Vikrant Shekhawat : Apr 26, 2022, 09:49 AM
वर्जिनिटी रिपेयर (virginity repair) करवाकर लड़कियां खुद को कुवांरी बताती हैं. ऐसा करते समय इन लड़कियों को शर्म भी नहीं आती. लोगों को आज भी लड़कियां कुंवारी ही चाहिए. आखिर शादी से पहले ही लड़कियां वर्जिनिटी रिपेयर जिसे हाइमेनोप्लास्टी (hymenoplasty) के नाम से जाना जाता है, क्यों करवाती हैं? क्योंकि शादी के बाद उनका वर्जिनिटी टेस्ट किया जाता है.
अगर शादी के बाद पहली रात पर पार्टनर से संबंध बनाते समय ब्लड न निकले तो पति अपनी पत्नी पर शक करता है. कई बार तो बात ऑनर किलिंग तक आ जाती है और बेशर्म लड़कियां ही हैं, लड़कों की ना जांच होती है न उन्हें कोई चरित्रहीन कहता है.
आखिर शादी के बाद कौमार्य परीक्षण की परंपरा निभाई ही क्यों जाती है? चाह तो पतियों की होती है कि उन्हें लड़की कुंवारी ही मिले भले ही वो वर्जिन ना हों.
अगर परंपरा नहीं भी निभाई जाती है तो पति के दिमाग में यह बात रहती है कि पहली बार संबंध बनाने पर अगर खून दिखना जरूरी है. अगर किसी लड़की के साथ ऐसा नहीं होता तो उसे सम्मानित नजरों से नहीं देखा जाता है. पति के साथ ससुराल के लोग भी उसे चरित्रहीन समझते हैं. इसलिए लड़कियां वर्जिनिटी रिपेयर के जरिए टिश्यू का उपयोग कर नकली हाइमन झिल्ली लगवाती हैं. लड़कियों को अपने बारे में छिपाने की जरूरत क्यों पड़ती है?
कई बार माता-पिता और रिश्तेदार ही लड़कियों पर 'वर्जिनिटी रिपेयर सर्जरी' के लिए दबाव बनाते हैं. शादी से पहले प्रेम संबंध होने पर जब शादी कहीं और होती है तो ऐसे में लड़कियों को वर्जिनिटी रिपेयर के लिए सोचना पड़ता है. यहां तो लोग वैसे भी लड़कियों को देखकर बता देते हैं कि लड़की वर्जिन है या नहीं.
देश हों चाहें विदेश कौमार्य का परीक्षण सिर्फ लड़कियों को ही करवाना पड़ता है. कोई लड़कों के कुंवारेपन का परीक्षण नहीं करता. शादी के बाद भी महिलाओं के चरित्र का पैमाना मापा जाता है पुरुषों का नहीं...अब जब तक वर्जिनिटी टेस्ट होगा तब तक वर्जिनिटी रिपेयर तो होगा ही. यह खबर जबसे सामने आई है कि ब्रिटेन में "वर्जिनिटी रिपेयर" सर्जरी अवैध होगी. तब से लोगों ने कहना शुरु कर दिया है कि खुली जिंदगी जीने की आदी लड़कियां कम उम्र में ही कौमार्य को गंवा देती हैं.
मतलब सेक्स की आजादी की बात करने वाली लड़कियां अपनी शादी होने से पहले 'वर्जिनिटी सर्जरी' का सहारा लेकर अपने कुंवारेपन साबित करती हैं. मतलब लड़कियों की यह मजबूरी भी होती है क्योंकि उन्हें पता है उनके कुवारेपन का परीक्षण तो होना ही है.
अब ऐसा नहीं है कि सिर्फ लड़कियां ही अपने कुंवारेपन को खोती हैं, ऐसा होता तो लड़कों के साथ भी है लेकिन कुंवारे होने का दबाव लड़कों के सिर पर नहीं होता. ना जाने कितनी बार वैज्ञानिकों ने, डॉक्टरों ने यह बातें कही हैं कि, यह मिथ्य बिल्कुल गलत है कि हाइमन के टूटने की वजह सिर्फ सेक्स है. साइकिल चलाने या फिर खेल-कूद में भाग लेने से भी हाइमन ब्रेक हो सकती है. यह भी जरूरी नहीं है कि पहली बार सेक्स करने पर ब्लीडिंग हो ही. अगर हाइमन पहले ही टूट चुकी है तो पहले सेक्स के समय ब्लीडिंग नहीं होगी.
