Article 370 / पाकिस्तानी रक्षा मंत्री का बड़ा बयान- अनुच्छेद 370 पर NC-कांग्रेस गठबंधन हमारे साथ

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने अनुच्छेद 370 की बहाली पर कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस के रुख का समर्थन किया। उनके बयान के बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह देशविरोधियों के साथ खड़ी है। अमित मालवीय ने कहा कि कांग्रेस हमेशा भारत के हितों के खिलाफ रही है।

Vikrant Shekhawat : Sep 19, 2024, 11:40 AM
Article 370: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है। उन्होंने मोदी सरकार के खिलाफ तीखी टिप्पणी करते हुए जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35A की वापसी पर अपना रुख व्यक्त किया। ख्वाजा ने कहा कि वे नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन के साथ खड़े हैं, जो कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग कर रहे हैं।

ख्वाजा आसिफ का बयान

ख्वाजा आसिफ ने यह बयान देते हुए स्पष्ट किया कि पाकिस्तान सरकार और उमर अब्दुल्ला की पार्टी कांग्रेस के साथ मिलकर कश्मीर के मुद्दे पर अनुच्छेद 370 की वापसी के पक्ष में हैं। यह बयान न केवल राजनीतिक रूप से संवेदनशील है, बल्कि यह भारत-पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों को और भी बढ़ा सकता है।

बीजेपी का पलटवार

इस बयान के तुरंत बाद, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने कांग्रेस पर हमला बोल दिया। बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि कांग्रेस हमेशा देशविरोधियों के साथ खड़ी रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि कैसे राहुल गांधी और उनकी पार्टी, पन्नू से लेकर पाकिस्तान तक, भारत के हितों के खिलाफ लोगों के पक्ष में खड़ी दिखाई देती है।

मालवीय ने कहा, "पाकिस्तान का कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के रुख का समर्थन करना दर्शाता है कि कांग्रेस ने कभी भी भारत के राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता नहीं दी।"

राजनीतिक निहितार्थ

यह विवादित बयान न केवल राजनीतिक विमर्श को गर्माता है, बल्कि यह कश्मीर के मुद्दे पर भारत की नीति को भी चुनौती देता है। अनुच्छेद 370 की वापसी की मांग को लेकर भारत के भीतर विभाजन गहरा हो गया है। बीजेपी और अन्य राजनीतिक दल इसे एक संवैधानिक मुद्दा मानते हैं, जबकि विपक्ष इसे मानवाधिकारों और क्षेत्रीय स्वायत्तता के संदर्भ में देखते हैं।

निष्कर्ष

ख्वाजा आसिफ का बयान और इसके बाद का बीजेपी का प्रतिवाद भारतीय राजनीति में एक नई गर्मी लेकर आया है। यह मुद्दा न केवल पाकिस्तान और भारत के बीच के संबंधों को प्रभावित करेगा, बल्कि आगामी चुनावों में भी राजनीतिक दलों की रणनीतियों को आकार देगा। इस तरह के बयानों से यह स्पष्ट होता है कि कश्मीर का मुद्दा अभी भी भारतीय राजनीति में एक अत्यंत संवेदनशील और विवादास्पद विषय है। राजनीतिक दलों को इस दिशा में गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है, ताकि देश की एकता और अखंडता को बनाए रखा जा सके।