News18 : Aug 02, 2020, 04:08 PM
अमेरिका का एरिया-51 दुनिया की सबसे रहस्यमयी जगहों में से माना जाता है। तगड़ी सुरक्षा वाली इस जगह पर किसी को भी आने-जाने की इजाजत नहीं। कुछ कंस्पिरेसी थ्योरीज में दावा है कि अमेरिका ने यहां एलियंस को कैद कर रखा है और उनपर तरीके से प्रयोग हो रहे हैं। ये जगह इतनी गुप्त थी कि खुद अमेरिकी लोगों को इसके बारे में पता नहीं था। आखिरकार साल 2013 में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने पहली बार एरिया-51 के होने की आधिकारिक घोषणा की। जानिए, क्या है इस जगह, जिससे इसे इतना छिपाकर रखा गया है।
एलियंस के होने पर लगातार यकीन और खोज करने वाले अमेरिका में साल 1950 से ही कहा जाने लगा कि एरिया-51 में एलियंस रहते हैं। इसकी वजह थी, जहां कंटीली बाड़ों के बीच रात-बेरात उड़ने विमानों की चमक दिखाई देना। जून 1959 में पहली बार ये बात मीडिया में आई कि नेवादा के आसपास के लोग हरी चमक के साथ कुछ रहस्यमयी चीजों को उड़ता देख चुके हैं।
ये खबर Reno Gazette नामक शाम के अखबार में आई, जिसके बाद से लगातार मुख्य मीडिया में भी ऐसी बातें आने लगीं। माना जाने लगा कि यहां एलियंस को बंधक बनाकर रखा गया है और अमेरिकी वैज्ञानिक उनपर प्रयोग कर रहे हैं। चूंकि नेवादा के इस क्षेत्र में किसी को आने-जाने की इजाजत नहीं इसलिए बातें और बढ़ने लगीं।
क्या है असल में यहांसाल 2013 में सीआईए ने पहली बार स्वीकारा कि ऐसी कोई जगह है। लेकिन एलियंस के होने के इनकार करते हुए उसने बताया कि ये अमेरिकी एयरफोर्स बेस है। नेवादा में एक सूखी हुई झील पर बसा ये क्षेत्र चारों से बिजली के तारों वाली कंटीली बाड़ों से घिरा है। सीमा पर जगह-जगह चेतावनी लगी हुई है कि भीतर आने की कोशिश खतरनाक हो सकती है। साथ ही हर जगह हथियारबंद जवान तैनात हैं, जो चौबीसों घंटे पहरा देते हैं। सुरक्षा के इंतजाम इतने पक्के हैं कि इस एरिया के ऊपर से विमानों को भी गुजरने की अनुमति नहीं। लगभग 3।7 किलोमीटर में फैले इस क्षेत्र को हाल ही में सैटेलाइट से देखा जा सकता है वरना पहले ये भी नहीं था।बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक यूएस मिलिट्री ने बताया है कि ये लड़ाई के मैदान की नकल है, जहां अलग-अलग तरह के युद्ध की तैयारी, ट्रेनिंग और अभ्यास किया जाता है। वैसे कथित तौर पर मिलिट्री प्रैक्टिस के लिए बने इस इलाके को दूसरे विश्व युद्ध के बाद शीत युद्ध के दौरान रूस पर नजर रखने के हिसाब से तैयार किया गया था। तब उसके पास एक विमान भी इसी मकसद से था, जिसे यू-2 विमान के नाम से जाना जाता था। बाद में हरी लाइटों और किसी रहस्यमयी विमान पर सीआईए ने कहा था कि लोग इसी विमान को देखते रहे होंगे जो पचास के दशक में दुनिया के किसी भी विमान से ज्यादा विकसित और अलग लगता था।अमेरिकन इंटेलिजेंस एजेंसी सीआईए के पहली बार इस एरिया के अस्तित्व की बाद के कुछ ही महीने बाद तत्कालीन प्रेसिडेंट बराक ओबामा ने भी इसके बारे में बात की थी। हालांकि तब भी सिर्फ इतना कहा गया कि ये मिलिट्री प्रैक्टिस से जुड़ा हुआ है। वैसे माना जाता है कि अमेरिकी सेना अत्याधुनिक विमानों को विकसित करने के लिए एरिया 51 का उपयोग करती है। इस काम के लिए यहां लगभग 1500 लोग तैनात हैं। ख्यात अमेरिकी खोजी पत्रकार एनी जैकबसन ने एरिया-51 के बारे में कई बातें कहकर तहलका मचा दिया था। बीबीसी को दिए अपने एक इंटरव्यू में इस पत्रकार ने माना कि इस जगह यूएस के बेहद खुफिया प्रोग्राम चलते होंगे।वैसे एलियंस के होने के बारे में भी यहां कई कंस्पिरेसी थ्योरीज हैं। जैसे कहा जाता है कि साल 1947 में न्यू मैक्सिको के रॉसवेल में एलियनों का एक अंतरिक्ष यान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। उस यान और उसके पायलटों के शवों को यहां रखा गया है। इसपर अमेरिकी सरकार का कहना है कि दुर्घटनाग्रस्त विमान मौसम की जानकारी देने वाला बलून था। कई लोग यहां एलियंस के रखे जाने की बात भी कहते हैं। यहां तक कि साल 1989 में रॉबर्ट लेजर नाम के एक व्यक्ति ने दावा किया था कि उसने एरिया 51 के अंदर एलियन तकनीक पर काम किया है।जो भी हो, एरिया-51 के बारे में अब तक किसी को कुछ नहीं पता। यही वजह है कि पिछले साल सितंबर में सोशल मीडिया पर एक मुहिम चली, जिसमें लोगों ने इसके बारे में जानने के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया। लगभग 1।5 मिलियन लोगों ने इसके लिए साइन किया। हालांकि वे कुछ कर नहीं सके क्योंकि अमेरिकी एयर फोर्स (USAF) ने चेतावनी भरे लहजे में कहा था कि ये उनका ट्रेनिंग एरिया है और यहां पर किसी का भी दखल नहीं सहा जाएगा।