असल में ब्रिटिश सरकार ने "वर्जिनिटी रिपेयर" सर्जरी यानी हाइमन झिल्ली को फिर से बनाने के प्रयास को अपराध माना है. स्वास्थ्य देखभाल बिल संशोधन के अनुसार, कोई भी ऐसी प्रक्रिया जो हाइमन के दोबोरा निर्माण का प्रयास करती है, वह अवैध होगी. भले ही सर्जरी से गुजरने वाले व्यक्ति की सहमति हो या न हो. यहां के कई निजी अस्पताल और फार्मेसी कौमार्य की बहाली का वादा करते थे और सर्जरी करते थे.
यहां लड़कियां बड़ी संख्या में सर्जरी करवाती थीं. जिसके बाद फर्स्ट नाइट पर संबंध बनाने पर ब्लीडिंग होती थी. यहां सरकार ने पिछले जुलाई में कौमार्य परीक्षण को अपराध घोषित करने का वादा किया था लेकिन नकली हाइमन बनाने का काम जारी था. डॉक्टरों और नर्सों की तरफ से इस सर्जरी को अवैध बनाने का कबसे दबाव था जिस पर अब सरकार ने अम्ल किया है.
दोनों प्रथाओं हैं महिलाओं के खिलाफ हिंसा हैंडॉ एडवर्ड मॉरिस का कहना है कि स्वास्थ्य के आधार पर हाइमेनोप्लास्टी को कभी भी उचित नहीं ठहराया जा सकता है. वहीं रॉयल कॉलेज ऑफ ओब्स्टेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट के अध्यक्ष डॉ एडवर्ड मॉरिस का कहना है कि हाइमेनोप्लास्टी और वर्जिनिटी के टेस्ट को कभी भी उचित नहीं ठहराया जा सकता है. डॉक्टर्स का कहना है कि, लड़कियां यह सर्जरी इसलिए करवाती हैं ताकि उनके पति को यह ना पता लगे कि वह शादी से पहले वे यौन संबंध बना चुकी हैं. इस सर्जरी को करवाने पर कम से कम 50 से 60 हजार रुपये का खर्च भी आता है. वहीं आधा घंटे का समय भी लगता है.
अगर शादी के बाद पहली रात पर पार्टनर से संबंध बनाते समय ब्लड न निकले तो पति अपनी पत्नी पर शक करता है. कई बार तो बात ऑनर किलिंग तक आ जाती है और बेशर्म लड़कियां ही हैं, लड़कों की ना जांच होती है न उन्हें कोई चरित्रहीन कहता है.
आखिर शादी के बाद कौमार्य परीक्षण की परंपरा निभाई ही क्यों जाती है? चाह तो पतियों की होती है कि उन्हें लड़की कुंवारी ही मिले भले ही वो वर्जिन ना हों.
अगर परंपरा नहीं भी निभाई जाती है तो पति के दिमाग में यह बात रहती है कि पहली बार संबंध बनाने पर अगर खून दिखना जरूरी है. अगर किसी लड़की के साथ ऐसा नहीं होता तो उसे सम्मानित नजरों से नहीं देखा जाता है. पति के साथ ससुराल के लोग भी उसे चरित्रहीन समझते हैं. इसलिए लड़कियां वर्जिनिटी रिपेयर के जरिए टिश्यू का उपयोग कर नकली हाइमन झिल्ली लगवाती हैं. लड़कियों को अपने बारे में छिपाने की जरूरत क्यों पड़ती है?
कई बार माता-पिता और रिश्तेदार ही लड़कियों पर 'वर्जिनिटी रिपेयर सर्जरी' के लिए दबाव बनाते हैं. शादी से पहले प्रेम संबंध होने पर जब शादी कहीं और होती है तो ऐसे में लड़कियों को वर्जिनिटी रिपेयर के लिए सोचना पड़ता है. यहां तो लोग वैसे भी लड़कियों को देखकर बता देते हैं कि लड़की वर्जिन है या नहीं.
