोर ले जाते। यदि किसी पत्रकार के पास ढीला—ढाला राजनीतिक किस्सा है और वह उसे चमक देना चाहता है तो फिर अमरसिंह की बाइट उसे प्रभावशाली बना देगी। 2011 में चार दिन तिहाड़ जेल में बिताकर आए अमरसिंह पर भले ही भ्रष्टाचार के आरोप कोर्ट ने वापस ले लिए, लेकिन उसके बाद वे वह अमरसिंह नहीं रह गए। वे गंभीर हो गए थे। 

मार्च माह में अचानक ट्विटर पर राज्यसभा सांसद अमर सिंह के निधन की अफवाह उड़ी। कई लोगों ने ट्वीट कर उनके स्वास्थ्य पर अपडेट जानना चाहा, तो कई यूजर्स उनके निधन को लेकर ट्वीट करने लगे थे। उनको सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि भी दी जाने लगी। बढ़ती अफवाहों को देख सिंगापुर के अस्पताल में इलाज करवा रहे अमर सिंह ने वीडियो जारी किया और सभी अफवाहों पर विराम लगाया।

उन्होंने एक वीडियो ट्वीट किया और उसका कैप्शन दिया था टाइगर जिंदा है! उन्होंने उस वीडियो में कहा- सिंगापुर से मैं अमर सिंह बोल रहा हूं। रुग्ण हूं, त्रस्त हूं व्याधि से लेकिन संत्रस्त नहीं हूं. हिम्मत बाकी है, जोश बाकी है और होश भी बाकी है। हमारे शुभचिंतक और मित्रों ने बड़ी तेजी से अफवाह फैलाई कि यमराज ने मुझे अपने पास बुला लिया है। ऐसा बिल्कुल नहीं है। मेरा इलाज चल रहा है। और मां भगवती की कृपा हुई तो अपनी शल्य चिकित्सा के उपरांत शीघ्र-अतिशीघ्र दोगुनी ताकत से वापस आऊंगा। परन्तु अमरसिंह नहीं लौटकर आए। उसी दिन उन्होंने आगे कहा, 'आप लोगों के बीच सदैव की भांति...जैसा भी हूं, जो भी हूं आपका हूं. बुरा हूं तो अच्छा हूं तो...अपनी चिरपरिचित शैली, प्रथा और परंपरा के अनुकूल जैसे अबतक जीवन जिया है, वैसे ही आगे भी जिऊंगा.पूर्व समाजवादी पार्टी नेता अमर सिंह ने कहा, 'बाकी हमारे मित्र जो हमारी मृत्यु की कामना कर रहे हैं, वह यह कामना छोड़ दें। 

हरदम मृत्यु हमारे द्वार को खटखटाती है. एकबार हवाई जहाज से गिर गया था तो भी यमराज ने स्वीकार नहीं किया, झांसी में। दस साल पहले भी गुर्दे का प्रत्यारोपण हुआ फिर भी लौटकर आ गया। 12-13 दिन तक मिडिल ईस्ट में वेंटिलेटर में रहकर मौत से लड़कर आ गया. उन तमाम अवसर के मुकाबले अबकी बार तो बिल्कुल स्वस्थ हूं, बिल्कुल सचेतन हूं।

अमर सिंह ने कुछ दिन पहले भी एक वीडियो जारी किया था, जिसमें उन्होंने अमिताभ बच्चन और उनके परिवार से अपने व्यवहार के लिए माफी मांगी थी. उस वीडियो में अमर सिंह ने बताया था कि वो सिंगापुर में इलाज करवा रहे हैं, जहां वो जिंदगी और मौत से लड़ रहे हैं।

अमर सिंह उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी के प्रभावशाली नेताओं में से एक रहे हैं। ये अपने हिन्दी ज्ञान और राजनैतिक सम्बंधों, अपने आप पर जनमत को ध्रुवित करने के लिए भी जाने जाते रहे हैं। इनपर भ्रष्टाचार के विभिन्न मामले लम्बित हैं जो इन्हें व्यापक रूप से अलोकप्रिय भी बनाते रहे। वो समाजवादी पार्टी के महासचिव व भारतीय संसद के उपरी सदन राज्य सभा के सदस्य रह चुके हैं। 6 जनवरी 2010 को, इन्होंने समाजवादी पार्टी के सभी पदों से त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने उन्हें 2 फ़रवरी 2010 को पार्टी से निष्कासित कर दिया। वर्ष 2011 में इनका कुछ समय न्यायिक हिरासत में भी बीता। अन्ततः इन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया। घोषणा करते हुए इन्होंने कहा- "मैं अपनी पत्नी और अपने परिवार को अधिक समय देना चाहता हूँ। अतः चुनावों की अन्तिम तिथि (13मई) के बाद, मैं राजनीति से सन्यास ले लुँगा।" वर्ष 2016 में इनकी समाजवादी पार्टी में पुनः वापसी हुई और राज्य सभा के लिए चुने गये।