इंडिया / अयोध्या विवाद: सुप्रीम कोर्ट में आज पूरी हो सकती है सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या जमीन विवाद मामले की सुनवाई आज पूरी हो सकती है। आज दोनों पक्षकारों की दलील के बाद मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर दलील पेश की जाएगी और इसके बाद फैसला सुरक्षित कर लिया जाएगा। बुधवार को दोनों पक्षकारों के लिए टाइम स्लॉट मंगलवार को ही तय कर दिया गया है। अगर आज सुनवाई पूरी हो जाती है, तो यह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित तारीख से एक दिन पहले पूरी होगी।

NavBharat Times : Oct 16, 2019, 06:58 AM
नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या जमीन विवाद मामले की सुनवाई आज पूरी हो सकती है। आज दोनों पक्षकारों की दलील के बाद मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर दलील पेश की जाएगी और इसके बाद फैसला सुरक्षित कर लिया जाएगा। बुधवार को दोनों पक्षकारों के लिए टाइम स्लॉट मंगलवार को ही तय कर दिया गया है। अगर आज सुनवाई पूरी हो जाती है, तो यह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित तारीख से एक दिन पहले पूरी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई पूरी करने के लिए 17 अक्टूबर का शेड्यूल तय कर रखा है।

बुधवार को अयोध्या मामले की 40वें दिन सुनवाई होगी। इससे पहले मंगलवार को, यानी 39वें दिन सुनवाई के दौरान हिंदू पक्षकार के वकील के. परासरन ने मस्जिद बनाए जाने को ऐतिहासिक भूल करार दिया था। मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पेश की गई दलील का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि भारत विजय के बाद मुगल शासक बाबर द्वारा करीब 433 साल पहले अयोध्या में भगवान राम के जन्म स्थान पर मस्जिद का निर्माण कर ‘ऐतिहासिक भूल’ की गई थी। अब उसे सुधारने की आवश्यकता है।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ के समक्ष पूर्व अटार्नी जनरल और वरिष्ठ अधिवक्ता के. परासरन ने कहा, 'अयोध्या में मुस्लिम किसी भी अन्य मस्जिद में इबादत कर सकते हैं। अकेले अयोध्या में 55-60 मस्जिदें हैं, लेकिन हिंदुओं के लिए यह भगवान राम का जन्म स्थान है, जिसे हम बदल नहीं सकते।' संवैधानिक पीठ के अन्य सदस्यों में जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस धनन्जय वाई चन्द्रचूड, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।

संवैधानिक पीठ ने परासरन से किए कई सवाल

संवैधानिक पीठ ने परासरन से परिसीमा के कानून, विपरीत कब्जे के सिद्धांत और अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि से मुस्लिमों को बेदखल किए जाने से संबंधित कई सवाल किए। पीठ ने यह भी जानना चाहा कि क्या मुस्लिम अयोध्या में कथित मस्जिद 6 दिसंबर, 1992 को ढहाए जाने के बाद भी विवादित संपत्ति के बारे में डिक्री की मांग कर सकते हैं?

चीफ जस्टिस ने की महत्वपूर्ण टिप्पणी

मंगलवार को सुनवाई के दौरान पीठ ने परासरन से कहा, 'वे कहते हैं, एक बार मस्जिद है तो हमेशा ही मस्जिद है, क्या आप इसका समर्थन करते हैं।' इस पर परासरन ने कहा, 'नहीं, मैं इसका समर्थन नहीं करता। मैं कहूंगा कि एक बार मंदिर है, तो हमेशा ही मंदिर रहेगा।' पीठ द्वारा परासरन से कई सवाल पूछे जाने के बाद चीफ जस्टिस ने कहा, 'धवन जी, क्या हम हिन्दू पक्षकारों से भी पर्याप्त संख्या में सवाल पूछ रहे हैं?’ चीफ जस्टिस की यह टिप्पणी महत्वपूर्ण थी, क्योंकि मुस्लिम पक्षकारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने सोमवार को आरोप लगाया था कि सवाल सिर्फ उनसे ही किए जा रहे हैं और हिन्दू पक्ष से सवाल नहीं किए गए।

क्या है मोल्डिंग ऑफ रिलीफ

दोनों पक्षों की ओर से अपील के दौरान जो गुहार लगाई गई है, उस गुहार से आगे-पीछे कुछ गुंजाइश बनती है क्या, इस संभावना को देखा जाता है। इस मामले में मोल्डिंग ऑफ रिलीफ सिद्धांत किस हद तक लागू किया जा सकता है, ये भी बहस का मुद्दा हो सकता है।

जिले में 10 दिसंबर तक धारा 144 लागू

उधर, अयोध्या मामले की सुनवाई आखिरी दौर में पहुंचने से जिले में सुगबुगाहट तेज हो गई है। सुरक्षा के मद्देनजर अयोध्या में 13 अक्टूबर से ही धारा 144 लागू है, जो 10 दिसंबर तक रहेगी। ऐसी संभावना है कि मामले में अगले महीने फैसला आ सकता है। प्रशासन ने कहा है कि शांति-व्यवस्था बनाए रखने के लिहाज से जिले में धारा 144 लागू की गई है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील पर हो रही सुनवाई

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट अयोध्या जमीन विवाद मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ 14 अपीलों पर सुनवाई कर रहा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने चार अलग-अलग सिविल केस पर फैसला सुनाते हुए विवादित 2.77 एकड़ जमीन को सभी तीन पक्षों, सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान, के बीच समान बंटवारे को कहा था।