Zee News : Aug 11, 2020, 06:41 AM
नई दिल्ली: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का गोल्ड प्लेटेड चश्मा इंग्लैंड में ऑनलाइन नीलामी के लिए रखा गया है। ये चश्मा उन्होंने तब पहना था जब वो दक्षिण अफ्रीका में रहते थे। ये उस वक्त उनके शुरुआती दिनों की याद से जुड़ा है। गांधीजी 1893 में पहली बार साउथ अफ्रीका गए थे। इसी दौरान उन्होंने ये चश्मा पहना था। इंग्लैंड में इसकी कीमत 10 हजार से 15 हजार पाउंड्स में लगने का अनुमान लगाया जा रहा है।
साउथ वेस्ट इंग्लैंड के हनहम में ईस्ट ब्रिस्टल ऑक्शन हाउस के मुताबिक, ‘हम आश्चर्यचकित थे कि चश्मे का जो जोड़ा एक लिफाफे में रखकर उनके लेटर बॉक्स मे डाला गया है, उसके पीछे इतना शानदार इतिहास हो सकता है। अनुमान है कि ये महात्मा गांधी का है, जिन्हें पूरी दुनिया उपनिवेशवाद विरोधी राष्ट्रवाद, राजनैतिक नैतिकता और अहिंसक प्रतिरोध के प्रतीक के तौर पर जानती है’।नीलामीकर्ता एंडी स्टोव ने बताया कि ये ऐतिहासिक महत्व की खोज है। विक्रेता ने मुझसे कहा कि ये दिलचस्प हो सकता है, ये भी कहा कि अगर इसका कोई महत्व नहीं है तो आप नष्ट कर सकते हैं। लेकिन जब हमने उसे इसकी कीमत का अनुमान बताया तो वो लगभग कुर्सी से गिर ही पड़े’’।इस चश्मे की कीमत ऑनलाइन नीलामी में पहले ही 6000 पाउंड लगाई जा चुकी है और इंग्लैंड के जिस अज्ञात बुजुर्ग विक्रेता के पास ये चश्मा था, उनके पापा ने उनको बताया था कि उनके चाचा को ये चश्मा उपहार में तब मिला था, जब वो 1910 से 1930 के बीच साउथ अफ्रीका में ब्रिटिश पेट्रोलियम के लिए काम कर रहे थे। गांधीजी ने साउथ अफ्रीका 1914 में छोड़ा था।स्टोव के मुताबिक, विक्रेता के पिता ने उसे 50 साल पहले ये कहानी सुनाई थी। उसके मुताबिक, हमने तारीखें मिलाई हैं और वो सब मिल गई हैं, यहां तक कि गांधीजी के पहली बार चश्मा पहनने की तारीख भी। वो उनके शुरूआती चश्मों में से एक हो सकता है। स्टोव के मुताबिक, ‘वो सफेद लिफाफे में थे, वो आसानी से चोरी हो सकते थे, बाहर गिर सकते थे या बिन में ही नष्ट हो जाते। यह शायद सबसे बड़ी खोज है, जो एक कंपनी के तौर पर हमने की है’।‘महात्मा गांधी का निजी चश्मा’, नीलामीकर्ताओं की सैन्य, इतिहास और क्लासिक कारों की सीरीज का एक हिस्सा है, जो 21 अगस्त को ऑनलाइन नीलामी में बेचा जाएगा।
साउथ वेस्ट इंग्लैंड के हनहम में ईस्ट ब्रिस्टल ऑक्शन हाउस के मुताबिक, ‘हम आश्चर्यचकित थे कि चश्मे का जो जोड़ा एक लिफाफे में रखकर उनके लेटर बॉक्स मे डाला गया है, उसके पीछे इतना शानदार इतिहास हो सकता है। अनुमान है कि ये महात्मा गांधी का है, जिन्हें पूरी दुनिया उपनिवेशवाद विरोधी राष्ट्रवाद, राजनैतिक नैतिकता और अहिंसक प्रतिरोध के प्रतीक के तौर पर जानती है’।नीलामीकर्ता एंडी स्टोव ने बताया कि ये ऐतिहासिक महत्व की खोज है। विक्रेता ने मुझसे कहा कि ये दिलचस्प हो सकता है, ये भी कहा कि अगर इसका कोई महत्व नहीं है तो आप नष्ट कर सकते हैं। लेकिन जब हमने उसे इसकी कीमत का अनुमान बताया तो वो लगभग कुर्सी से गिर ही पड़े’’।इस चश्मे की कीमत ऑनलाइन नीलामी में पहले ही 6000 पाउंड लगाई जा चुकी है और इंग्लैंड के जिस अज्ञात बुजुर्ग विक्रेता के पास ये चश्मा था, उनके पापा ने उनको बताया था कि उनके चाचा को ये चश्मा उपहार में तब मिला था, जब वो 1910 से 1930 के बीच साउथ अफ्रीका में ब्रिटिश पेट्रोलियम के लिए काम कर रहे थे। गांधीजी ने साउथ अफ्रीका 1914 में छोड़ा था।स्टोव के मुताबिक, विक्रेता के पिता ने उसे 50 साल पहले ये कहानी सुनाई थी। उसके मुताबिक, हमने तारीखें मिलाई हैं और वो सब मिल गई हैं, यहां तक कि गांधीजी के पहली बार चश्मा पहनने की तारीख भी। वो उनके शुरूआती चश्मों में से एक हो सकता है। स्टोव के मुताबिक, ‘वो सफेद लिफाफे में थे, वो आसानी से चोरी हो सकते थे, बाहर गिर सकते थे या बिन में ही नष्ट हो जाते। यह शायद सबसे बड़ी खोज है, जो एक कंपनी के तौर पर हमने की है’।‘महात्मा गांधी का निजी चश्मा’, नीलामीकर्ताओं की सैन्य, इतिहास और क्लासिक कारों की सीरीज का एक हिस्सा है, जो 21 अगस्त को ऑनलाइन नीलामी में बेचा जाएगा।