AajTak : Sep 24, 2020, 04:05 PM
Delhi: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो गया है, लेकिन मुस्लिम समुदाय की नजर बाबरी विध्वंस के फैसले पर है। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में हुए बाबरी विध्वंस पर 27 साल के बाद सीबीआई की विशेष अदालत 30 सितंबर को फैसला सुनाएगी। इस मामले में बीजेपी के कई दिग्गज नेता आरोपी हैं। aajtak.in ने मुस्लिम संगठनों-उलेमाओं से बात की और जाना कि फैसले को लेकर उनकी क्या उम्मीदें हैं।
जमात-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सदातुल्लाह हुसैनी ने कहा कि 6 दिसंबर 1992 को जो हुआ वो एक सोची-समझी रणनीति थी। अब जब फैसला आ रहा है तो हम इंसाफ की उम्मीद करते हैं। इस मामले में जो भी षड्यंत्रकारी हैं वो सबके सामने हैं, ये किसी से छिपी बात नहीं है। ये देश की न्यायिक व्यवस्था के लिए भी इम्तिहान की घड़ी है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारूकी ने कहा कि 27 साल पहले अयोध्या में जो हुआ वो रात के अंधेरे में नहीं बल्कि दिन की रोशनी में हुआ था। उसे पूरे मुल्क ने देखा था। इस मामले में अदालत को ऐसी सजा देनी चाहिए कि देश में कोई दोबारा से किसी भी धर्म के धार्मिक स्थल के खिलाफ कोई हिमाकत न कर सके। 6 दिसंबर 1992 को देश का सबसे बड़ा अपराध हुआ था। इस घटना के चलते देश का सामाजिक तानाबाना बिगड़ा और दुनिया भर में भारत की छवि धूमिल हुई। ऐसे में अदालत को इस मामले में किसी भी आरोपी के खिलाफ रियायत नहीं बरतनी चाहिए। वहीं, शिया धर्मगुरु मौलाना मोहसिन तकवी कहते हैं कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मुस्लिम समुदाय को इंसाफ की बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं रह गई है। यह फैसला उतना महत्वपूर्ण नहीं है, जितना भूमि विवाद का था। अब अदालत के ऊपर है कि वो आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा देकर देश और दुनिया के सामने नजीर पेश करे। ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस मशावरत के मौलाना अब्दुल हमीद नोमानी कहते हैं कि अयोध्या मामले के पिछले फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने भी माना था कि 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में जो कुछ हुआ वह गैर कानूनी था। ऐसे में बाबरी विध्वंस के आरोपियों को सजा मिलनी ही चाहिए वर्ना वो दूसरे धार्मिक स्थलों के खिलाफ भी ऐसी हिमाकत कर सकते हैं। भारत की न्याय व्यवस्था की अपनी एक साख है, जिसका डंका पूरी दुनिया में बजता है। हमको ये साख बचाए रखनी है।गौरतलब है कि अयोध्या के बाबरी विध्वंस मामले में कुल 49 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। इनमें से 17 का निधन हो चुका है। अब इस मामले में बीजेपी के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती, विनय कटियार सहित कुल 32 आरोपी हैं। सीबीआई की विशेष अदालत में 30 सितंबर को फैसले के दिन इन सभी को मौजूद रहना होगा।
जमात-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सदातुल्लाह हुसैनी ने कहा कि 6 दिसंबर 1992 को जो हुआ वो एक सोची-समझी रणनीति थी। अब जब फैसला आ रहा है तो हम इंसाफ की उम्मीद करते हैं। इस मामले में जो भी षड्यंत्रकारी हैं वो सबके सामने हैं, ये किसी से छिपी बात नहीं है। ये देश की न्यायिक व्यवस्था के लिए भी इम्तिहान की घड़ी है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारूकी ने कहा कि 27 साल पहले अयोध्या में जो हुआ वो रात के अंधेरे में नहीं बल्कि दिन की रोशनी में हुआ था। उसे पूरे मुल्क ने देखा था। इस मामले में अदालत को ऐसी सजा देनी चाहिए कि देश में कोई दोबारा से किसी भी धर्म के धार्मिक स्थल के खिलाफ कोई हिमाकत न कर सके। 6 दिसंबर 1992 को देश का सबसे बड़ा अपराध हुआ था। इस घटना के चलते देश का सामाजिक तानाबाना बिगड़ा और दुनिया भर में भारत की छवि धूमिल हुई। ऐसे में अदालत को इस मामले में किसी भी आरोपी के खिलाफ रियायत नहीं बरतनी चाहिए। वहीं, शिया धर्मगुरु मौलाना मोहसिन तकवी कहते हैं कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मुस्लिम समुदाय को इंसाफ की बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं रह गई है। यह फैसला उतना महत्वपूर्ण नहीं है, जितना भूमि विवाद का था। अब अदालत के ऊपर है कि वो आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा देकर देश और दुनिया के सामने नजीर पेश करे। ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस मशावरत के मौलाना अब्दुल हमीद नोमानी कहते हैं कि अयोध्या मामले के पिछले फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने भी माना था कि 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में जो कुछ हुआ वह गैर कानूनी था। ऐसे में बाबरी विध्वंस के आरोपियों को सजा मिलनी ही चाहिए वर्ना वो दूसरे धार्मिक स्थलों के खिलाफ भी ऐसी हिमाकत कर सकते हैं। भारत की न्याय व्यवस्था की अपनी एक साख है, जिसका डंका पूरी दुनिया में बजता है। हमको ये साख बचाए रखनी है।गौरतलब है कि अयोध्या के बाबरी विध्वंस मामले में कुल 49 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। इनमें से 17 का निधन हो चुका है। अब इस मामले में बीजेपी के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती, विनय कटियार सहित कुल 32 आरोपी हैं। सीबीआई की विशेष अदालत में 30 सितंबर को फैसले के दिन इन सभी को मौजूद रहना होगा।