नई दिल्ली / लोकसभा अधीर रंजन ने कहा- 1948 से कश्मीर मसला यूएन देख रहा है तो ये अंदरूनी कैसे? सोनिया-राहुल नाराज

लोकसभा में मंगलवार को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का प्रस्ताव पेश किया गया। जब गृह मंत्री अमित शाह ने यह प्रस्ताव पेश किया, तब कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के साथ उनकी कश्मीर मसले को लेकर बहस भी हुई। कांग्रेस नेता के सदन में इस बयान पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने नाराजगी जाहिर की है। एनडीए सदस्यों के विरोध के बाद अधीर रंजन चौधरी ने भी सदन में ही कहा कि उनके बयान का गलत मतलब निकाला जा रहा है।

Dainik Bhaskar : Aug 06, 2019, 04:40 PM
नई दिल्ली. लोकसभा में मंगलवार को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का प्रस्ताव पेश किया गया। जब गृह मंत्री अमित शाह ने यह प्रस्ताव पेश किया, तब कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के साथ उनकी कश्मीर मसले को लेकर बहस भी हुई। चौधरी ने सदन में कहा कि जम्मू-कश्मीर का मसला 1948 से संयुक्त राष्ट्र (यूएन) देख रहा है और ऐसे में क्या यह मामला अंदरूनी हो सकता है? इस पर अमित शाह ने जवाब दिया कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और इसके लिए कानून बनाने के लिए संसद के पास पूरे अधिकार हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, कांग्रेस नेता के सदन में इस बयान पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने नाराजगी जाहिर की है। एनडीए सदस्यों के विरोध के बाद अधीर रंजन चौधरी ने भी सदन में ही कहा कि उनके बयान का गलत मतलब निकाला जा रहा है। 

सरकार कश्मीर मसले पर प्रकाश डाले- चौधरी

चौधीर ने चर्चा के दौरान कहा- आप कहते हैं कि यह मामला अंदरूनी है। लेकिन, 1948 से यूएन इस मामले को देख रहा है। अब क्या यह अंदरूनी मामला रह जाता है? हमने शिमला समझौता और लाहौर घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। अब क्या यह अंदरूनी मामला है या फिर द्विपक्षीय? एस जयशंकर ने कुछ दिन पहले कश्मीर मसले पर अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो से कहा था कि यह मामला द्विपक्षीय है और ऐसे में आप इसमें हस्तक्षेप ना करें। क्या जम्मू-कश्मीर अभी भी अंदरूनी मामला है। हम जानना चाहते हैं, पूरी कांग्रेस पार्टी जानना चाहती है कि आप इस पर प्रकाश डालें। सरकार पीओके के बारे में नहीं सोच रही है। 

शाह बोले- पीओके और अक्साई चिन के लिए जान भी दे देंगे

अधीर रंजन चौधरी के बयान पर अमित शाह ने कहा- भारत और जम्मू-कश्मीर के संविधान में यह स्पष्ट है कि यह हिस्सा भारत का अभिन्न अंग है और देश की सबसे बड़ी पंचायत यानी इस संसद को इसके लिए कानून बनाने का पूरा अधिकार है। जब मैं जम्मू-कश्मीर की बात करता हूं तो इसमें पीओके और अक्साई चिन भी आते हैं। और, हम इनके लिए अपनी जान भी दे देंगे। 

चौधरी का बयान केंद्र के 10 साल पुराने स्टैंड के उलट

चौधरी का बयान कश्मीर पर केंद्र सरकार के पिछले 10 साल से स्टैंड के उलट है। भारत सरकार हमेशा से भारत और पाकिस्तान के लिए नियुक्त किए गए संयुक्त राष्ट्र के सैन्य पर्यवेक्षकों (यूएनएमओजीआईपी) का भी विरोध करती रही है। यूएन ने 1949 में जम्मू-कश्मीर में इनकी नियुक्त भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम पर नजर रखने के लिए की थी। 1972 में शिमला समझौते के बाद भारत ने यूएन के इस कदम का विरोध तेज कर दिया था। भारत हमेशा ही कश्मीर को अपना अभिन्न अंग बताता रहा है और इस पर किसी भी तरह से थर्ड पार्टी के हस्तक्षेप को दरकिनार करता रहा है। हालांकि, पाकिस्तान हमेशा से ही यहां पर थर्ड पार्टी के दखल की बात करता रहा है। 2014 में भारत ने यूएनएमओजीआईपी को दिल्ली में अलॉट किए गए बंगले भी खाली करने को कहा था।