एलियंस के होने पर लगातार यकीन और खोज करने वाले अमेरिका में साल 1950 से ही कहा जाने लगा कि एरिया-51 में एलियंस रहते हैं। इसकी वजह थी, जहां कंटीली बाड़ों के बीच रात-बेरात उड़ने विमानों की चमक दिखाई देना। जून 1959 में पहली बार ये बात मीडिया में आई कि नेवादा के आसपास के लोग हरी चमक के साथ कुछ रहस्यमयी चीजों को उड़ता देख चुके हैं।
ये खबर Reno Gazette नामक शाम के अखबार में आई, जिसके बाद से लगातार मुख्य मीडिया में भी ऐसी बातें आने लगीं। माना जाने लगा कि यहां एलियंस को बंधक बनाकर रखा गया है और अमेरिकी वैज्ञानिक उनपर प्रयोग कर रहे हैं। चूंकि नेवादा के इस क्षेत्र में किसी को आने-जाने की इजाजत नहीं इसलिए बातें और बढ़ने लगीं।
क्या है असल में यहांसाल 2013 में सीआईए ने पहली बार स्वीकारा कि ऐसी कोई जगह है। लेकिन एलियंस के होने के इनकार करते हुए उसने बताया कि ये अमेरिकी एयरफोर्स बेस है। नेवादा में एक सूखी हुई झील पर बसा ये क्षेत्र चारों से बिजली के तारों वाली कंटीली बाड़ों से घिरा है। सीमा पर जगह-जगह चेतावनी लगी हुई है कि भीतर आने की कोशिश खतरनाक हो सकती है। साथ ही हर जगह हथियारबंद जवान तैनात हैं, जो चौबीसों घंटे पहरा देते हैं। सुरक्षा के इंतजाम इतने पक्के हैं कि इस एरिया के ऊपर से विमानों को भी गुजरने की अनुमति नहीं। लगभग 3।7 किलोमीटर में फैले इस क्षेत्र को हाल ही में सैटेलाइट से देखा जा सकता है वरना पहले ये भी नहीं था।बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक यूएस मिलिट्री ने बताया है कि ये लड़ाई के मैदान की नकल है, जहां अलग-अलग तरह के युद्ध की तैयारी, ट्रेनिंग और अभ्यास किया जाता है। वैसे कथित तौर पर मिलिट्री प्रैक्टिस के लिए बने इस इलाके को दूसरे विश्व युद्ध के बाद शीत युद्ध के दौरान रूस पर नजर रखने के हिसाब से तैयार किया गया था। तब उसके पास एक विमान भी इसी मकसद से था, जिसे यू-2 विमान के नाम से जाना जाता था। बाद में हरी लाइटों और किसी रहस्यमयी विमान पर सीआईए ने कहा था कि लोग इसी विमान को देखते रहे होंगे जो पचास के दशक में दुनिया के किसी भी विमान से ज्यादा विकसित और अलग लगता था।अमेरिकन इंटेलिजेंस एजेंसी सीआईए के पहली बार इस एरिया के अस्तित्व की बाद के कुछ ही महीने बाद तत्कालीन प्रेसिडेंट बराक ओबामा ने भी इसके बारे में बात की थी। हालांकि तब भी सिर्फ इतना कहा गया कि ये मिलिट्री प्रैक्टिस से जुड़ा हुआ है। वैसे माना जाता है कि अमेरिकी सेना अत्याधुनिक विमानों को विकसित करने के लिए एरिया 51 का उपयोग करती है। इस काम के लिए यहां लगभग 1500 लोग तैनात हैं। ख्यात अमेरिकी खोजी पत्रकार एनी जैकबसन ने एरिया-51 के बारे में कई बातें कहकर तहलका मचा दिया था। बीबीसी को दिए अपने एक इंटरव्यू में इस पत्रकार ने माना कि इस जगह यूएस के बेहद खुफिया प्रोग्राम चलते होंगे।वैसे एलियंस के होने के बारे में भी यहां कई कंस्पिरेसी थ्योरीज हैं। जैसे कहा जाता है कि साल 1947 में न्यू मैक्सिको के रॉसवेल में एलियनों का एक अंतरिक्ष यान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। उस यान और उसके पायलटों के शवों को यहां रखा गया है। इसपर अमेरिकी सरकार का कहना है कि दुर्घटनाग्रस्त विमान मौसम की जानकारी देने वाला बलून था। कई लोग यहां एलियंस के रखे जाने की बात भी कहते हैं। यहां तक कि साल 1989 में रॉबर्ट लेजर नाम के एक व्यक्ति ने दावा किया था कि उसने एरिया 51 के अंदर एलियन तकनीक पर काम किया है।जो भी हो, एरिया-51 के बारे में अब तक किसी को कुछ नहीं पता। यही वजह है कि पिछले साल सितंबर में सोशल मीडिया पर एक मुहिम चली, जिसमें लोगों ने इसके बारे में जानने के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया। लगभग 1।5 मिलियन लोगों ने इसके लिए साइन किया। हालांकि वे कुछ कर नहीं सके क्योंकि अमेरिकी एयर फोर्स (USAF) ने चेतावनी भरे लहजे में कहा था कि ये उनका ट्रेनिंग एरिया है और यहां पर किसी का भी दखल नहीं सहा जाएगा।