देश हों चाहें विदेश कौमार्य का परीक्षण सिर्फ लड़कियों को ही करवाना पड़ता है. कोई लड़कों के कुंवारेपन का परीक्षण नहीं करता. शादी के बाद भी महिलाओं के चरित्र का पैमाना मापा जाता है पुरुषों का नहीं...अब जब तक वर्जिनिटी टेस्ट होगा तब तक वर्जिनिटी रिपेयर तो होगा ही. यह खबर जबसे सामने आई है कि ब्रिटेन में "वर्जिनिटी रिपेयर" सर्जरी अवैध होगी. तब से लोगों ने कहना शुरु कर दिया है कि खुली जिंदगी जीने की आदी लड़कियां कम उम्र में ही कौमार्य को गंवा देती हैं.
मतलब सेक्स की आजादी की बात करने वाली लड़कियां अपनी शादी होने से पहले 'वर्जिनिटी सर्जरी' का सहारा लेकर अपने कुंवारेपन साबित करती हैं. मतलब लड़कियों की यह मजबूरी भी होती है क्योंकि उन्हें पता है उनके कुवारेपन का परीक्षण तो होना ही है.
अब ऐसा नहीं है कि सिर्फ लड़कियां ही अपने कुंवारेपन को खोती हैं, ऐसा होता तो लड़कों के साथ भी है लेकिन कुंवारे होने का दबाव लड़कों के सिर पर नहीं होता. ना जाने कितनी बार वैज्ञानिकों ने, डॉक्टरों ने यह बातें कही हैं कि, यह मिथ्य बिल्कुल गलत है कि हाइमन के टूटने की वजह सिर्फ सेक्स है. साइकिल चलाने या फिर खेल-कूद में भाग लेने से भी हाइमन ब्रेक हो सकती है. यह भी जरूरी नहीं है कि पहली बार सेक्स करने पर ब्लीडिंग हो ही. अगर हाइमन पहले ही टूट चुकी है तो पहले सेक्स के समय ब्लीडिंग नहीं होगी.
असल में ब्रिटिश सरकार ने "वर्जिनिटी रिपेयर" सर्जरी यानी हाइमन झिल्ली को फिर से बनाने के प्रयास को अपराध माना है. स्वास्थ्य देखभाल बिल संशोधन के अनुसार, कोई भी ऐसी प्रक्रिया जो हाइमन के दोबोरा निर्माण का प्रयास करती है, वह अवैध होगी. भले ही सर्जरी से गुजरने वाले व्यक्ति की सहमति हो या न हो. यहां के कई निजी अस्पताल और फार्मेसी कौमार्य की बहाली का वादा करते थे और सर्जरी करते थे.
यहां लड़कियां बड़ी संख्या में सर्जरी करवाती थीं. जिसके बाद फर्स्ट नाइट पर संबंध बनाने पर ब्लीडिंग होती थी. यहां सरकार ने पिछले जुलाई में कौमार्य परीक्षण को अपराध घोषित करने का वादा किया था लेकिन नकली हाइमन बनाने का काम जारी था. डॉक्टरों और नर्सों की तरफ से इस सर्जरी को अवैध बनाने का कबसे दबाव था जिस पर अब सरकार ने अम्ल किया है.
दोनों प्रथाओं हैं महिलाओं के खिलाफ हिंसा हैंडॉ एडवर्ड मॉरिस का कहना है कि स्वास्थ्य के आधार पर हाइमेनोप्लास्टी को कभी भी उचित नहीं ठहराया जा सकता है. वहीं रॉयल कॉलेज ऑफ ओब्स्टेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट के अध्यक्ष डॉ एडवर्ड मॉरिस का कहना है कि हाइमेनोप्लास्टी और वर्जिनिटी के टेस्ट को कभी भी उचित नहीं ठहराया जा सकता है. डॉक्टर्स का कहना है कि, लड़कियां यह सर्जरी इसलिए करवाती हैं ताकि उनके पति को यह ना पता लगे कि वह शादी से पहले वे यौन संबंध बना चुकी हैं. इस सर्जरी को करवाने पर कम से कम 50 से 60 हजार रुपये का खर्च भी आता है. वहीं आधा घंटे का समय भी लगता है.